सुविचार – दिखावा – दिखावे – दिखावटी – बनावट – बनावटी – झूठा ठाठ – ऊपरी तड़क भड़क – 037

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“दिखावे से न्याय मत करो; एक अमीर दिल एक गरीब कोट के नीचे हो सकता है.”

“Do not judge by appearances; a rich heart may be under a poor coat.”

—Scottish Proverb

“केवल दिखावे से निर्णय न लें”

“Do not judge from mere appearances.” —Edwin Hubbel Chapin

मन जितना कम समझता है और जितनी अधिक चीजों को ग्रहण करता है, उसकी दिखावा करने की शक्ति उतनी ही अधिक होती है; और जितनी अधिक बातें वह समझता है, उतनी ही उसकी शक्ति क्षीण होती जाती है.

The less the mind understands and the more things it perceives, the greater its power of feigning is; and the more things it understands, the more that power is diminished. – Baruch Spinoza

“दिखावा करना”

_ जब आप दिखावा करते हैं, तो आप दूसरों को दिखाने के लिए कुछ कर रहे होते हैं,
_ बस दूसरों को दिखाने के लिए कि आप क्या कर सकते हैं.
_ जब आप दिखावा करते हैं, तो आप आमतौर पर वह काम अपने लिए नहीं करते,
_ बल्कि आप दूसरों से प्रतिक्रिया पाना चाहते हैं.
इंसान दिखावा क्यों करता है ?

_ लोग दिखावा करते हैं ..क्यूंकि वो प्रसिद्ध होना चाहते हैं,
_ ..क्यूंकि वो चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग उनकी तारीफ करें,
_ ..क्यूंकि वो लोगों को यह बताना चाहते हैं कि..
_ ..उनके पास बहुत कुछ ऐसा है ..जो औरों के पास नहीं है..!!
दिखावा करने से क्या होता है ?

_ दिखावा करने से हम कुछ समय के लिए तारीफ बटोर सकते हैं..
..लेकिन ज्यादा समय तक नहीं..!!
_ क्योंकि जो हम रियल में है ..कभी ना कभी उभर कर आ ही जाता है,
_ नुकसान — अगर हम सच में भी किसी का अच्छा सोचें या कुछ अच्छा करना चाहते हैं ..तो भी लोगों को दिखावा ही लगेगा,
_ क्योंकि हमने लोगों की नजर में खुद की दिखावटी इंसान की छवि बना दी !!
क्या दिखावा करना बुरी बात है ?

_ अगर आपको किसी चीज़ पर गर्व है और वह प्रामाणिक है,
_ तो दिखावा करना बुरी बात नहीं है.
_ लेकिन अगर आप सिर्फ़ ध्यान आकर्षित करने के लिए कुछ कर रहे हैं,
_ या इससे भी बदतर, दूसरों को बुरा महसूस कराने के लिए,
_ तो दिखावा करना अच्छी बात नहीं है.!!
हम दिखावा और बनावट के लिए, अपनी आर्थिक स्थिति के विपरीत, दूसरों को खुश करने में इतना मशगूल है कि..

_ चाहे कुछ हो जाए, बेशक कर्ज ले लिया जाए, लेकिन हम नहीं सुधरेंगे.
_ नतीज़ा, मानसिक तनाव और दुष्परिणाम ;
_ बेहतर होगा कि सत्यता को स्वीकार करते हुए, अपनी हैसियत के अनुसार ही जीवन यापन करने का प्रयास करें.!!
आप देखें कि दुनियाभर में जो भी लोकप्रिय व्यक्तित्व हुए हैं,

_ सब में एक बात की समानता है और वह है उनकी सादगी.
_ उनमे किसी तरह का दिखावा नहीं है, न उन्हें अपने ज्ञान का घमंड है, न अपनी कमियों को छिपाने की चिंता.
_ उन्हें न तो अपनी ज्यादा कमाई का अभिमान है, न पैसे कम होने पर झूठ- मूठ का दिखावा है कि मेरे पास बहुत पैसे हैं.
_ यहां तक कि अपनी आर्थिक स्थिति के कमजोर पछ को बताने में उन्हें संकोच नहीं होता.
_ उनका जीवन खुली किताब की तरह होता है.
_ इसका अर्थ यह है कि आप जैसा हैं, वैसा ही दिखने का प्रयास करें.
सुकून से जीना सही है..

_ या दिखावे का कवच पहनकर घुट घुट के जीना.. तय आप कर लो..!!”
_ हम ज़िंदगी नहीं एक दिखावे से भरा पैराडॉक्स [विरोधाभास] जीते हैं !;”
दिखावटीपन की वजह से बेफिजूल खर्चे बढ़ गये हैं,

_ वरना इंसान रोटी कपड़ा और मकान में भी खुश रहा करते थे.!!

पहले लोग जितना कमाते थे _उसी में संतुष्ट भी रहते थे, परिश्रम भी बहुत करते थे.

_लोगों की कमाई भी उनके जीवनयापन के अनुरूप ही होती थी,
_पेट काट कर कुछ बचा लिया तो बच जाता था, अन्यथा कल की चिन्ता कल पर छोड़ देते थे.
_स्त्री हो या पुरुष- वे सब दिखावे से बहुत दूर रहते थे, बिना प्रेस किए हुए कपड़े पहन कर भी उनमें हीन भावना नहीं उपजती थी.
_न जेब में बहुत पैसे हुआ करते थे, न ही असीमित जरूरतें..
_जिनकी आय अपेक्षाकृत अधिक थी, उसका उन्हें कतई अभिमान न होता था,
_बल्कि दिखावा करने में उन्हें संकोच होता था.
–तब लोग स्वाभाविक जिंदगी जीते थे और थोड़ा कुछ बचा भी लेते थे,
_आज तो दिखावे और स्टैंडर्ड मेंटेन करने का जमाना है,
_ तनखा भी खिसक जाती है और ऊपर से कर्ज और उधारी लद जाती है..
दिखावा और अक़्लमंदी साथसाथ नहीं रह सकते.

_ सूर्य उदय और अस्त होते समय बहुत सुंदर लगता है,
_ लेकिन उस का प्रकाश दोपहर को ही सब से ज्यादा होता है,
_ जब उस में कोई विशेष सौंदर्य नहीं होता.!!
केवल कुछ अपने लोगों को दिखाने और दिखावा के लिए ही हम खुद कष्ट में ही जीते हैं,

_ पर फिर भी अधूरे ही रह जाते हैं, दिखा भी नहीं पाते हैं और जाने का समय आ जाता है.

Question : सभी लोग अपनी ख़ुशी से ज़्यादा दिखावा करने पर ध्यान क्यों देते हैं ??

Answer : आप पूरी तरह से वही हैं जो आप हैं._ इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है ..जो हम नहीं करना चाहते.
_ तो हम जीना कम और दिखावा ज्यादा करने लगते हैं.
क्या आपको इस बात का अंदाजा है कि खाने, लड़ने या दिखावा करने के अलावा भी जीवन में कुछ और है.!!
दिखावे से जुड़ी हर चीज़..चाहे वो रिश्तें हो…लोग हो…व्यवहार हो..स्थिर नहीं रह पाती…और एक न एक दिन अपनी असलियत ज़ाहिर कर ही देती है…

.. जबकि स्थिरता धैर्य और विश्वास के साथ एकरूप रहती हैं…उसे दिखावे की ज़रूरत नही होती…

नकली लोग आपका होने का दिखावा करेंगे..

_ लेकिन आपके जाते ही आपकी पीठ पीछे आपकी चुगली करने से भी नहीं चूकेंगे.!

आप जरूरत के हिसाब से चीजें खरीदें.

_दूसरों को चीज़ों से प्रभावित करने के बजाय _अपने जीवन से प्रभावित करने की कोशिश करें.!!

“कभी भी दूसरों का ध्यान आकर्षित करने के लिए ख़ुद का दिखावा न करें”

“झूठ और दिखावे” का सच सामने आ ही जाता है..!!

जान पहचान चाहे आपकी किसी से भी हो..!

_ लेकिन उछलना हो या दिखावा.. वो अपने दम पर हो..!!

बनावटी-दिखावटी बातों की दीवानी दुनिया,,असली बात जाने ना.!

_ साज सज्जा हर कोई देखे, चेहरा हृदय का पहचाने ना..!!

ऊंचे सपने जरूर देखें, लेकिन अपने शौक पूरे करने और दिखावा करने के लिए कर्ज न लें..!!
जिस इंसान को भी ये लगता है कि वह कुछ है,

_ तो उसे ये भी लगता है कि कल को लोग भी समझेंगे कि _ वो कुछ है;
_ फिर वो अपना पूरा जीवन लोगों को दिखाने में बिता देता है कि_ वो कुछ है..!
_ लेकिन उन्हें बता दूँ कि ऐसे ही लोग अपनी पूरी ज़िदगी को एक तरह के दुःख में बिताते हैं :
_ और एक समय आता है जब वो जान चुके होते हैं कि जिन लोगों को दिखाने के लिए उसने पूरा जीवन बिता दिया ;
_ वो लोग तो दूर उसके घर वाले तक उसको कुछ नहीं समझते थे.!!
हमें यह दिखावा करना बंद करना होगा कि सब कुछ ठीक है..

_ जब ऐसा नहीं है और दूसरों से झूठी वाहवाही प्राप्त करने का नाटक करना बंद करें.
_ तभी हम सुख-शांति को जान सकते हैं..!
_ ऐसा होने का नाटक करना जो हम नहीं हैं, एक ऐसा जाल है..
_ जिसमें हममें से अधिकांश लोग अपने जीवन के किसी न किसी मोड़ पर फंस जाते हैं.
_ चाहे वह कम आत्मसम्मान, अनुकूल व्यवहार, या फिट न होने के डर के कारण हो.
_ सुनिश्चित करें कि आप वास्तविक जीवन में खुश हैं न कि केवल दिखावे पर..
जो दुनिया को दिखाया था, उससे हम को क्या मिला ?

_ दुनिया को भी और हमें भी ?
_ दिखावा से क्या मिलता है ?
_ जबकि हम अंदर से खोखले हैं..
>>लेकिन फिर भी, दिखावा तो करना ही है,
_ क्योंकि प्रतिस्पर्धा है, चलन है, मजबूरी है..!!
ध्यान रखें कि _ दिखावा वास्तविकता नहीं है.!!

_ हमारा मन हमें कई अलग-अलग “पोशाक और ड्रेस ” पहनने के लिए प्रेरित करता है ;
_ हालाँकि, इनमें से कुछ हमारी भलाई और प्रगति के लिए हानिकारक हैं;
_ वे हमारे ऊपर बोझ डालते हैं,
_ हमारे वास्तविक स्वरूप की रोशनी को धुंधला कर देते हैं.!!
_ समाज अक्सर हम पर दिखावा करने के लिए दबाव डालता है, एक ऐसा मुखौटा जो हमारी असलियत को छुपाता है.
_ यह मुखौटा एक ऐसा व्यक्तित्व दिखा सकता है _ जिसे हम मानते हैं कि अन्य लोग देखना चाहते हैं.
_ लेकिन आप को उस सार को गले लगाना हैं जो आपको, आप बनाता है.
_दिखावा का मुखौटा उतारें और इसे दोबारा कभी न पहनें.
_ इस बोझ को छोड़ें और अपनी सफलता और खुशी को परिभाषित करना चुनें.
_जीवन नामक इस यात्रा के दौरान, हम अक्सर ऐसी चीजें उठाते और पहनते हैं..
_जो फायदे से ज्यादा नुकसान करती हैं,
_हमारी क्षमता और वास्तविक खुशी में बाधा डालती है.!!
“यदि आप अपने से ऊँचे स्तर के लोगों के लिए दिखावा करने की कोशिश कर रहे हैं, तो इसे भूल जाइए ;

_ वे किसी भी तरह आपको नीची दृष्टि से देखेंगे.!!
_ और यदि आप निचले स्तर के लोगों के लिए दिखावा करने का प्रयास कर रहे हैं, तो इसे भूल जाइए ;
_वे आपसे केवल ईर्ष्या करेंगे..!!
_स्टेटस आपको कहीं नहीं ले जाएगा.
_केवल एक खुला दिल ही _आपको सभी के बीच समान रूप से रहने की अनुमति देगा.”
दूसरों की राय को महत्व क्यों देना चाहिए ?

_ यदि आप कुछ खरीद सकते हैं और यह आपको खुशी देता है, तो इसे खरीदें.!!
_ लेकिन यदि आप लोगों को संतुष्ट करने के लिए और दिखावा करने के लिए खरीद रहे हैं,
_ तो आपको अपनी प्राथमिकताओं की फिर से जांच करने की आवश्यकता है.
दिखावा ना करना.. साधारण कपड़े पहनना.. दाल रोटी खाना..

_ आज के शोर से भरे संगीत के गानों से कहीं ज्यादा.. पुराने संगीत को पसंद करना..
_ अपना काम बनवाने के लिए किसी को ना छलना..
_ दिखावे का चाल ढाल ना करना..
_ जरूरत से ज्यादा बड़ी-बड़ी बोली ना बोलना..
_ अगर इन सबका मतलब कोई समझे.. हम पुराने ख्यालातों के हैं.. तो हां ऐसा ही समझो.. हमें कोई दिक्कत नहीं है..!
_ हमारी नज़र में नए जमाने का अर्थ यह भी नहीं कि.. हर वक्त नकाब में और नकली जीवन जीते रहो..
_ हमको हमारा साधारण-सरल लहजा पसंद है..
_ इसी में सुकून मिलता है हमें..!!
हम एक दूसरे की मदद करने के बजाए एक दूसरे के समक्ष अपना रौब और वर्चस्व दिखाने में जुटे हैं..

अपने सपनों की पूर्ति के बजाए, दूसरों की देखा -देखी करने में लगे हैं… _ मेरा मानना है कि देखा देखी करने और दिखाने से बर्बादी निश्चित है…!!

लोग दिखावा करते हैं !____________

ब्रांड के नाम पर दिखावा-
_ ब्रांडेड कपड़े, जूते, चश्में और डीओ लगाकर खुदको नवाब समझना और बिना बात की अकड़ में रहना.
ज्ञान का दिखावा-
_ अरे अगर आपको ज्ञान हैं तो उससे अपना, अपने समाज और अपने देश का विकास करें. ज्ञान बांटने से बढ़ता है, अहंकार से नही.
किसी को नीचा दिखाना ज्ञानी की नही अज्ञानी की पहचान है.
स्टैंडर्ड का दिखावा-
अरे होंगे आप बड़े आदमी, लेकिन जन्म और मृत्यू सबकी समान होती है तो फिर आप क्यों झूठा दिखावा कर रहे हैं.
ये नही खाते, यहाँ नही जाते, वहाँ नही बैठ सकते, उससे नही बोल सकते.
प्रतिपल नष्ट होने वाले सौंदर्य का दिखावा-
_ पांच तत्वों से बना शरीर और उन्हीं में मिल जाने वाले इस शरीर का कैसा अभिमान..
अगर आप सुंदर है तब भी आपका अंत वैसा ही होगा जैसा किसी कुरूप का.
बड़ी और मेहँगी गाड़ियों का दिखावा-
बड़ी गाड़ी, मेहँगी घड़ी, ब्रांडेड जूते और चश्मे लगाकर इंसान सामने वाले को इंसान नही समझता.
जिस चीज का आपको दिखावा करना पड़े समझना आपकी नही है, स्थिर नही है.
दिखावा चाहे किसी का हो भविष्य में स्वयं के लिए ही घातक होता है,, क्योंकि ब्यक्ति एक भ्रम फैलाता है,, लोगों को दिखाने के लिए..
आप जो वास्तविक है उसे दिखाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती है, वह तो सभी को स्वत: ही दिखाई दे जाता है (अनुभूति हो जाती है).
– Neha Chandra
जिंदगी जीने का सबसे सरल तरीका है ; जितना आप साधरण रहोगे उतना ही सुखी रहोगे.

_ अगर दिखावे का ढोंग करोगे, _ परेशानियों से घिरे रहोगे..

जो लोग आपका अच्छा नहीं चाहते ..पर अच्छा करने का दिखावा करते हैं,

_वो लोग अभिनय और दोहरे चरित्र में माहिर होते हैं..!

कुछ लोग दिखने के लिए उतावले रहते हैं, तो कुछ लोग गायब हो जाने के लिए उतावले रहते हैं.

Some people hustle to be seen, others hustle to disappear.

संसार में पशु पक्षी जीव जंतु जानवर यहां तक कि मनुष्य भी, _इन सबकी तृप्ति सिर्फ और सिर्फ भोजन है बाकी सब दिखावा भुलावा है.
कोई तामझाम और दिखावा नहीं, केवल काम की बातें !

_ सुधार की शुरुवात हो जाए, तो बहुत बड़ी बात होगी !!

दिखावा करके खरीदी गयी फ़र्ज़ी इज्ज़त साबुन के झाग के समान है,

_ जिसे उड़ जाने में ज़रा भी वक़्त नही लगता..!!!

दिखावा कर के व्यवहार बनाने से अच्छा है, सच बोल कर दुश्मन बना लो ;

_ आप के साथ कभी विश्वासघात नहीं होगा ..

कुछ लोग बस दिखावे के लिए आपके पास होने का ढोंग करते हैं,

_ लेकिन रहना तो वो आपसे दूर ही चाहते हैं !!

हम चाहे जितना भी बुद्धिमान होने का दिखावा करें, _

_ लेकिन हमारा व्यवहार उस दिखावे से पर्दा हटा ही देता है.

मुझे दिखावा करना अच्छा नही लगता, _

_ चार पैसे कमा लिए तो खनका कर क्या बताना..

वे जो दिखावा करते हैं, मैं उससे प्रभावित नहीं होता हूं.

_ मुझे ऐसा लगता है कि कैसे चक्र में फंसे हुए हैं ये लोग..

आपका दिखावा है बस कुछ दिन का,

_ वक़्त ने कर दिया कितनों को ख़ामोश..!!

इस संसार में सम्मान से जीने का सबसे अच्छा तरीका है, _

_ हम वही बनें जो हम होने का दिखावा करते हैं.

हमें इसलिए दुख होता है, क्योंकि हम गलत को सही समझते हैं.

_ और बाहर खुश दिखने के लिए.. दिखावा करना पसंद करते हैं..!!

औपचारिकता एक दिखावा मात्र होता है.

_ सबसे महान और सफल कार्य अनौपचारिक हो कर ही किए जा सकते हैं..!!

ये दिखावा और ये नशा दौलत का..

_ सब किरायेदार हैं ..घर बदलते रहते हैं..!!

लोग वस्तुओं और चीजों का एक बड़ा समूह जमा करने और दिखाने में सफल हो गए हैं, _लेकिन खुशी कम हो गई है..!!
दूसरों को दिखावा करके प्रभावित करने की कोशिश, आधी परेशानियों का कारण बनती है.
लोग बाहरी दिखावे के चक्कर में _ अपना आंतरिक संतोष खोए जा रहे हैं.
” दिखावा सबसे हीन प्रवृत्ति है तो, दिखावे से प्रभावित होना, सबसे दीन प्रवृति है,”
दिखावा करने से बेहतर है, आप अच्छे और सच्चे बनें, _  बहुत सुकून मिलता है…
होड़ हमेशा दिखावा करती है, _ और दिखावा कभी सच्चाई तक नहीं पहुंच पाता.
हीन भावना से ग्रस्त आदमी, _ अपनी सारी जिंदगी दिखावे में बर्बाद कर देता है..
#दिखावा कुछ और नही आप का अपने प्रति हीनता ओर खुद का अनादर है.
दिखावे के खेल में मत उलझो, क्योंकि इस खेल का कहीं कोई अंत नहीं…!
जो सच्चा होता है, उसे किसी भी तरह के दिखावे की ज़रूरत नहीं होती है !!
दूसरों को दिखाने के चक्कर में, हम अपनें व्यक्तित्व को खत्म कर लेते हैं..!!
दिखावे से ज्यादा ख़ामोशी से अपना काम करना तरक्की की ओर ले जाता है !!
दिखावा और ढोंग कि ज़िन्दगी से, “ढंग” की ज़िन्दगी बेहतर है !!
व्यर्थ का आडम्बर और बेकार का दिखावा नहीं करना चाहिए.
आपका जीवन ज्यादा क़ीमती है, दिखावे की दुनिया से.
आपका सबसे सुंदर रूप छिपाव है __ दिखावा नहीं !!
औकात से बड़े दिखावे इंसान को डूबा देते हैं..
जो हो वही रहो, __ दिखावा मत करो..

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