सुविचार – *छोटा सा मोहल्ला मेरा पूरा बिग बाजार था.* – 1081

*छोटा सा मोहल्ला मेरा,* *पूरा बिग बाजार था !*

*एक नाई, एक मोची, एक सुनार,* *एक कल्लू लुहार था.*
*छोटे छोटे घर थे पर,* *हर आदमी बङा दिलदार था.*
*कहीं भी रोटी खा लेते थे,* *हर घर मे भोजऩ तैयार था.*
*बड़ी, गट्टे की सब्जी मजे से खाते थे,* *जिसके आगे शाही पनीर बेकार था.*
*ना कोई मैगी ना पिज़्ज़ा…* *झटपट पापड़, भुजिया, आचार, या फिर दलिया तैयार था.*
*नीम की निम्बोली और बेरिया सदाबहार था.*
*रसोई के परात या घड़े को बजा लेते,* *नीटू पूरा संगीतकार था.*
*मुल्तानी माटी लगा पोखर में नहा लेते,* *साबुन और स्विमिंग पूल सब बेकार था.*
*और फिर कबड्डी खेल लेते,* *हमें कहाँ क्रिकेट का खुमार था.*
*अम्मा से कहानी सुन लेते,* *कहाँ टेलीविज़न और अखबार था.*
*भाई-भाई को देख के खुश था,* *सभी लोगों मे बहुत प्यार था.*
*छोटा सा मोहल्ला मेरा पूरा बिग बाजार था.*

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