सुविचार – धोखा – 055

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कुदरत जब किसी के साथ किये गए धोखे की सजा देती है तो, _

_ याद रखना, बोलने लायक तो दूर, इंसान को रोने के काबिल भी नहीं छोड़ती.

जो इंसान खुद बोलकर अपने ही कहे हुए शब्दों से मुकरता है, _ उस इंसान पर कभी विश्वास ना करना ;

_ वो इंसान वक्त पर आपको धोखा देगा..

धोखा कोई कितना भी दे दे अपनो को _ एक दिन दुख ही पायेगा, _

_ चैन किसी का छीन कर _ कोई कितना जश्न मनाएगा.

धोखा खाने वाला उतना नहीं खोता,

_जितना धोखा देने वाला खोता है.!!

जो धोखा दे गया उसकी यादों में मरने से हज़ार गुना अच्छा है, _

_ जो साथ है उसके साथ सुकून से जी लिया जाये.

धोखा उन्हीं को मिलता है, जो अपनी कमजोरियों को _

_ हर किसी के सामने तुरन्त उजागर कर देते हैं !!!

धोखा देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है… और ऐसे ही चलती रहेगी,

_बस तरीके और नजरिए बदलते रहते हैं.

जिसने ये पाठ पढ़ लिया हो कि धोखा खा लूंगा,

_धोखा दूंगा नहीं उसे किसी परिस्थिति से घबराने की ज़रूरत नहीं.

कुछ लोग इतने गरीब होते हैं की…_ देने के लिए कुछ नहीं होता तो धोखा दे देते हैं…
धोखे से और धोखे में जीने से अच्छा है, अकेले जिओ ; सकून से जिओ.
धोखा कभी मरता नहीं _ आज आप दोगे _ कल आपको भी मिलेगा…!!
धोखे का दाग नहीं मिटता, भूल का दाग मिट जाता है..!!
धोखा देना वाला हमेशा खुद को ही छलता है.

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