सुविचार 4400

सच्चे “अर्थों” में अगर हम “विचार” करें, तो पता चलता है “प्रतियोगिता” का नाम ”जीवन” नहीं, बल्कि “सहयोगिता” का नाम ”जीवन” है..

मस्त विचार 4274

हम इतने हसीं तो नहीं, कि हम पर कोई भी फिदा हो जाए,

लेकिन हां, जिसे हम आँख भर के देख लें, उन्हें हम उलझन में डाल देते हैं…

सुविचार 4399

आपका ज्ञान आपको शक्ति दे सकता है परंतु आपका अच्छा चरित्र आपको आदर भी देता है.

सुविचार 4398

आप एक ही नदी के पानी को दुबारा नहीं छू सकते, क्योंकि जो धारा बह चुकी वो कभी वापस नहीं आती ;

_ उसी तरह जीवन की एक स्थिति पर रुके मत रहिए, जो कल बीत गया वो कितना भी अच्छा या बुरा क्यों न था, उसे भूल कर आपको आगे बढ़ना ही होगा.

नदियों की तरह बहते रहो, चट्टानें अपने आप कट जाएंगी.!!

मस्त विचार – 2025 नया साल – 4272

प्रिय “2025” जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं,

_ज्यादा उत्सुक होने की जरूरत नही है,
_चुपचाप आये हो तो चुपचाप निकल भी लेना,
_ ज्यादा लफड़ाबाजी पिछले वाले कि तरह नही करना,
_ खुश रखना और खुश रहना.
नए साल का दिन भी आम दिनों की तरह गुजरा,
_ जाने क्या बात थी हर बात पे रोना आया.!!

बहुत रूठा है नया साल, जिसे देखो वही मना रहा है !!

आप साल बदलते देख रहे हो, मैंने साल भर लोगों को बदलते देखा.!!

आज बहुत से लोग बहुत से अलग-अलग निर्णय लेंगे,

_ लेकिन वो बस आज के लिए ही होंगे !!

आखिर ये साल बदलता ही क्यों हैं, जबकि सबकुछ तो वहीं ठहरा रहता है,

_ कुछ बातें, कुछ यादें वही होती हैं औऱ उन्ही को हम बार-बार जिये जाते हैं ..तो फिर क्या मायने रखता है..
_ वक़्त का बदलना, साल और महीनों का बदलना, जब इंसान का अंदरूनी भाव ही नही बदल सकता तो,
_ सबकुछ बदलकर भी कुछ न बदला तो ऐसे बदलने का क्या मतलब…!

सुविचार – 2025 नया साल – 4397

जीवन क्षणभंगुर है ! जैसा अवसर रब ने दिया है उसे बेहतरीन तरीके से जीने की कोशिश करो !

_ आराम से सुकून से इत्मीनान से सलीके से होशो हवास में नए साल में जाएं.!!

2020 के बाद जीवन तो जैसे मानों केवल बीता है,

_ अवसाद और बढ़ती उम्र ने सब कुछ रोक दिया है,
_ जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा, सब कुछ रुक सा गया है,
_ अब तो ये भी नहीं पता कि कहाँ गुम हूँ,
_ जीवन एक काली कोठरी में बंद हो चुका है,
_ यहां से निकलना बेहद मुश्किल है,
_ मैं अब गर्त के आस-पास हूँ,
_ मेरा कुछ नहीं हो सकता !!

मस्त विचार 4271

ज़िन्दगी का एक वर्ष कुछ यूँ गुज़र गया,

_ कुछ लोग बदल गए.. तो कोई हमें बदल गया..!!

बड़ा रंगीन रहा ये साल..!

_ हर किसी ने अपना अपना रंग दिखाया..!!

कुछ खुशियाँ कुछ आँसू दे कर चला गया !

_ जीवन का इक और सुनहरा साल चला गया !!

यादगार सफर रहा साल का भी,

_ चला भी नहीं और चला भी गया !!

गुजरता हुआ साल बहुत कुछ सिखा गया..!

_ अपने और गैरों में भेद समझा गया..!

पूरे साल की उम्मीदें लाद दी जाती है जनवरी पर,

_ और सारे हादसों का इल्ज़ाम अकेला दिसंबर ढ़ोता है !!

तय कर लेने से जीवन नहीं चलता है,

_ जीवन तो अपने ही ढंग से चलता है.

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