सुविचार 3914
चिंतन के समय में इंसान जब चिंता की चिता पर बैठ जाता है, तब पहले सब्र का बांध टूटता है;
फिर विवेक साथ छोड़ देता है और अंत में जुबान बेकाबू हो जाती है !!
यही हमारे पतन का रास्ता बनता है.
फिर विवेक साथ छोड़ देता है और अंत में जुबान बेकाबू हो जाती है !!
यही हमारे पतन का रास्ता बनता है.
” भावना गति से निर्मित होती है “
_ तो वे बहस नहीं करते हैं और खुश रहते हैं.!
_समय समय की बात है, वक्त सबका आता है…
_क्योंकि सब आपके पास वापस लौटकर आता है.
_उन का हर ऐब ज़माने को हुनर लगता है.
_यही खेल हम, ज़िन्दगी भर खेला करते हैं !
और वातावरण का उस पर कोई प्रभाव होगा और न ही आंतरिक अशांति होगी.