सुविचार – सोशल मीडिया – Social Media – 112

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पर्सनल समस्याओं के लिए व्यक्तिगत समाधान की आवश्यकता है..

_न कि सोशल मीडिया पर पोस्ट करने लिए,,!!

सोशल मीडिया के दौर में अपनी बात कहना आसान हो गया है.

_ बात को कहने और और बात करने में अंतर है.
_ बोलने से ज्यादा मायने रखता है सुनना.
__ सुनना, समझना और बोलना बात करने के जरूरी हिस्से हैं.
_ कई बार बिना शब्द बोले भी बात होती है.
__ भावनाओं को समझना, अनकही बातों को सुनना, बिना बोले भी साथ होने और समझने का अहसास करा पाना भी बात करने का एक खूबसूरत तरीका होता है.
_शायद सबसे खुबसूरत तरीका..
_ अच्छे से बात करना तमाम अवसादों का उपचार है.
_ बात करना सकारात्मकता का संचार है.
_ बात करिए, अपने लिए, किसी अपने के लिए, बेहतर समाज के लिए, इंसानियत के लिए.
वो बुद्धिमान हैं जिन्होंने सोशल मीडिया का उपयोग अच्छा लिखने-पढ़ने में किया है,

_ वरना जाने कितने ही रील्स देखने में ही रह गए.!!

जरूरी नहीं जो लोग दुनिया के सामने खुश दिखाई दे रहे हैं, वह खुश ही हैं.

_ अपने आसपास के लोगों का ख्याल रखिए,
_ खासकर उन लोगों का जो सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा खुश दिखाई दे रहे हों..
_ ऐसे शो कर रहे हो जैसे कि उनके जीवन में कोई प्राब्लम ही नहीं..!!
_ प्राब्लम होना प्राब्लम नहीं है, जीवन है तो दुःख तो होगा ही.. यह बहुत ही सामान्य है,
_ लेकिन उस दुःख को जाहिर नहीं कर पाना असामान्य है..!!
डिजिटल क्रांति के इस दौर में मोबाइल फोन हमारे जीने के तरीके को क्रांतिकारी ढंग से बदल रहा है.

_ कुछ लोग इसका फायदा उठा नॉलेज से संचालित और आनंद से भरा जीवन जीने की दिशा में बढ़ रहे हैं,
_ जबकि अधिकांश का अपने दिमाग पर नियंत्रण खत्म हो रहा है.
_ वे डोपामीन की ऐसी लत का शिकार बनते जा रहे हैं, जिसके बारे में उन्हें खुद कोई अहसास नहीं..
_ क्योंकि उन्हें लगता है कि वे तो जिंदगी का मजा लेते हुए जी रहे हैं.
_ मोबाइल उन्हीं के लिए शक्तिशाली है, जो उससे नॉलेज लेते हैं.
_ मनोरंजन करने वालों के लिए वह असल में और भी घातक हो गया है.
स्मार्टनेस के इस महान युग में मानवीय श्रम लगातार कम हो रहा है..

_ परिणामतः व्यस्तता कम हो रही है, खालीपन बढ़ रहा है.
_ जिसकी वजह से सभी में धीरे धीरे ही सही मानसिक और शारीरिक परिवर्तन हो रहे हैं.
_ चौबीस घंटे का बड़ा भाग आजकल इंटरनेट के विभिन्न माध्यमों पे गुजर रहा है.
_ अब ये इंटरनेट हमारी आदत बन चुका है.
_ समय व्यतीत करना एक बड़ी समस्या है,
_ वर्तमान में किसी को इसका हल नहीं सूझ रहा है,
_ आपस में मिलना-जुलना, आना-जाना, चर्चा-परिचर्चा, आपसी संवाद और मेहमाननवाजी सब खत्म हो गया है.
_ परस्परता सामाजिकता भाईचारे में बहुत तेजी से कमी आई है,
_ भुगतान हमे हमारे बच्चों को अकेले रहकर करना पड़ रहा है.
_ अकेलेपन को खत्म करने के लिए लोगों को सिर्फ इंटरनेट ही दिखता है.
रिश्तें को जमाने से जितना आप छुपाकर रखोगे उतना ही अच्छा है,

_ वरना आजकल पता नहीं चलता कब, कौन, किस तरीके से आपका घर उजाड़ दे,
_ यहां सुंदर रिश्तें को तोड़ने में दो मिनट नहीं लगता,
_ लोग अपनी ख़ुद की जिंदगी संभाल नहीं पा रहे हैं,
_ ईर्ष्या भाव के कारण वो दूसरो की जिंदगी बर्बाद करने में तुले हुए हैं, इसलिए बचकर रहिए.
_ रिश्तों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में ज्यादा शो ऑफ ना करें..!!
अपने व्यक्तिगत जीवन को निजी रखें।

1. सोशल मीडिया पर अपनी खुश शादी का विज्ञापन न करें.
2. सोशल मीडिया पर अपने बच्चों की उपलब्धियों का विज्ञापन न करें.
3. सोशल मीडिया पर अपनी महंगी खरीददारी का विज्ञापन न करें वास्तविकता यह है…
1. हर कोई आपके लिए खुश नहीं होने वाला है.
2. आपके द्वारा प्राप्त अधिकांश “अच्छी” टिप्पणियां सिर्फ नकली हैं.
3. बुरी नजर ही लगेगी आप को और आपके परिवार को..
4. आप अपने जीवन में ईर्ष्यालु लोगों को आकर्षित कर रहे हैं.
5. आप नहीं जानते कि कौन आपकी तस्वीरों को सेव कर रहा है और आपके अपडेट की जाँच कर रहा है.
6. आपको वास्तव में इसे रोकने की जरूरत है क्योंकि यह आपके जीवन, परिवार, शादी और कैरियर को बर्बाद कर सकता है।
सोशल मीडिया शैतान की आँखें, कान और मुंह है, शैतान के जाल में मत आना। अपने निजी जीवन को निजी रहने दो।

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