सुविचार – भीड़ – Crowd – 132 | Apr 3, 2014 | सुविचार | 0 comments जो सुकून अज्ञात बन कर रहने में है न, वो भीड़ में कहाँ.!![ भीड़ अब सिर्फ जगहों में नहीं, हमारे जीवन में बस गई है – हर मोड़ पर धक्का, हर कदम पर हुज्जत, हर दिन किसी न किसी अपमान को निगल जाना.. _ लंबी लाइनों में खड़े होना अब मजबूरी नहीं, हमारी नई आदत बन गई है. _ अजीब बात यह है कि हम इतने अभ्यस्त हो चुके हैं कि यह सब अब असामान्य भी नहीं लगता. _ मानो भीड़ सहना ही हमारी सबसे बुनियादी शर्त बन गई हो.!! Submit a Comment Cancel reply Your email address will not be published. Required fields are marked *Comment Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ