सुविचार – आलोचना – 010

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किसी की आलोचना करना सरल है, किसी काम में मीनमेख निकालना सरल है, किसी के प्रयासों में कमियां और गलतियां निकाल लेना भी सरल है, पर खुद वैसा करके दिखाना बड़ा मुश्किल है.

_ आप आलोचना करने के अधिकारी तभी हो सकते हैं जब आप खुद वैसा करके दिखा दें.. जैसा आलोचना करते हुए कहते हैं.
_ प्रायः वे ही आलोचक बन जाते हैं जो खुद उस काम को करने में सफल न हो सके.
_ कुछ लोग ईर्ष्यालु आलोचना करते हैं, कुछ लोग हीनता की भावना से सिर्फ तुच्छता सिद्ध करके अपने मन को समझाने के लिए आलोचना किया करते हैं.
_ ऐसे लोगों की नजर किसी काम की अच्छाई पर पड़ने की अपेछा उसकी कमियों या खराबियों पर ही पड़ती है.
_ सिर्फ व ही आलोचना उचित है जो समालोचना हो अर्थात गुण और दोष दोनों पर चर्चा करे और पूर्वाग्रह से ग्रसित न हो.
_ आलोचना में कटुता और निन्दा का भाव लेशमात्र भी न हो तो ही यह उपयोगी सिद्ध हो सकती है.
किसी की शिकायत, आलोचना, व्यंग्य करना, ताने देना या तंज कसना अक्सर वही लोग करते हैं जो खुद कुंठित मानसिकता के होते हैं।

_ उन्हें इसकी परवाह नहीं है कि उनके अपने जीवन में क्या चल रहा है, लेकिन दूसरों के जीवन में क्या चल रहा है, वो उसी कुंठा से पीड़ित रहते हैं।
_ ऐसे मानसिक रोगियों पर दया आती है.. बेचारे !!
“आलोचना से बचिए “

_ कुछ लोगों को आलोचना की आदत होती है, ..बिना कारण..
_कुछ लोग इसी को जीवन का आधार बना कर जीते हैं.
_ इधर की उधर करना, ..मत कीजिए..
-तो अगर आप चाहते हैं कि _आपको लोग पसंद करें _तो आलोचना से बचिए.
_कभी अपनी तुलना किसी और से मत कीजिए.
_आप जो हैं, आप वही रहेंगे.
_दूसरा जो है, उसे दूसरा रहने दीजिए.
_”रोइए मत” _ कोई किसी रोने वाले को पसंद नहीं करता है.
_आपका रोना व्यर्थ है दूसरों की नज़र में..!!
“फलां खराब है, _वो बुरा है.
“उसने ये कहा था, _उसमें ये कमी है” __मत कीजिए ये सब..!!
__कोई आपकी शिकायत सुनने को नहीं बैठा है.
_आपकी शिकायतें आपका फ्रस्ट्रेशन [ निराशा ] हैं.
_”खुश रहिए” _लोगों से खुशी से मिलिए.
_देखिए कैसे लोग आपको पसंद करते हैं.
_”जीवन छोटा है, ..जितना संभाल सकते हैं संभालिये..”
अगर आप अपने जीवन में बड़ी उपलब्धि हासिल करने का सपना देख रहे हैं, तो आलोचना के लिए तैयार रहिये. आलोचना को उसके तीखेपन के साथ स्वीकार कीजिये और अपने आलोचकों को इस बात के लिए धन्यवाद दीजिए कि उन्होंने आपको अपशब्द कहने के लिए अपना कीमती समय निकाला. सच तो यह है कि ऐसे लोग आपकी सफलता के लिए मील के पत्थर साबित होते हैं.
जिन्हें पता ही नहीं कि वे अँधेरे में चल रहे हैं वे कभी प्रकाश की तलाश नहीं करेंगे.

ऐसे लोगों को दूसरों की सफलता व ख़ुशी बिल्कुल बर्दाश्त नही होती, वे खुद तो अच्छा कुछ करते नहीं_

_ मगर कोई और अच्छा व रचनात्मक कार्य करे तो उसकी आलोचना करने में कोई कसर छोड़ते नही !

अधिकतर लोग आसपास की चीजों या लोगों की आलोचनाओं में लगे रहते हैं. _ वह ऐसा इसलिए करते हैं, ताकि उन्हें अच्छा लगे,

_ लेकिन वास्तविकता में ऐसा करने से वह और ज्यादा निराश महसूस करते हैं.

कभी भी किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा आपकी आलोचना नहीं की जाएगी _जो आपसे अधिक काम कर रहा है.

_ कम काम करने वाले व्यक्ति द्वारा हमेशा आपकी आलोचना की जाएगी.

कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितने लोग आपकी आलोचना करने की कोशिश करते हैं, सबसे अच्छा बदला उन्हें गलत साबित करना है.

No matter how many people try to criticize you, the best revenge is to prove them wrong.

कभी भी किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा आपकी आलोचना नहीं की जाएगी जो आपसे अधिक काम कर रहा है.

_कम काम करने वाले व्यक्ति द्वारा हमेशा आपकी आलोचना की जाएगी. _ उसे याद रखो.

You’ll never be criticized by someone who is doing more than you. You’ll always be criticized by someone doing less. Remember that.

जीवन में आलोचना और अस्वीकृति का अनुभव किए बिना, खुद को विकसित करना या सुधारना असंभव होगा.

Without experiencing criticism and rejection in life, it would be impossible to grow or improve yourself.

चापलूस और आलोचक में क्या फर्क है ? चापलूस और आलोचक में केवल इतना अंतर है कि चापलूस अच्छा बन कर भी बुरा करता है,

जबकि आलोचक बुरा बन कर भी अच्छा करता है.

आलोचना से कुछ सीखें, काम और अच्छी तरह करें. _ क्योंकि आलोचना

व्यक्ति को गिराती भी है और उस पर सकारात्मक सोच रखने वालों को वह उठाती भी है.

आलोचना करने वाले लोगों का जीवन में बहुत बड़ा योगदान होता है.

_ सच्चे हितैषी तो आलोचक ही हैं, बाधाओं से ही जीवन मजबूत बनता है..!!

जो आपसे ज्यादा कुछ कर रहा है, उसके द्वारा कभी भी आपकी आलोचना नहीं होगी, _

_ कम करने वाले किसी व्यक्ति द्वारा आपकी हमेशा आलोचना की जाएगी __ उसे याद रखो..

अपनी आलोचना ख़ुशी से सुन पाना और उसपर निरंतर कार्य करना एक अदभुत कला है,

जो आपको सफलता की सीढ़ी पर चढ़ने में बहुत मदद करेगी.

कुछ लोग हमारी ” सराहना ” करेंगे, कुछ लोग हमारी ” आलोचना ” करेंगे. दोनों ही मामलों में हम “फायदे” में हैं, _

_ एक हमें ” प्रेरित ” करेगा और दूसरा हमारे भीतर ” सुधार ” लाएगा.

आलोचना को गुस्सा या उदासी के बिना गम्भीरता से लें,

ख़ुद को सुधारने के लिए इसका उपयोग करें और इसका स्वागत करें.

इस बात पर ध्यान दें कि लोग निजी तौर पर आपसे दूसरे लोगों के बारे में कैसे बात करते हैं,

_क्योंकि ठीक इसी तरह वे आपके बारे में दूसरों से बात करते हैं.

परिणाम हमारी इच्छा के अनुसार नहीं मिलता है, परिणाम हमारी मेहनत के आधार पर मिलता है ..!!
लछ्य यदि सर्वोपरि है तो फिर आलोचना, विवेचना और प्रशंसा कोई मायने नहीं रखती है.
आलोचना सहने की आदत डालिये, इससे न केवल आपकी कमजोरियां दूर होंगी, _ वरन आत्मशक्ति भी जाग्रत होगी.
खुद को सुधारने में इतना व्यस्त रहो कि _ आपके पास दूसरों की आलोचना करने का समय ही नहीं हो..
अपनी आलोचना को धेर्य से सुनें, _ यह हमारी जिंदगी का मैल हटाने में साबुन का काम करती है.
स्वयं की आलोचना होने पर क्रोध करने की अपेक्षा अपने में सुधार करने की सोचें..!!
उत्तम से सर्वोत्तम वही हुए हैं, _ जिन्होंने आलोचनाओं को, सुना और सहा है….
किसी की आलोचना मत करो, _ ताकि तुम्हारी भी कोई आलोचना न करे.
दूसरों की आलोचना करने से पहले खुद को सही ढंग से व्यवस्थित कर लें.
जो स्वयं कुछ नहीं कर पाते, वे दूसरों की आलोचना करते हैं.

1 Comment

  1. Usually I like to critisize but now I really agree with every word and I have even nothing to addcomment more.
    आमतौर पर मैं आलोचना करना पसंद करता हूं लेकिन अब मैं वास्तव में हर शब्द से सहमत हूं और मेरे पास इससे अधिक टिप्पणी करने के लिए कुछ भी नहीं है.

    Reply

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