हम इंसानों को अपने कहे गए अल्फाजों पर ध्यान रखना चाहिए
_ क्या पता कब कौन से शब्द हमारे जी का जंजाल न बन जाये
_ खासकर सोशल मीडिया के दौर में, जहां हमारी हर गतिविधि
कहीं न कहीं जाकर कैद होती है
_ हमारे लिखे शब्दों या कही गयी बातों का आधार बनाकर
कोई भी हमें अपने षडयंत्र का शिकार बना सकता है
_ यहां झूठे रिश्ते बनना आम बात है
_ इन झूठे रिश्तों के चक्कर में हम कब घनचक्कर बन जाये
_ ये किसी को भी पता नहीं चल सकता
_ कभी-कभी हम उन रिश्तों पर भी इतना अधिकार समझते हैं
_ जो असल में एक खोखला रिश्ता है
_ जो सिर्फ जरूरत के किये या जरूरत पूरा करने के लिए बनते हैं
_ फिर भावनाओं में बहकर बहुत कुछ कह भी जाते हैं
_ फिर जब उनको हथियार बनाकर कोई धमकी देने लगता है तो
कोई ब्लैकमेल करने लगता है
_ क्योंकि इज़्ज़त तो हर किसी को प्यारी है
_ खासकर उन इंसानों के लिए जिनके पास इज़्ज़त के सिवा कुछ भी नहीं
_ नए लोगों से भावनात्मक रिश्तें बनाने से बेहतर है कि
जो पुराने रिश्ते हैं उन्हीं को सहेजा व सम्भाला जाए
_ क्योंकि नए रिश्ते बनना हर किसी को पसंद है लेकिन
स्थिरता तो पुराने रिश्ते ही बनाएंगे,
_ जब किसी के संग धीरे धीरे रिश्ते पुराने होते हैं तो
वो स्थिरता व जटिलता खुद ब खुद आ जाती है
_ इसलिए भूल भुलैया में ना फँसकर सहज ज़िन्दगी गुज़ारे
_ अन्यथा इस चक्कर में काफी समझदार लोगों को फंसते देखा है……।।।
– हेसाम