सुविचार 597 | Jan 9, 2015 | सुविचार | 0 comments मनुष्य जिस तरह की बातें सोचने लगता है, उसी तरह की उसकी विचार धारा बन जाती है और जिस तरह की विचार धारा बन जाती है, उसी तरह का वह जीवन जीने लगता है. Submit a Comment Cancel reply Your email address will not be published. Required fields are marked *Comment Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ