जब मेरी शादी हुई, तो मुझे यह ठीक से नहीं पता था और न ही जानता था कि शादी के बाद जीवन कितना बदल जाएगा..
_ बस इतना समझता था कि शादी का अर्थ है, सुख-दुख में साथ निभाने का वादा, हर परिस्थिति में साथी बने रहने का भरोसा..
_ लेकिन सच कहूँ, उस समय मैंने इस रिश्ते की गहराई को पूरी तरह से समझा नहीं था..
_ लेकिन खुद उस सफर पर निकलने के बाद, शादी का असली अर्थ समझा..
_ लेकिन असल में इन दिनों सबसे बड़ी समस्या जो समाज के सामने आ रही है,
_ वो है पति-पत्नी के रिश्तों में नासमझी की,,
_ पति-पत्नी का रिश्ता खून का रिश्ता नहीं है, भावनाओं, समझ और वादों का है.
_ माता-पिता योग्य साथी चुन सकते हैं, या व्यक्ति खुद अपने लिए साथी ढूंढ सकता है,
_ लेकिन इस रिश्ते को निभाने की कसौटी इस बात पर निर्भर करती है कि दोनों साथी मिलकर कैसे एक-दूसरे के जीवन का हिस्सा बनते हैं.
_ बहुत से लोग शादी सिर्फ इसलिए करते हैं.. क्योंकि उम्र हो गई है या समाज का दबाव है.
_ लेकिन शादी का असली अर्थ समझे बिना किया गया यह फैसला अक्सर दुखदायी बन जाता है.
_ शादी तब ही सफल होती है, जब दोनों साथी एक-दूसरे के लिए सेवा और समर्पण के भाव से साथ चलते हैं.
_ जब एक और एक मिल कर दो नहीं, बल्कि एक हो जाने के अहसास को जीने लगते हैं.
_ शादी का असली अर्थ त्याग, समर्पण और समझदारी है.
_ यह एक ऐसा रिश्ता है, जिसमें दो लोग ‘मैं’ और ‘तुम’ से ऊपर उठकर ‘हम’ बनते हैं.
_ यह रिश्ता तभी फलता-फूलता है, जब दोनों साथी एक-दूसरे के सुख-दुख को साझा करें और हर परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ दें.
_ शादी को निभाना आसान नहीं है..
_ यह रिश्ता त्याग और समझौते की मांग करता है.
_ दोनों साथी इस रिश्ते को पूरी निष्ठा से निभाएं, तो यह जीवन को सबसे सुंदर अनुभव बना देता है.
_ शादी सिर्फ दो लोगों का जुड़ना नहीं है, बल्कि यह वादा है जिसे हर परिस्थिति में निभाना होता है.
_ शादी का अर्थ केवल प्रेम या संग-साथ तक सीमित नहीं है.
_ इसका असली अर्थ है अपने साथी के साथ हर मुश्किल में खड़ा रहना..
_ यही सच्चा वादा है, यही सच्चा रिश्ता है..!!
– संजय सिन्हा