तुम समझदार हो, कह कह के ये दुनिया हमसे हमारे तमाम हक़ छीन लेती है.
_ तुम समझदार हो तो वो सब छोड़ते जाओ जो तुम्हारा था.
_ तुम समझदार हो तो तकलीफ़ होने पर रोने का हक़ छीन लिया जाता है.
_ तुम समझदार हो तो रिएक्ट करने का हक़ भी छीन लिया जाता है.
_ तुम समझदार हो तो कुछ मांग नहीं सकते.
_ तुम समझदार हो तो अपनी तकलीफ़ कह नहीं सकते, क्योंकि किसी और को बुरा लग सकता है.
_ तुम समझदार हो तो चुप रहो.
_ और एक दिन समझदार इंसान इतना ख़ामोश हो जाता है कि उसी ख़ामोशी में ख़त्म हो जाता है.
_ और फिर हमारे आसपास वाले कहते हैं अरे वो तो चुप ही रहती/रहता था..
_ कुछ कहती/कहता ही नहीं थी, कुछ पता ही नहीं चलता था.
_ ख़ैर समझदारी का मतलब ख़ुद को ख़त्म कर देना है.
– Nida Rahman