सुविचार – पर्व – त्यौहार – उत्सव – हर्षोल्लास दिवस – फेस्टिवल- Festival – 084

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जिस दिन आपने खुल कर के अपनी जिंदगी जी ली बस वही त्यौहार है…

..बाकी सब कैलेंडर की डेट्स हैं…

कोई भी उत्सव इतना खास नहीं होता,

_अच्छे से जीया गया जीवन ही खास होता है..!!

उत्सव का कारण कभी भी और हर समय बनाया जा सकता है.
जीवन सुंदर है उन लोगों के कारण _ जो साधारण खुशियों को बड़े उत्सवों में बदलने की कला जानते हैं.
प्रसन्न रहना, संतुष्ट रहना, शांत रहना, उत्साहित रहना, जीवन उत्सव के रंग हैं. इसलिए हर पल को जी भरकर जीओ, हर दिन महोत्सव है.
अब तो सभी त्यौहार हर साल आते हैं, चुपके से गुजर जाते हैं, _ऐसा क्यों हो रहा है   पिछले कई वर्षों से ?

पहले अपनी भीनी-भीनी खुशबू छोड़ कर जाते थे.

_ और अब ? अब क्या हो गया है जो यह त्यौहार पहले जैसे नहीं रहे ?

अब तो त्योहारों पर बधाई और शुभकामनाएँ लेने-देने का व्यवहार बच गया है, जो थोड़ी-बहुत खुशी दे जाता है ; _ चलिए, इसी खुशी को मना लूँ मैं..!!

त्योहारों को मनाना हमारी परम्परा है लेकिन अब उनमें आवश्यक परिवर्तन ज़रूरी हैं.

पानी, दूध, अनाज, विद्युत ऊर्जा [ इलेक्ट्रिक ] या पेट्रोल- डीज़ल की बर्बादी और पर्यावरण की अशुद्धता- ऐसी समस्या है,

_जिस पर हम यदि गंभीर नहीं हुए तो आने वाली पीढ़ी हमारी लापरवाही को भुगतेगी.

_हमें अपने ‘साक्षर’ नहीं, सुशिक्षित होने का व्यवहार करना चाहिए.

_एक कहावत है- `बचाया हुआ यानी कमाया हुआ.’

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