सुविचार – वरिष्ठ नागरिक – वृद्धावस्था – बुढ़ापा – बड़ी उम्र – जीवन का छाया काल – 049

संभवतः जीवन का छाया काल स्वभावतः निराशा से भरा होता है,

_ क्योंकि जिन आकांक्षाओं के पीछे हम जीवनभर दौड़ते रहते हैं, 

फिर वे फिसल जाते हैं और अर्थहीन लगने लगते हैं ( अनेक बार बोझल भी )

_ और हम जीवन के महत्वपूर्ण लगने वाले उद्देश्यों को निरर्थक पाने लगते हैं..!!

जो लोग एक सकारात्मक जीवन जीते हैं उन पर जल्दी बुढ़ापा नहीं आता,

_ जिनके जीवन में कठिनाइयां और नकारात्मकता अधिक रहती है..

_ वे जीवन से निराश हो जाते हैं और बुढ़ापा जल्दी आ जाता है..!!

*सुखमय वृद्धावस्था *

*1**अपने स्वयं के स्थायी स्थान पर रहें ताकि स्वतंत्र जीवन जीने का आनंद ले सकें!*

*2**अपना बैंक बेलेंस और भौतिक संपत्ति अपने पास रखें! अति प्रेम में पड़कर किसी के नाम करने की ना सोचें।*

*3* *अपने बच्चों के इस वादे पर निर्भर ना रहें कि वो वृद्धावस्था में आपकी सेवा करेंगे, क्योंकि समय बदलने के साथ उनकी प्राथमिकता भी बदल जाती है और कभी कभी चाहते हुए भी वे कुछ नहीं कर पाते*

*4**उन लोगों को अपने मित्र समूह में शामिल रखें जो आपके जीवन को प्रसन्न देखना चाहते हैं, यानी सच्चे हितैषी हों।*

*5**किसी के साथ अपनी तुलना ना करें और ना ही किसी से कोई उम्मीद रखें!*

*6**अपनी संतानों के जीवन में दखल अन्दाजी ना करें, उन्हें अपने तरीके से अपना जीवन जीने दें और आप अपने तरीके से अपना जीवन जीएँ!*

*7**अपनी वृद्धावस्था को आधार बनाकर किसी से सेवा करवाने, सम्मान पाने का प्रयास कभी ना करें।*

*8**लोगों की बातें सुनें लेकिन अपने स्वतंत्र विचारों के आधार पर निर्णय लें।*

*9**प्रार्थना करें लेकिन भीख ना मांगे, यहाँ तक कि रब से भी नहीं। रब से कुछ मांगे तो सिर्फ माफ़ी और हिम्मत!*

*10**अपने स्वास्थ्य का स्वयं ध्यान रखें, चिकित्सीय परीक्षण के अलावा अपने आर्थिक सामर्थ्य अनुसार अच्छा पौष्टिक भोजन खाएं और यथा सम्भव अपना काम अपने हाथों से करें! छोटे कष्टों पर ध्यान ना दें, उम्र के साथ छोटी मोटी शारीरिक परेशानीयां चलती रहती हैं।*

*11**अपने जीवन को उल्लास से जीने का प्रयत्न करें खुद प्रसन्न रहने की चेष्टा करें और दूसरों को प्रसन्न रखें।*

*12**प्रति वर्ष अपने जीवन साथी के साथ भ्रमण/ छोटी यात्रा पर एक या अधिक बार अवश्य जाएं, इससे आपका जीने का नजरिया बदलेगा!*

*13**किसी भी टकराव को टालें एवं तनाव रहित जीवन जिऐं!*

*14**जीवन में स्थायी कुछ भी नहीं है चिंताएं भी नहीं इस बात का विश्वास करें !*

*15**अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को रिटायरमेंट तक पूरा कर लें, याद रखें जब तक आप अपने लिए जीना शुरू नहीं करते हैं तब तक आप जीवित नहीं हैं!*

*खुशनुमा जीवन जीएं*

हर बीस वर्ष के बाद cost of living, ten times बढ़ जाती है

यह एक चुनौती होती है बुजुर्ग अवस्था मे आय के स्रोत को उस स्तर पर बनाए रखना, जिस स्तर पर आपने जीवन जिया, इसके अतिरिक्त बीमारियों का ख़र्च, सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वाह.

मैं यह सुझाव दूंगा कि बैंक में सीनियर सिटीजन डिपाजिट स्कीम में पैसा जमा करें तो अधिक ब्याज मिलेगा, साथ ही मासिक ब्याज की सुविधा होती है, इसी तरह LIC की भी योजना है.

“बुढ़ापा और परिवार”

“परिवार के साथ बुढ़ापा” अच्छे से व शान्ति से काटने के लिए कुछ बातें आप गौर से पढ़िये.

01. “कम बोलिये…” जरूरत न हो तो बिलकुल मत बोलिये.

02. मनचाही वस्तु ना मिलने पर “क्रोध” ना करे.

03. अपनी “धन संपत्ति” का बार बार बखान ना करें.

04. बहू-बेटियों के कार्य में दखल ना करें.

05. यह आशा न करें कि बहू.बेटे हर काम हमसे पूछकर करें.

06. “खाने पीने में संतोषी रहे.” जो मिल जाए, प्रसाद समझ कर ग्रहण करें.

07. किसी पर “अपनी इच्छा थोपने” की कोशिश न करें.

08. “बहू.बेटियों तथा उनके बच्चों से” स्नेह व प्रेम का का व्यवहार करें.

09. बुढापे के कष्ट व बीमारी को कर्मफल समझ कर खुशी खुशी सहन करें.

10. घर पर आए किसी भी व्यक्ति से “अपने घर की कोई बुराई न करें.”

11. बहू.बेटियों के “कटुवचन सुनकर” शांत हो जाएँ और कोई प्रत्युत्तर न दें.

12. अपने स्वास्थ्य के सामर्थ्य अनुसार “बहू.बेटियों के कार्य में” सहयोग करें.

13. “रब को अवश्य याद करते रहें.”

14. ध्यान रहे कि “रब की कृपा से” सब कुछ प्राप्त होता है. “उसका शुकराना करते रहिये. “खाली हाथ आए थे, खाली हाथ ही जाना है, प्रेम से रहकर सबसे रिश्ता निभाना है.

15. अपने परिवार की समस्याएँ “दूसरों के सामने न रखें.”

16. “अपने बीते दिनों के गुणगान” रात-दिन न करें.

17. “प्राकृतिक जीवनशैली अपनाएँ.”

18. ध्यान रहे इच्छा से मृत्यु सबको नहीं प्राप्त होती है, “अतः प्रसन्न व आनन्द में” रह कर बुढ़ापे का जीवन जियें.

19. उम्र के हिसाब से बच्चों के “पूछने के तरीके बदल जाते हैं.” बच्चों के उम्रदराज होने पर “उनके बताने व जानकारी देने को ही” उनके द्वारा पूछना ही समझें.

20. खाँसी सिर्फ बीमारी ही नहीं है, “खाँसी एक तहजीब भी होती है,” एक उम्र के बाद अपनी “उपस्थिति का अहसास” अपने ही घर में कराने के लिए.

“इंसान की सोच” “अगर तंग हो जाती है,”

“तो यह खूबसूरत जिन्दगी” “भी एक जंग हो जाती है.”

बुढ़ापा जब तुम्हे लगने लगे तो, दोस्तों

तुम कोई शौक पाल लो यारों, वरना बुढ़ापा मुश्किल है,,

कम बोलो, ज्यादा सुनो, चल कर किसी को ज्ञान ना दो,,

योग, ध्यान को भी अपना लो यारों, वरना बुढ़ापा मुश्किल है,,

जो भी मिले प्रेम से खाओ, हर किसी को ना अपने जख्म बताओ,,

तन्हा मुस्कुराना सीख लो यारों, वरना बुढ़ापा मुश्किल है,,

कमाई के साथ साथ करो बचत, जाने कब स्वास्थ जाए अटक,,

दो चार सच्चे दोस्त बना लो यारों, वरना बुढ़ापा मुश्किल है,,

तुम कोई शौक पाल लो यारों, वरना बुढ़ापा मुश्किल है,,

बुढ़ापा एक स्वागत योग्य अपेक्षा है लेकिन यह एक गुजरता हुआ दौर भी है जो आपकी जीवन शैली को बदल देता है !!!

Ageing is a welcome expectation but it is also a passing phase that changes your life style !!!

बुढापा बुरे विचारों और चिंता करने से ज्यादा आता है बजाए आयु की अधिकता के !!
अपनी जिंदगी एक रूटीन में जिएं ताकि परिवार वाले अच्छी तरह आपकी देखभाल कर सकें.
जीवन का मधुकोश भी एक दिन रिक्त हो उठता है..

_ जिन्होंने इसे बनाया, सजाया होता है.._वह इसे छोड़ जाते हैं !!

समय निकालकर बड़ों से बात कर लिया करो, _

_ पुरानी बिल्डिंगों को थोड़ा रख रखाव चाहिए,

*बुढापा*

🤷‍♀सुबह सुबह किसी ने द्वार खटखटाया,

मैं लपककर आया,

जैसे ही दरवाजा खोला

तो सामने * बुढ़ापा खड़ा * था,

भीतर आने के लिए,

जिद पर अड़ा था..😔

मैंने कहा :

नहीं भाई ! अभी नहीं😔

“ अभी तो * मेरी उमर * ही क्या है..”

वह हँसा और बोला :

* बेकार कि कोशिश * ना कर,

मुझे रोकना नामुमकिन है…

मैंने कहा :

“.. अभी तो कुछ दिन रहने दे,

अभी तक * दूसरो के लिए जी * रहा हूँ ..

अब अकल आई है तो कुछ दिन

* अपने लिए और दोस्तों*

के साथ भी जीने दे..”

* बुढ़ापा हंस कर बोला * :

अगर ऐसी बात है तो चिंता मत कर..

* उम्र भले ही तेरी बढ़ेगी *

मगर बुढ़ापा नहीं आएगा,

*तू जब तक दोस्तों के साथ जीएगा*

* खुद को जवान ही पाएगा..***….

*वरिष्ठ यानि 60 से अधिक वर्ष वालों के लिए विशेष टिप्स:*

*1- पहला सुझाव:* प्यास न लगे या जरूरत न हो तो भी हमेशा पानी पिएं, सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं और उनमें से ज्यादातर शरीर में पानी की कमी से होती हैं। 2 लीटर न्यूनतम प्रति दिन.
*2- दूसरा सुझाव:* शरीर से अधिक से अधिक काम ले, शरीर को हिलना चाहिए, भले ही केवल पैदल चलकर, या तैराकी या किसी भी प्रकार के खेल से।
*3-तीसरा सुझाव:* खाना कम करो…अधिक भोजन की लालसा को छोड़ दें… क्योंकि यह कभी अच्छा नहीं लाता है। अपने आप को वंचित न करें, लेकिन मात्रा कम करें। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट आधारित खाद्य पदार्थों का अधिक प्रयोग करें।
*4- चौथा सुझाव:* जितना हो सके वाहनका प्रयोग तब तक न करें जब तक कि अत्यंत आवश्यक न हो. आप कहीं जाते हैं किराना लेने, किसी से मिलने या किसी काम के लिए अपने पैरों पर चलने की कोशिश करें। लिफ्ट, एस्केलेटर का उपयोग करने के बजाय सीढ़ियां चढ़ें।
*5- पांचवां सुझाव* क्रोध छोड़ो, चिंता छोड़ो,चीजों को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करो. विक्षोभ की स्थितियों में स्वयं को शामिल न करें, वे सभी स्वास्थ्य को कम करते हैं और आत्मा के वैभव को छीन लेते हैं। सकारात्मक लोगों से बात करें और उनकी बात सुनें।
*6- छठा सुझाव* सबसे पहले पैसे का मोह छोड़ दे । अपने आस-पास के लोगो से खूब मिलें जुलें हंसें बोलें!पैसा जीने के लिए बनाया गया था, जीवन पैसे के लिए नहीं।
*7-सातवां सुझाव* अपने आप के लिए किसी तरह का अफ़सोस महसूस न करें, न ही किसी ऐसी चीज़ पर जिसे आप हासिल नहीं कर सके, और न ही ऐसी किसी चीज़ पर जिसे आप अपना नहीं सकते ।
इसे अनदेखा करें और इसे भूल जाएं।
*8- आठवां सुझाव* पैसा, पद, प्रतिष्ठा, शक्ति, सुन्दरता, जाति की ठसक और प्रभाव;
ये सभी चीजें हैं जो अहंकार से भर देती हैं. विनम्रता वह है जो लोगों को प्यारसे आपके करीब लाती है।
*9- नौवां सुझाव* अगर आपके बाल सफेद हो गए हैं, तो इसका मतलब जीवन का अंत नहीं है। यह एक बेहतर जीवन की शुरुआत हो चुकी है। आशावादी बनो, याद के साथ जियो, यात्रा करो, आनंद लो। यादें बनाओ!
*10- दसवां सुझाव* अपने से छोटों से भी प्रेम, सहानुभूति ओर अपनेपन से मिलें! कोई व्यंग्यात्मक बात न कहें! चेहरे पर मुस्कुराहट बनाकर रखें ! अतीत में आप चाहे कितने ही बड़े पद पर रहे हों वर्तमान में उसे भूल जाये और सबसे मिलजुलकर रहें !
इस वरिष्ठ नागरिक उम्र में कोई नहीं आना चाहता लेकिन यह मौसम उन सब की जिंदगी में अवश्य आता है जो अधबीच में टपक नहीं जाते। यह मौसम खुशनुमा नहीं होता क्योंकि खुशियां कम हो जाती हैं। किसी का जोड़ा टूट जाता है, किसी की संतान दूर चली जाती है, किसी को शारीरिक स्वास्थ्य की समस्याएं घेर लेती हैं।
सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि दिमाग जितना तेज चलता है उतना शरीर नहीं चलता। दिल दीवाना होता है लेकिन शरीर साथ नहीं देता। मन मसोसकर रह जाना पड़ता है, क्या करें?
घर में पूछपरख कम हो जाती है, आदरभाव कम हो जाता है, बातों का वजन कम हो जाता है। संसार की अन्य चिंताओं के बदले सुबह पेट साफ होने की फिक्र बढ़ जाती है।
कुल मिलाकर कठिन दिन शुरू हो जाते हैं जिनका बीतना और भी कठिन हो जाता है।
इन कठिनाईयों को आसान बनाकर जिया जा सकता है बशर्ते समयानुकूल व्यवहार करना सीख लिया जाए। अपनी इज्जत अपने हाथ में।
रिटर्नजर्नी टिकट तो तैयार है, बस, तारीख नहीं मालूम है। मालूम करने का कोई उपाय भी नहीं है तो जितनी सांसे बची हैं, प्रेमपूर्वक ली और छोड़ी जाएँ, इसी में भलाई है वरिष्ठ नागरिकों की।
— द्वारिका प्रसाद अग्रवाल
दिन आए निखार के :

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यह जीवन एक चक्र है जो आरंभ हुआ है तो पूरा भी होगा.
_ बचपन के बाद किशोरावस्था, युवावस्था के पश्चात प्रौढ़ावस्था और उसके बाद वृद्धावस्था- ये वर्तुल है जो सबको देखना है.
_ यह उम्र हमारी कड़ी परीक्षा लेता है क्योंकि शरीर कमजोर पड़ रहा है, थकान बढ़ गई है, उदासी घेर रही है.
_ कमाई-धमाई बंद हो चुकी है, शारीरिक कष्ट बढ़ रहे हैं- बीमारी, घुटनों में दर्द, कमर में जकड़न, पेट साफ न होना, नीद न आना, कम दिखना, कम सुनाई पड़ना जैसी अनेक समस्याएँ हैं.
_ इनके साथ-साथ इस उम्र में एक और बड़ी समस्या रहती है कि अपना समय कैसे काटें ?
_ लोगों की नज़रें भी बदली-बदली दिखाई पड़ती है, उपेक्षा होती है, मान-सम्मान कम होता दिखाई पड़ता है.
— हमारी कई इच्छाएँ और अभिलाषाएँ अपना पेट भरने की तलाश में अधूरी रह गई थी, उन्हें पूरा करने का यह सबसे माकूल समय है.
_ इस उम्र में अब आप दबावमुक्त हैं, स्वतंत्र हैं, आपके पास समय ही समय है, अपने मन की अधूरी आस पूरी कर डालिए.
_ संगीत सीखना चाहते थे या गाना, फोटोग्राफी करना चाहते थे या पेंटिंग, कविता लिखना चाहते थे या लेख, बागवानी करना चाहते थे या खेती, व्यापार करना चाहते थे या नौकरी, तीर्थ करना चाहते थे या विश्व भ्रमण, परिवार की देखरेख करना चाहते थे या जनसेवा > अपने मन का कर डालिए, अच्छा मौका है.
_ यह अवसर अधिक दिन के लिए नहीं मिला है क्योंकि आपके पास समय कम है.
— जैसे-जैसे आप की उम्र बढ़ेगी, आपकी उम्मीदें भी बढ़ेंगी, यही आपको दुख पहुंचाएंगी.
_ अब खुद से और दूसरों से भी उम्मीदें करना बंद करिए.
_ इस उम्र में आपको कोई पहचान ले, जो जितना कर दे, उतना बहुत है.
_ सारा संसारिक व्यवहार उपयोगिता पर आधारित है, यदि आपकी उपयोगिता समाप्त हो गई है तो चुप बैठिए या जैसा संभव हो, खुद को उपयोगी बनाइए.
_ घर के कई काम अभी भी आप अपने हाथ में ले सकते हैं, ले लीजिए.
_ आपके आसपास अब आपको खुशियाँ खोजनी होंगी, खोजिए, आनन्द सब तरफ बिखरा हुआ है, अपना नज़रिया बदलिए, बहुत कुछ नया दिखाई पड़ेगा.
_ टीका-टिप्पणी करने का सोच और बोल आपके लिए अब घातक है,
_ इस आदत को तुरंत ‘फुल स्टाप’ कर दें अन्यथा आपका शेष जीवन जीना दूभर हो जाएगा, अब आपका रुतबा नहीं चलने वाला !
— जैसा बचपन था, जवानी थी, वैसा ही यह बुढ़ापा है- जीवन का सर्वाधिक महत्व वाला हिस्सा.
_ इसे तटस्थ होकर देखिए कि यह कैसा गुजर रहा है !
_ असुविधा और तकलीफ़ों पर नज़र गड़ाए रखेंगे तो वे आपके दिमाग पर हावी रहेंगे, आपका चैन छीन लेंगे.
_ ‘जो हो रहा है,वह सही है’ – की सोच बनाइए, तब ही आपका मन शांत रहेगा वरन नए जमाने का व्यवहार, बातचीत, आदतें और वेषभूषा- आपको ये सब तकलीफ देने वाले हैं.
_ नया ज़माना अपने ढंग से चलेगा, आपके कहने से नहीं.
_ उन्हें अपना काम करने दें, आप अपना काम करें.
— आपके पास सबसे प्रबल विकल्प है- आपका दीर्घ अनुभव.
_ इस अनुभव का उपयोग खोजें.
_ अब आप युवा नहीं हैं, इसे समझते हुए अपनी क्षमता और योग्यता का आकलन करके उसके अनुरूप काम खोजिए.
_ आप नई पीढ़ी को बहुत कुछ सिखा सकते हैं, उन्हें बहुत कुछ देकर जा सकते हैं.
_ बच्चों को पढ़ा सकते हैं, उनके साथ खेल सकते हैं, खेल सिखा सकते हैं.
— स्वयं स्वस्थ रहें और दूसरों को स्वस्थ रहने के उपाय सिखाएं,
_ व्यायाम और योग से जोड़ें, उन्हें खानपान की अच्छी आदतों से जोड़ें. मोहल्ले के बच्चों और युवाओं से दोस्ती बनाएं और निभाएं, यह बहुत रोचक काम है.
_ ‘लायब्रेरी’ से जुड़ें और विविध विषयों पर नई जानकारियां लें और उन्हें युवाओं में वितरित करें.
_ इस बात का सदैव ध्यान रखें कि आपके पास समय ही समय है लेकिन शेष लोगों के पास नहीं है,
_ इसलिए उनके समय के महत्व को समझते हुए उन पर बोझ न बनें,
_ अन्यथा लोग आपसे बिदकने लग जाएंगे और आपको देखते ही मन-ही मन में कहेंगे- ‘बुढ़ऊ आ गया दिमाग चाटने !
— घर के काम सम्भालना आरम्भ करें.
_ सुबह जागने के बाद बिस्तर, चादर, रजाई-कम्बल और मच्छरदानी अपने हाथों से समेटें, अपने हाथ से सुबह की चाय सबके लिए बनाएं, ड्राइंगरूम को व्यवस्थित कर दें लेकिन शान्तिपूर्वक ताकि किसी को ‘डिस्टर्वेंस’ न हो.
_ सुबह सैर के लिए निकल सकते हैं, किसी सार्वजनिक स्थान में जाएं और नए लोगों से पहल करके मित्रता स्थापित करें.
_ व्यायाम करें, चर्चा में भाग लें और प्रकृति की खूबसूरती को निहारें.
_ दोनों हाथों को आकाश की ओर उठाकर खुद में उसकी विशालता को समेटने का प्रयास करें और दृश्यमान देवता सूर्य को प्रणाम करें.
— अपने काम खुद करने का प्रयास करें.
_ किसी पर बोझ न बनें बल्कि सहायक बनने का उपक्रम करें.
_ याद रखिए, आपका शरीर तनिक वृद्ध हो चला है, मन अभी युवा है- उसकी ताज़गी बनाए रखें लेकिन सतर्कता के साथ !
_ हर समय मुस्कुराने की आदत बना लें तो आप भी खुश और दूसरे भी.
— अंत में, मृत्यु के स्वागत के लिए हर समय तैयार रहें.
_ आप अपनी पारी खेल चुके, अब नए लोगों को मौका देना है.
_ मृत्यु का आगमन एक सुखद अंत है- इस कष्टप्रद शरीर का. शरीर से मुक्त होना अपने जन्म से मुक्त होना है, वर्तुल तो पूरा होगा, होने दीजिए.
_ जो आप कर सके, वह आपने कर लिया,
_ अब मुक्ति के आगमन के उत्सव को मनाने की तैयारी में भिड़ जाएँ.
– -द्वारिका प्रसाद अग्रवाल
युवावस्था में हसरतें कम होती हैं ..क्योंकि खुशी हो, ग़म हो, ज़िन्दगी स्वतः जी जाती है, _ सब कुछ अपने आप होता रहता है, जैसे नदी बहती है अपने आप..

_ _ रास्ते में चट्टान भी आ जाए तो इधर-उधर से रिसने की जगह निकल ही आती है.
_ जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, ज़िन्दगी स्वतः बहनी बन्द हो जाती है.
_ फिर ज़िन्दगी अपने आप आगे नहीं बढ़ती, उसे आगे की ओर खींचना पड़ता है.
_ इसीलिए बड़ी उम्र में हसरतें ज़्यादा होती हैं, __क्योंकि हसरतों के बल पर ही ज़िन्दगी आगे खींची जाती है.
_ सच तो यह है कि हसरतें भी अपने अमूर्त रूप में रह जाती हैं, उन्हें पूरा करने के लिए शरीर भी साबुत नहीं रहता.
_ फिर भी इन हसरतों का होना ज़रूरी है.
_ ये हसरतें भी न हों तो कोई जिए कैसे ?
_ इन तमन्नाओं को दफ़न कर देंगे तो ..जो और कुछ समय जीना है, वह कैसे जिएँगे ?
_ बड़ी उम्र में अपना शरीर तो अपने साथ गद्दारी करता ही है, अब ये हसरतें भी न हों तो ?

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