हमारे पास कपड़ों की इतनी अलग-अलग वस्तुएं और हमारी ज़रूरत से कहीं ज़्यादा चीज़ें क्यों हैं ?
_ क्या ऐसा इसलिए है _क्योंकि हम उन सभी से प्यार करते हैं _ या हमें इतनी सारी शर्ट या जूते की ज़रूरत है ?
_ नहीं, हम उन्हें खरीदते हैं _क्योंकि हम बदलते फैशन के साथ बने रहने की कोशिश कर रहे हैं,
– वही बदलती शैलियाँ जिनके बारे में फैशन उद्योग ने हमें बताया था कि _हमें स्टाइल में बने रहने की जरूरत है.
_ हर बार, हम अपने आप को उस चीज़ की चाहत में पाते हैं _जो वर्तमान में हमारे पास नहीं है ;
_ हम उस पर केंद्रित हो जाते हैं जो हमारे पास नहीं है, और जो अच्छाई हम में पहले से ही है, __ उस पर से अपना ध्यान खो देते हैं.
_ यदि, मनुष्य के रूप में, हम मानते हैं कि केवल कुछ नया प्राप्त करके उच्च स्तर की खुशी पाई जा सकती है, तो हम हमेशा निराश होंगे.
_ हमारी आंतरिक आवाज़ इस तरह कभी संतुष्ट नहीं होगी.
_ कोई भी चीज़ कभी भी पर्याप्त अच्छी नहीं होती…. क्योंकि हमारे अंदर लगातार असंतोष भड़कता रहता है.
_ इस प्रकार आंतरिक और बाह्य दोनों ही दृष्टियों से हमारे हृदय, मन और आत्मा में निरन्तर असन्तोष भड़कता रहता है।
_ इस असंतोष के परिणामस्वरूप क्या होता है कि _ हम जल्दी ही अपने आस-पास की और अपनी अच्छाइयों को नज़रअंदाज कर देते हैं.