सुविचार – तारीख़ – तारीख – 3019

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अपने मरने के दिन न गिनें, ये न सोचें कि अब बीस साल बचे हैं, अब दस साल बचे हैं और अब पांच साल बचे हैं. बस वर्त्तमान में भरपूर जीयें.

हमें यह समझना होगा कि जिस दिन को हमने खुल कर जी लिया, वही ख़ास दिन है. बाकि तो सिर्फ तारीखें हैं, जो आयेंगीं और जायेंगी. बेहतर है कि हम रोज खुल कर जीयें.

कोई तारीख़ किसी के लिए तोहफ़ा लेके आती है, उससे उसकी तमाम खुशियां जुड़ी होती हैं,  _और वही तारीख़ किसी दूसरे शख़्स के लिए दर्द, तकलीफ़ से भरी होती है.

एक ही तारीख अलग अलग रंग लिए होती है.

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