सुविचार – डर – भय – खौफ – दहशत – घबराहट – थरथराहट – 044

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हमेशा..! डटकर डर का, सामना कीजिये..! ज़नाब..!

यकीन मानिए..! डर बहुत कमजोर होता है..!!

जिस डर का हम सामना नही करते, भविष्य में वो ही डर _हमारी सीमाएं निर्धारित करना आरंभ कर देता है..
कोई इतना मजबूर कमजोर नहीं, जितना उसने खुद को मान रखा है,

व्यक्ति के जीवन 99% भय झूठे और मिथ्या है, असलियत में वो होते ही नहीं, सिवाय आपके खोपड़ी के..

डर अनिश्चितता से आता है; जब हम खुद को बेहतर तरीके से जान लेंगे तो हम अपने अंदर के डर को खत्म कर सकते हैं.

Fear comes from uncertainty; we can eliminate the fear within us when we know ourselves better.

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