सुविचार 3139

अकेले हम बूँद हैं, मिल जाएं तो सागर हैं ;

अकेले हम धागा हैं, मिल जाएं तो चादर हैं ;

अकेले हम कागज हैं, मिल जाएं तो किताब हैं;

” जीवन का आनन्द मिलजुल कर रहने में ही है ”

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