दुनिया मे लोग कचरे की तरह बिखरे पड़े हैं, सबकी ज़िंदगी मुट्ठी में रेत के तरह फिसल रही है,
_ जब स्वयं दुःख में हो तो किसी और को कोई कितना रोये और कितना किसी को चुप कराए,
_ हम अपना दुःख किसी को कह नही पा रहे, क्यूंकि सामने वाला हमसे ज्यादा दुःख में है…!
_ किसी अपने के जाने के बाद दो ही चीजें होती हैं,
_ या तो हर बात से फर्क पड़ना बंद हो जाता है या बाकी बचे लोगों के लिए और ज्यादा प्रेम और उन्हें खोने का और भी ज्यादा डर मन में भर जाता है, खैर !…
_ सब पहले जैसा तो कभी नही होगा.. पर कम से कम अपने परिवार और अपने लोगो की कदर कीजिये, क्योंकि यहाँ अमर कोई नही रहता…!!
— इसलिए जिसको भी जो मन का करना है या कहना है सब कर लो, कितने पल बाकी हैं, इस जीवन के,
_ न आपको पता है न किसी और को, बस ज़िन्दगी वो है.. जो अभी हम जी रहे हैं,
_ कल सब सही होगा के इंतज़ार में कितना इंतज़ार करोगे,
_ मरने वालो के लिए लोग उतने दिन ही रोते हैं.. जितने दिन का लगाव था..
_ उसके बाद सब भूल जाते हैं…!