सुविचार 4414
मिट्टी का तन है क्या दिन रात सजाना, मिट्टी ही मंजिल है तन पर क्या इतराना..
मंजिल वो अपनी खुद ब खुद बना लेते हैं..
तू पहले इश्क़ कर, फिर चोट खा, फिर लिख दवा मेरे दर्द की..
वो मुझे ज़रा सा भी नहीं चाहिए।”
चिंता करने के लिए अपनी ऊर्जा का प्रयोग न करें, _ विश्वास करने के लिए अपनी ऊर्जा का प्रयोग करें.
कुदरत चिड़िया को खाना जरूर देती है, लेकिन घोसले में नहीं.
में ऐसा शख्स हूँ फिर भी हंस के मिलूंगा..