आ_अब_लौट_चलें..
_ जीवन के लगभग 40 साल बीतने पर नई पीढ़ी आ जाती है और हम “हमारे ज़माने में” कहने की सुविधा प्राप्त कर लेते हैं.
_ तो ! हमारे ज़माने में ऐसी गुंडागर्दी न थी.
_ प्यार मुहब्बत थे, दिल मिलने, न मिलने की बातें थीं.. लेकिन भई, मार-काट डालने की खबरें हमने नहीं सुनी थीं.
_ हमारे ज़माने में हम निर्द्वंद जीते थे, कहीं घूम-फिर लें, हमें कतई डर नहीं लगता था.
_ आजकल घर के अंदर घुसे रहते हैं.. तो भी डर लगता है.
_ अपने लिए नहीं तो बच्चों के लिए ही डर लगता रहता है.
_ इससे सिद्ध होता है कि ‘हमारा ज़माना अच्छा था’
– Manika Mohini