सुविचार – पर्व – त्यौहार – उत्सव – हर्षोल्लास दिवस – फेस्टिवल- Festival – 084 | Mar 15, 2014 | सुविचार | 0 comments जिस दिन आपने खुल कर के अपनी जिंदगी जी ली बस वही त्यौहार है… ..बाकी सब कैलेंडर की डेट्स हैं… कोई भी उत्सव इतना खास नहीं होता, अच्छे से जीया गया जीवन ही खास होता है..!! जीवन एक यात्रा है, और यह यात्रा अकेले नहीं की जाती.. इसे उत्सव बनाइए..! _ जब किसी के साथ हैं, तो सिर्फ़ शारीरिक रूप से ही नहीं, मन का साथ दीजिए.. क्योंकि असली साथ वही है.!! उत्सव का कारण कभी भी और हर समय बनाया जा सकता है. जीवन सुंदर है उन लोगों के कारण _ जो साधारण खुशियों को बड़े उत्सवों में बदलने की कला जानते हैं. प्रसन्न रहना, संतुष्ट रहना, शांत रहना, उत्साहित रहना, जीवन उत्सव के रंग हैं. इसलिए हर पल को जी भरकर जीओ, हर दिन महोत्सव है. पहले त्यौहार में उतना थोड़ा भी बहुत ज्यादा होता था, _ _ अब बहुत ज्यादा में उतना बहुत की खुशी गुम सी है..!! त्यौहार, पर्व, उत्सव, चाहे उनका ताल्लुक देश से हो या व्यक्तिगत खास अवसरों से, जीवन में खुशियाँ लाते हैं. हमें ये खुशी के अवसर कभी नहीं छोड़ने चाहिए.. _ जब हम इन्हें सेलिब्रेट करते हैं तो हमारे ख़ुशी के पल बढ़ जाते हैं. किसी भी पर्व, त्यौहार या ख़ास अवसर में ऐसा कुछ न करें ..जिससे किसी की या आपकी ही ज़िंदगी तबाह हो जाए. _ आप ख़ास अवसर को मनाएं, पूरे हर्षोल्लास से मनाएं. _ लेकिन सावधानी का साथ ..एक पल को भी न छोड़ें. _ जीवन अनमोल है, और ज़रा-सी लापरवाही जीवनभर का दर्द दे सकती है. अब तो सभी त्यौहार हर साल आते हैं, चुपके से गुजर जाते हैं, _ऐसा क्यों हो रहा है पिछले कई वर्षों से ? पहले अपनी भीनी-भीनी खुशबू छोड़ कर जाते थे. _ और अब ? अब क्या हो गया है जो यह त्यौहार पहले जैसे नहीं रहे ? अब तो त्योहारों पर बधाई और शुभकामनाएँ लेने-देने का व्यवहार बच गया है, जो थोड़ी-बहुत खुशी दे जाता है ; _ चलिए, इसी खुशी को मना लूँ मैं..!! पर्व- त्योहार होते रहना चाहिए.. _ नहीं तो निगेटिविटी और नीरसता आ जायेगी। _ और कितने लोगों के आमदनी पर फ़र्क पड़ने लगेगा; _ हर समय पर्व- त्यौहार का ध्यान रहता है, _ बड़ी बड़ी कम्पनियां ही नहीं छोटे मोटे धन्धे वालों को भी इन्तजार रहता है, _ पर्व- त्यौहार का कि थोड़ा ज्यादा और महंगी बिक्री होगी और कुछ पैसे बच जायेंगे। _ त्यौहार के बहाने ही सही कपड़े और श्रृंगार के सामान के साथ कुछ जरूरी सामान भी आ जायेगा..!! कोई भी दिवस हो, कोई भी कार्यक्रम हो ..उसमें लगने वाला समय ..आटे में नमक जितना होना चाहिए, _ यानी मुख्य कार्य कभी बाधित न हो ..इसका खयाल रखना चाहिए.. _त्योहार, दिवस, पर्व मनाइए …पर ध्यान रहे इसे गौण [secondary] और जीवन को प्रमुख स्थान दें.. ..बाकी बड़ी बड़ी बातें, तर्क करने के लिए कुछ भी कहा जा सकता है.. _ अपवादों की बात नहीं करिए, अधिकतर क्या हो रहा ..उसपर विचार करिए न !!… — हमें न गरीबी चाहिए और न ही अमीरी; _हमें हमारे लिये सुविधाजनक जीवन चाहिए.!! त्योहारों को मनाना हमारी परम्परा है लेकिन अब उनमें आवश्यक परिवर्तन ज़रूरी हैं. पानी, दूध, अनाज, विद्युत ऊर्जा [ इलेक्ट्रिक ] या पेट्रोल- डीज़ल की बर्बादी और पर्यावरण की अशुद्धता- ऐसी समस्या है, _जिस पर हम यदि गंभीर नहीं हुए तो आने वाली पीढ़ी हमारी लापरवाही को भुगतेगी. _हमें अपने ‘साक्षर’ नहीं, सुशिक्षित होने का व्यवहार करना चाहिए. _एक कहावत है- `बचाया हुआ यानी कमाया हुआ.’ Submit a Comment Cancel reply Your email address will not be published. Required fields are marked *Comment Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ