_ एक-दूसरे का कांधा..जीवन के हर बोझ को हल्का कर देता है..!!
_ बवाल तो पति-पत्नी के रूप में ही करते हैं.!!
_ और पति बनने का अधिकार उसे है जो कभी किसी लड़की के करियर में बाधा न बने और उसे केवल चूल्हे-चौके तक ही सीमित न रखे.
__ छोटी- छोटी बातें परस्पर प्रेम में महत्वपूर्ण कार्य अदा करती हैं..!
_ जरुरी यह है कि दोनों को बेमेल विचारों के साथ रहना आता हो.
_ पर साथ तो चाहिए, अकेलापन नहीं _ फिर समझौता बेस्ट है..!!
_ दोनों को एक दुसरे का साथ देना चाहिए”
_ कि लड़ाई जब दो में हो तो तीसरे को पता नहीं चलना चाहिए..!
बुद्धिमानी तो गलतियां सुधार कर गृहस्थी चलाने में होती है, _ बहस से मात्र समस्याएं उत्पन्न होती हैं.
_ बार बार कमियों को इंगित करने से परस्पर मनमुटाव बढता है, _और फिर जीवन जिया नहीं गुजारना पङता है.
_ नज़रअन्दाज़ भी ऐसे करते हैं की दूसरे को बुरा ना लगे और इन्ही विचारों के साथ अपनी जिंदगी का पूरा समय हंसी ख़ुशी व्यतीत कर जाते हैं !
- वो भी एक सामान्य स्त्री के तलाश में हैं, जो विषम परिस्थितियों में साथ रहे और…उसे सहारा दे, _ गर रोए तो उसे कायर न समझ कर…श्रद्धा और प्रेमभाव से हर ले _उसके दिल के तमाम दुखों और पीड़ाओं को..
अगर आपस में मशवरा करके जिंदगी के फैसले मिल कर लिए जाएं तो पूरी जिंदगी सकून से गुजरेगी ..!!
_ हां, समझदारी एक जैसी हो सकती है.!!
_खास तौर से पति-पत्नी का रिश्ता ;
_ यह रिश्ता शरीर से होते हुए मन और मन से होते हुए आत्मा से जुड़ता है ;
_ इस जुड़ाव के लिए दोनों का शरीर किसी पुल की तरह काम करता है जो दो छोरों को मिलाता है और मन से आत्मा तक की यात्रा सम्पन्न करवाता है.




