सुविचार – अनुशासन – 043

अनुशासन में आदमी जब ऊबने लगता है, तब वह स्वतंत्रता की खोज में भागता है. कभी- कभी अपने तरीके से जीवन जीने का मन करता है, जिसमें थोड़ी स्वतंत्रता हो और ढेर सारी मनमानी हो. बीमारियों से ग्रस्त आदमी भी कभी- कभी खाने- पीने में थोड़ी छूट चाहता है. सच तो यह है कि हर जीवित प्राणी आजादी चाहता है.

जीवन बेफिक्री से जीने के दिन भले ही कम हो गये हों, पर जब मौका मिले, अपने अंदर के बच्चे को जीवित कर लीजिए. परेशान तो हर कोई है. कोई बीमारी की वजह से, कोई पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन को लेकर, तो कोई दफ्तर के तनाव को झेलते हुए. इन सब के बीच भी मजा- मस्ती के छण को कभी नहीं गंवाएं.

हमारी संवेदनाएं जीवित रहें, इसलिए आवश्यक है व्यवस्तताओं के बीच भी कुछ पल केवल अपने लिए अपने साथ जीएं. सबके शौक अलग- अलग होते हैं, अपने साथ जीने का मतलब अपने शौक के साथ समय बिताना होता है. ऐसे समय में आप पेंटिंग करें, गाना गायें या कविता लिखें, सुडोकु हल करें या फिर जो आपकी हॉबी रही हो, उसमें ध्यान लगाएं.

कहते हैं न, वीणा के तार को न कसकर बांधना चाहिए और न ही ढीला ही, दोनों अवस्था में सुर नहीं सधेंगे. जिंदगी भी वीणा के तार की ही तरह है. समयबद्धता के साथ अनुशासन और आजादी दोनों के तालमेल से ही जिंदगी में सुखद परिणाम आयेंगे.

अनुशासन एक ऎसा गुण है, जो हमें अपने उद्देश्यों से भटकने नहीं देता. अनुशासन में रह कर हम खुद को कई तरह की आजादी से वंचित करते हैं, जो शायद हमें अच्छा न लगे, पर इससे हम अपना ही भला करते हैं.
अनुशासन ऐसी चीज है जिसे भीतर से आना चाहिए, इसे बाहर से नहीं थोपा जाना चाहिए.
अनुशासन से ही मनुष्य को स्वतंत्रता प्राप्त होती है. बाहरी अनुशासन की अपेछा व्यक्ति की आंतरिक प्रेरणा से प्राप्त स्वतंत्रता अधिक स्थायी होती है.
अनुशासन का मतलब नियंत्रण नहीं है, अनुशासन का मतलब है कि

आपके पास वह करने की समझ है, जिसे किए जाने की जरुरत है.

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