मस्त विचार 4220
“फिर तेरे बाद कौन रोकता हमको,
जी भर के खुद को बरबाद किया हमने”
जी भर के खुद को बरबाद किया हमने”
लेकिन हारने के बाद जो गले लगाए सिर्फ वही अपना होता है.
जान भी ले गए और जान से मारा भी नहीं..
अगर स्वीकार नहीं कर सकते तो बदल दें और अगर बदल नहीं सकते तो बेहतर है, इसे रब पर छोड़ दें…
_ इसलिए परेशान होने का कोई मतलब नहीं है..!!
तकदीर जब तमाचा मारती है, तो वो मुँह पर नहीं सीधा रूह पर लगता है…
रोज ये बात, भूल जाता हूँ.
_ फिर आराम के समय आराम नहीं कर पाओगे.!!
वरना जहाँ बैठते थे रौनक ला दिया करते थे.
हाय ! उन किरदारों पर क्या गुज़री होगी.