“आलोचना से बचिए “
_ कुछ लोगों को आलोचना की आदत होती है, ..बिना कारण..
_कुछ लोग इसी को जीवन का आधार बना कर जीते हैं.
_ इधर की उधर करना, ..मत कीजिए..
-तो अगर आप चाहते हैं कि _आपको लोग पसंद करें _तो आलोचना से बचिए.
_कभी अपनी तुलना किसी और से मत कीजिए.
_आप जो हैं, आप वही रहेंगे.
_दूसरा जो है, उसे दूसरा रहने दीजिए.
_”रोइए मत” _ कोई किसी रोने वाले को पसंद नहीं करता है.
_आपका रोना व्यर्थ है दूसरों की नज़र में..!!
“फलां खराब है, _वो बुरा है.
“उसने ये कहा था, _उसमें ये कमी है” __मत कीजिए ये सब..!!
__कोई आपकी शिकायत सुनने को नहीं बैठा है.
_आपकी शिकायतें आपका फ्रस्ट्रेशन [ निराशा ] हैं.
_”खुश रहिए” _लोगों से खुशी से मिलिए.
_देखिए कैसे लोग आपको पसंद करते हैं.
_”जीवन छोटा है, ..जितना संभाल सकते हैं संभालिये..”
Usually I like to critisize but now I really agree with every word and I have even nothing to addcomment more.
आमतौर पर मैं आलोचना करना पसंद करता हूं लेकिन अब मैं वास्तव में हर शब्द से सहमत हूं और मेरे पास इससे अधिक टिप्पणी करने के लिए कुछ भी नहीं है.