सुविचार 3914

चिंतन के समय में इंसान जब चिंता की चिता पर बैठ जाता है, तब पहले सब्र का बांध टूटता है;

फिर विवेक साथ छोड़ देता है और अंत में जुबान बेकाबू हो जाती है !!

यही हमारे पतन का रास्ता बनता है.

मस्त विचार 3788

अब इतनी ज्यादा समझ आ गयी है कि…ना तो किसी के साथ बहस करने का मन करता है और ना ही ” समझाने का “
यदि आप वही कहते हैं_जो वे सुनना चाहते हैं

_ तो वे बहस नहीं करते हैं और खुश रहते हैं.!

सुविचार 3913

जिसको जो कहना है कहने दो ; आपका क्या जाता है..

_समय समय की बात है, वक्त सबका आता है…

सुविचार 3911

अच्छा सोचिए, अच्छा बोलिए और अच्छा कीजिए,

_क्योंकि सब आपके पास वापस लौटकर आता है.

सुविचार 3910

यदि एक बार मन सामंजस्य्पूर्ण स्थिति में आ जाए, तो फिर न बाहरी परिस्थितियों

और वातावरण का उस पर कोई प्रभाव होगा और न ही आंतरिक अशांति होगी.

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