सुविचार 4593
अपने भीतर और अपने काम, दोनों में पूर्णता हासिल करने के लिए हमें खुद से लगातार पूछते रहना चाहिए,
” मैं खुद को और कितना बदल सकता हूँ ताकि मेरा काम अधिक प्रभावी हो जाए ? “
” मैं खुद को और कितना बदल सकता हूँ ताकि मेरा काम अधिक प्रभावी हो जाए ? “
पहले मुड़ कर देखते थे..,अब देख कर मुड़ जाते हैं ।
जीवन कड़वा है, लेकिन आपके पास इसे कड़वा रहने या इसे मीठा करने की शक्ति है.
इसीलिए बाकी नहीं, अब कोई भी आस.
बेहतर की तलाश में बेहतरीन को खो देता है.
जो घड़ी जी लेंगे वो ही रह जानी है.
सच ही कहूंगा, क्यूं इतना घबरा रहे हो..
क्योंकि तकलीफ़ खत्म हो जाएगी, मगर नेकी कभी खत्म नहीं होगी.
आज वक़्त ख़राब है तो क्या हुआ, एक दिन इसे बदल कर दिखाओ.