सुविचार 392

जो दूसरों के कामों की  आलोचना में ही लगे रहते हैं, वे अपना समय तो व्यर्थ खोते ही हैं, दोष देखने की उनकी आदत बन जाती है और जिनको दूसरों में दोष ही दीखते हैं, उनके ह्रदय की जलन कभी मिट ही नहीं सकती.

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