तेरा बेटा बहुत बड़ा अदाकार बन गया माँ, _
_ ये अब अंदर से रोता है बाहरी मुस्कान लिए…!!
लड़का होना भी कहां आसान है, _
_ आधे से ज्यादा सपने तो दूसरों के पूरे करने पड़ते हैं..!!
“वो लड़का जो” नज़र एक अलहदा रखता था ज़माने को देखने की..
_ आजकल ढूंढता रहता है खुद को “ज़माने भर में..”
हम लड़के हैं साहब, _ _
_ घर बनाने के लिए अपना घर ही छोड़ देते हैं..!!
सबसे बड़ा दुख तो तब होता है.. जब लड़के घर छोड़कर परदेश के लिए निकलते हैं,
_और अपनों को रोता हुआ देख कर.. उस समय कोई शब्द ना सुनायी देता है..
_ और न ही कुछ बोला जाता है..!!
लड़कों के हिस्से आता है अक्सर… ख्वाहिशों को दमन करने का तरीका,
_ परिवार की जिम्मेदारियां, घाम–सर्द से परे काम पे जाने की अनिवार्यता,
_ त्यौहार पे घर जाने को छुट्टी न मिलने की वज़ह से छाई उदासी,
_ सुख चुकी प्रेम की नदियां, और पहाड़ बन भावशून्य हो जाने का प्रयास.
_ इस बीच किसी का उनकी ओर हंसकर देखना, दो घड़ी बात कर लेना और उनका घर से परस्पर संपर्क साधे रखना..
…..सुकून से बढ़कर कुछ भी ग़र हो तो वही मिल जाता है !!
मैं लाखों दर्द होने पर भी मुस्कुराता हूं ;
_ मैं लड़का हूं अगर रोया तो मेरी तौहीन होगी_
हम लड़के हैं साहब,, _ मुसीबतों में भी मुस्कुराते हैं…!!
_ हम लड़के कितनी भी कोशिशें कर लें, वो पूरी नही पड़ती और उस पे ये बोझ रहता है कि हम बता नही पाते कि ..हमने बहुत चाहा मगर कर कुछ ना सके,
_क्योंकि हम जानते है कि दुनिया परिणाम देखती है, कोशिशें नही…!
*एक उम्र के बाद लड़कों से खैरियत कौन पूछता हैं,*
*कोई नौकरी का पूछता है कोई सैलरी का पूछता है !!
एक लड़के का पूरा संघर्ष एक ही लाइन में तोल दिया जाता है “कितना कमाते हो ?”
इस समाज में लड़कों और पुरुषों के लिए सबसे मुश्किल काम है ‘बिना आँसुओं के रोना’
लड़के का सच में घर से चले जाना, मतलब सुख उम्मीद में..!!
_ लेकिन बहुत सी बातें उसके अंदर ही अंदर हलचल मचाती रहती हैं और भीतर बहुत कुछ उमड़ता घुमड़ता रहता है.