सुबह की पहली किरण जब आंखों में पड़ती है, तो सबसे पहले मैं सांस लेता हूं…फिर मुस्कुराता हूं.!
_ कारण ? बस इतना कि मैं हूं… मैं ज़िंदा हूं.
_ रात और सुबह के बीच एक पतली-सी डोर होती है, जो सबको पार नहीं करने देती.
_और मैं… खुली आंखों से यह नया दिन देख पा रहा हूँ.
_ क्या यह किसी चमत्कार से कम है ? “नहीं”
_ यह तो रोज़ मिलने वाला एक अनमोल तोहफ़ा है, जिसे हम अक्सर खोलना ही भूल जाते हैं
_ मैं चारों तरफ देखता हूं – कोई अपना दिख जाए तो उसकी तरफ मुस्कुराहट भेज देता हूं.
_ क्योंकि पता है, एक दिन आएगा जब या तो मैं नहीं रहूंगा, या वो नहीं रहेंगे.
_ उस दिन की उदासी से बचने का एक ही तरीका है, आज के साथ को पूरे दिल से जीना.
_ बाहर पेड़ों पर ओस टपक रही होती है,पत्तों पर हल्की धूप खेल रही होती है.
_ ये भी कल रात सोए थे, और आज मेरे साथ उठे हैं.
_ जीवन हर सुबह हमें चुपचाप यह कहता है, तुम्हारे पास एक और दिन है.
_ प्यार करने का, गले लगाने का, धन्यवाद कहने का, और हां… मुस्कुराने का..
_ कुछ नया सीखने का, अपने काम को कल से थोड़ा और बेहतर करने का,
_ और अपने सपनों को हकीकत के एक कदम और करीब लाने का।
_ क्योंकि एक दिन ऐसा भी आएगा,
_ जब सुबह तो होगी… लेकिन हम नहीं होंगे.
_ इसलिए आज का दिन पूरे दिल से जी लो, जैसे यही तुम्हारी आख़िरी सुबह हो.!!