मस्त विचार 4144
ना हक दो इतना के तकलीफ हो तुम्हे,
ना वक्त दो इतना की गुरुर हो उन्हें..
ना वक्त दो इतना की गुरुर हो उन्हें..
मेरी फितरत में तो गैरों पर भी भरोसा करना था.
” आपका आराम क्षेत्र आपका दुश्मन है “
यदि आप स्वयं को असहज नहीं करते हैं, जीवन आपके लिए स्वयं का विस्तार न करने से निर्मित पीड़ा और पीड़ा के रूप में स्वचालित रूप से आपके लिए ऐसा करेगा.
_ कुछ चीजों के लिए काबिल बनना पड़ता है !
_ मैं किसी का बेहतर करूँ बहुत फ़र्क पड़ता है..
_ सबको बस एक फ़िक्र है, आप कितना उनकी हां में हाँ मिला पाते हो..!!
मैंने गलतिया आपसे ज्यादा कर-करके सिखा है..!!