_ अब इस ख़ुशी के मौके पर ये सब करके असल में किस को ख़ुशी मिलती है __ ये बात गौर करने लायक तो जरूर है..!!
शादी में आने वाले लोगों के सामने अपने पैसों की नुमाइश करने का प्रयास आपको नहीं करना चाहिए..
_क्योंकि वह लोग तो सिर्फ मजे लेने के लिए आते हैं और मजा ले करके चले जाते हैं और कर्जे में डूब जाते हैं आप, जिससे उबरने में आपको काफी समय लग जाता है.
इसके लिए लाखों रूपए फूँकने की जरुरत नहीं है..
शादी विवाह के नाम पर दिखावापन ही समस्याओं की असली जड़ है.
_ और ऊपर से फिर भी ताने सुनना _ पता नहीं _ कितना अच्छा लगता है हमें..
शादी हो और खर्च न हो ऐसा संभव नहीं, लेकिन खर्च अगर जरुरत के मुताबिक हो, तो उचित है. कई बार माता- पिता बच्चों की ख्वाहिश के खातिर चुपचाप बोझ वहन करते हैं. शादी के अतिरिक्त खर्चों का खामियाजा बाद में घरवालों को भुगतना पड़ता है. अगर शादी की पोशाक, मंडप की सजावट, खान- पान का मेन्यू, उपहार और दूसरी चीजों पर किया जाने वाला खर्च अगर बजट बना कर किया जाये, तो काफी पैसा बच सकता है. जैसे- शादी की ड्रेस या ज्वेलरी भविष्य में एक या दो बार ही यूज हो पाती है, इसलिए बेहतर है इन्हें रेंट पर ले लिया जाये. बढ़ती महंगाई के इस दौर में किसी एक पछ पर सारा आर्थिक बोझ डालने के बजाय बेहतर है कि दोनों पछ एक तय बजट बना कर ५०- ५० खर्च शेयर कर लें. इससे ही वह शादी यादगार बन जायेगी और लोगों के लिए मिसाल होगी.
Destination Wedding के प्रचलन से पहले शादियों में फिजूल खर्ची के खिलाफ लिखा जाता था। पर जैसे ही वेडिंग्स का ट्रेंड बदला वैसे ही एंटी पोस्ट का ट्रेंड भी बदल गया।
उस पोस्ट में एक बात पर जोर दिया जाता है कि धनी लोगों की विवाह में हुई फिजूल खर्ची देख कर गरीब लोग भी उनकी देखा-देखी कर्जा ले कर फिजूल खर्च करते हैं।
इस पोस्ट में इसी मुद्दे पर बात करूंगा… सिर्फ शादी ब्याह ही नहीं किसी भी चीज में यदि कोई किसी की देखा-देखी फिजूल खर्ची करता है तो उसके प्रति मेरी रत्ती भर भी सहानुभूति नहीं रहती।
यदि मैं अपनी बात करूं तो मेरे आस पास बहुत से लोग हैं जिनके मेरे से अच्छे मकान हैं, मुझसे अच्छी कार हैं, मुझसे मंहगे फोन हैं, मुझसे मंहगे कपड़े पहनते हैं, हर साल विदेश घूमने जाते हैं।
अब यदि मैं उनकी देखा देखी खर्चा करूंगा तो मेरी आर्थिक स्थिति गड़बड़ हो जायेगी और अल्टीमेटली भुगतना मुझे ही पड़ेगा।
किसी के लिए splendour भी काश हुआ करती है तो किसी के लिए हार्ले डेविसन।
किसी के लिए सेंट्रो भी काश है तो किसी के लिए फॉर्च्यूनर। किसी के लिए गांव की दहलीज लांघ कर शहर जाना काश है तो किसी के लिए यूरोप टूर करना काश।
किसी के लिए तन ढकने लायक कपड़े पहनना काश है तो किसी के लिए ब्रांडेड कपड़े पहनना काश।
तो भैया कर्जा ले कर शादी करने के फेवर में तो मैं भी नही हूं। पर ये है कि आज कल एक या दो बच्चे ही होते हैं और इंसान जिंदगी भर उनके लिए ही कमाता है।
तो ऐसे में वो शुरू से ही थोड़ी-थोड़ी Savings करना शुरू कर दें तो शादी धूम-धाम से करना बहुत मुश्किल भी नहीं होता। मैं सादगी से शादी करने के बिल्कुल विरोध में नही हूं, इसे हम किसी की भी व्यक्तिगत पसंद पर छोड़ सकते हैं पर धूम-धाम से शादी करने वाले को विलेन बनाना बिल्कुल भी तर्क संगत नही है।
जैसे किसी को गेजेट्स का बहुत शौक होता है, किसी को कार का शौक होता है, किसी को ब्रांडेड कपड़े का शौक होता है, किसी को आलीशान घर में रहने का शौक होता है , किसी को घूमने फिरने का शौक होता है। ऐसे में व्यक्ति किसी दूसरे फील्ड में कमी कर के अपनी पसंद पर ज्यादा खर्च कर लेता है।
तो भैया जो जैसे शादी ब्याह कर रहा है उसे करने दो, ज्यादा किसी के फटे में टांग मत अड़ाओ। उसका पैसा, उसके बच्चे, उसकी खुशियां, उसकी मर्जी फिर दूसरा क्यों खामख्वाह कूदे ? 😅😅
पोस्ट अच्छा लगे तो आगे शेयर करने से मत हिचकना 🫠
_ बड़का पार्टी / रईस / पैसा वाला या जो भी इमका ढिमका है -स्वाभाविक है ऐसा लगना भी.. पर ये स्वाभाविक बिल्कुल भी नही है !
_ ख़ुशी का इजहार /बधाई ये सब तो ठीक है. फिर आपका मिरर (” प्रतिबिम्ब ” ) क्या है ?
__क्या आपके आसपास कोई है जो बताता है कि आप ठीक नहीं हो ?
_ धरती में आये हो, दुनिया भर में तकनीक ने अद्भुत तरह के अवसर पैदा किये हैं, प्लीज ध्यान दीजिये उसमें..!
_कुछ बनना है तो रिसर्च कीजिये कि _आप अपने जीवन को एक नया नज़रिया कैसे दे सकते हो ! कुछ बन गए तो फिर इस भीड़ में जुड़ जाना..!!
_आपके जीने मरने के बाद कोई फरक नही पड़ने वाला है, कि आपने क्या देखा- दिखाया -लिखा -बोला..!
_ पढ़े लिखे हो और गरीब हो ? स्थिति ठीक नहीं है —तो फिर खुद से पूछो या उसके लिए टाइम नहीं है ?
पूछा तो क्या पूछा ? फिर उस पर काम कितना किया ? और ये जवाब किसी और से मत मांगिये – ये खुद ही तय कीजिये की क्यों हो गरीब ?
_मुझे कारण पता है – आपको भी पता है –पर किसी को कारण से धुर्रा फरक नही पड़ता इस व्यवस्था में..
_इसलिए ये कारण को मत गिनाइये. खूब अनुभव से कह रहा हूँ… मत गिनाइये इसे.
_कौन हो तुम ? क्या है तुम्हारे भीतर –चिल्लाके पूछा है किसी दिन _ कि इतना किल्लत अब नही सहना..!
_ कि मै निकल लूंगा. मेरे अंदर औकात है चीजों को बदलने की…. किया है ?
_कोई हिला रहा है तुम्हारे शरीर को –कि उठ जाओ ! उठ जाओ और इस भीड़ से कुछ अलग कर लो. अपने घर के लिए और खुद के लिए..!!
_प्लीज — करो कुछ अलग, बहुत कुछ है दुनिया में. तुम अकेले नही हो.
_ तुम्हारा दिन जिस दिन तुम तय करोगे उसी दिन से शुरू होगा. अब तक तय किया है कभी ? तो किसने रोका है ?
_पढ़े लिखे लोगों को भी अच्छा जीवन नहीं जीते देख _खीझ /दर्द /दुःख होने लगता है.!
_ हमें इतना व्यस्त नहीं हो जाना चाहिए कि _ हम जीवन में वास्तव में महत्वपूर्ण चीजों की उपेक्षा करें,
_ जैसे कि हमारा व्यक्तिगत जीवन, अपने ईश्वर के करीब आने के लिए समय निकालना, पढ़ने के लिए समय निकालना आदि.
_ हम सभी को आराम करने, सोचने और ध्यान लगाने, सीखने और बढ़ने के लिए समय लगाना चाहिए. नहीं तो तो हम सुस्त हो जाएंगे और अपनी प्रभावशीलता खो देंगे.