सुविचार 1902

“संकल्प और समर्पण” दो जुड़े हुए कमरो के समान है जिसमे बीच मे एक मात्र द्वार है …..

क्यूँकि बिना “समर्पण” के संकल्प नहीं हो सकता और न ही बिना “संकल्प” के समर्पण …

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