सुविचार – पृथ्वी – प्रकृति – कुदरत – अस्तित्व – सृष्टि – नेचर – Nature – पर्यावरण – Environment – 054

प्रकृति स्वागत करते हुए हमारी ओर बढ़ती है, और हमें उसकी सुंदरता का आनंद लेने के लिए कहती है; लेकिन हम उसकी चुप्पी से डरते हैं और भीड़ भरे शहरों में भाग जाते हैं, _वहां एक क्रूर भेड़िये से भागती भेड़ों की तरह छिपने के लिए.!!

Nature reaches out to us with welcoming arms, and bids us enjoy her beauty; but we dread her silence and rush into the crowded cities, there to huddle like sheep fleeing from a ferocious wolf. – Khalil Gibran

यदि हम पृथ्वी को बर्बाद कर देंगे तो जाने के लिए कोई जगह नहीं बचेगी.

अगर हम पृथ्वी के लिए नहीं बोलेंगे तो कौन बोलेगा ? यदि हम अपने अस्तित्व के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं, तो कौन होगा ?

If we ruin the earth, there is no place else to go.

If we do not speak for Earth, who will ? If we are not committed to our own survival, who will be ?- Carl Sagan

आज लोग भूल गए हैं कि वे वास्तव में प्रकृति का ही एक हिस्सा हैं.

फिर भी, वे उस प्रकृति को नष्ट कर देते हैं जिस पर हमारा जीवन निर्भर है.

वे हमेशा सोचते हैं कि वे कुछ बेहतर बना सकते हैं… वे यह नहीं जानते, लेकिन वे प्रकृति को खो रहे हैं.

वे यह नहीं देखते कि वे नष्ट होने वाले हैं. इंसान के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ है साफ़ हवा और साफ़ पानी.

People today have forgotten they’re really just a part of nature.

Yet, they destroy the nature on which our lives depend.

They always think they can make something better… They don’t know it, but they’re losing nature.

They don’t see that they’re going to perish. The most important things for human beings are clean air and clean water. – Akira Kurosawa

प्रकृति एक स्व-निर्मित मशीन है, जो किसी भी स्वचालित मशीन से भी अधिक पूर्णतः स्वचालित है.

प्रकृति की छवि में कुछ बनाने का मतलब एक मशीन बनाना है, और प्रकृति की आंतरिक कार्यप्रणाली को सीखकर ही मनुष्य मशीनों का निर्माता बना.

Nature is a self-made machine, more perfectly automated than any automated machine. To create something in the image of nature is to create a machine, and it was by learning the inner working of nature that man became a builder of machines. – Eric Hoffer

”पर्यटन स्थलों के व्यापारीकरण और वहां बढ़ती भीड़ ने सब जगह _ऐसी बदसूरती फैला दी है कि _अब प्राकृतिक सौंदर्य कहीं नहीं बचा, केवल प्रसिद्धि बच गई है _जिसे देखने के लिए लोग उमड़ पड़ते हैं.”

—इससे आगे की बात और भी ज़ोरदार है: सैलानियों को देखकर ऐसा लगता है _जैसे वे घर से ‘मार्केटिंग’ करने के लिए निकले हैं _या फिर खाने-पीने;__ प्रकृति का सौंदर्य देखने तो कतई नहीं.”

हम अपने घरों में कभी कचरा नहीं डालते या जोर से कुछ नहीं करते, लेकिन जैसे ही हम सड़कों पर निकलते हैं,

_ ऐसा लगता है _ जैसे हमारे पास हर खूबसूरत चीज को बर्बाद करने का लाइसेंस है !!
_ हमें चार दीवार वाले घरों के विचार से विकसित होना चाहिए, जहां हम रहते हैं _ और जिसे हम साफ़ और खूबसूरत रखते हैं..!!
_ जब तक हमें यह पृथ्वी अपना घर नहीं लगता _ तब तक हम इसे प्रदूषित करना बंद नहीं करेंगे.!!!
दुनिया को विज्ञान कितना भी विकसित और सुखद बना दे,

_ लेकिन मानसिक शांति आज भी प्रकृति की गोद में ही मिलती है.

नेचर के बीच समय बिताने से सिर्फ तनाव ही दूर नहीं होता बल्कि आपके दिमाग का भी विकास होता है,

इसलिए दिन का क़ुछ समय नेचर के बीच बिताएं.

प्रकृति की तरह सरल और सादे बने रहने का लछ्य रखें ; सादगी ही उसका जीवन है, _

_ प्रकृति के साथ सामंजस्य की अवस्था में आने के लिए हमें अपनी जटिलताओं को पूरी तरह से समाप्त करना होगा.

यदि आप नेचर के करीब रहेंगे, तो इसकी सादगी के लिए, छोटी-छोटी चीजों के लिए जो शायद ध्यान देने योग्य हैं, तो वे चीजें अप्रत्याशित रूप से महान और अथाह बन सकती हैं.

-“प्रकृति के संपर्क में रहने से आपको अपने अंदर आशा खोजने में मदद मिल सकती है.”

प्रकृति में हर ओर आनन्द ही आनन्द फैला पड़ा है, लेकिन हमारा ध्यान..

_ केवल अपने अभावों और दूसरों की समृद्धि पर लगा रहता है.

जब हम अप्राकृतिक जीवन जीने लगते हैं तो कई मानसिक रोगों के शिकार हो जाते हैं.

When we start living unnaturally, we become victims of many mental diseases.

जब प्रकृति अपने सबसे अच्छे रूप में होती है, तो यह एक मंत्रमुग्ध कर देने वाली घटना प्रदर्शित करती है ;

_जहां आकाश अपना बहुमूल्य पानी बरसाता है; यह भूमि तक पहुंचता है और हर चीज में से रिसकर पृथ्वी पर नया जीवन लाता है.

” प्रकृति न्यायप्रिय है,” हर व्यक्ति को उसके जीवन में एक मौक़ा ज़रूर देती है _ यह हम पर निर्भर है कि उस मौक़े का क्या करते हैं ?
प्रकृति को साहस प्रिय है. _आप प्रतिबद्धता बनाते हैं और प्रकृति असंभव बाधाओं को दूर करके उस प्रतिबद्धता का जवाब देगी. असंभव सपना देखो और दुनिया तुम्हें कुचल नहीं देगी, बल्कि ऊपर उठा देगी.

Nature loves courage. You make the commitment and nature will respond to that commitment by removing impossible obstacles. Dream the impossible dream and the world will not grind you under, it will lift you up. – Terence McKenna

यदि हम नेचर की बुद्धिमत्ता के सामने आत्मसमर्पण कर दें तो हम पेड़ों की तरह जड़ पकड़ कर ऊपर उठ सकते हैं.
प्रकृति से जुड़ जाओ…_  फ़िर किसी व्यक्ति विशेष से जुड़ने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी !!!

– अगर हम प्रकृति में कोई खामी ढूंढ रहे हैं तो इसका सीधा सा मतलब है कि हमने प्रकृति को अभी तक नहीं समझा है..!!

प्रकृति सब को साथ ले कर चलती है, लोग प्रकृति के साथ नहीं चलते ;

_ बस, यही विडंबना है..!!

यदि हम पर्याप्त रूप से जागरूक नहीं हैं,

..तो हम इस प्रकृति की सुंदरता को कभी नहीं जान पाएंगे.!!

दुनिया कितनी भी तरक्की कर ले, _ लेकिन कुदरत का मुकाबला नहीं कर सकती..
प्रकृति सुंदर अजूबों से भरी हुई है लेकिन जब हमारे पास उन्हें देखने के लिए क्षण हों..
प्रकृति और पशु पक्षियों से निकटता आपको और अधिक मानव बनाती है.!!
इंसानों द्वारा बनाई चीज़ों से 24 घंटे घिरे रहने की वजह से आपको चिंता, तनाव, डिप्रेसन होता है ;

और नेचर द्वारा बनाई चीज़ों के बीच रहने से दिमाग शांत होता है, इसलिए दिन का कुछ समय नेचर के साथ बिताएं.

-“जब आप उदास महसूस कर रहे हों तो _प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेने के लिए समय निकालें.”

सुबह उठो, प्रकृति से कुछ पल के लिए रूबरू हो..ओस के टपकते बूंदों को महसूस करो… व्यायाम करो.. ध्यान लगाओ.. प्रार्थना करो…

रुकी हुई जीवन की शुरुआत करने का इससे अच्छा तरीका और क्या हो सकता है… संघर्ष ही एकलौता सत्य है…!!!

सुबह उठकर पेड़ पौधों के बीच बिना फोन के जाईये… बिल्कुल सचेतन मन से हवाओं, पक्षियों की चहचाहट एवम प्रकृति के ठंढ़ेपन को महसूस करिये…

_ आस पास एवम आपके भीतर होने वाले गतिविधियों के प्रति सचेत होकर उनका अवलोकन करिये…महसूस करिये की आप कौन हैं …!!!

घास के तिनके जो थे बेकार कूड़े में शुमार,

_ चंद पक्षियों के हुनर से आशियाने हो गए..!!

हरियाली हो, पानी बहता हो, फूल हो, पछी चहचहाते हों — ऎसे स्थान पर बैठने से तनाव दूर होता है.

शान्ति पाने के लिए स्वयं को प्रकृति प्रेमी बनाइए.

” कुदरत के साथ तालमेल क्यों बढ़ाएँ “

जब इंसान कुदरत की सुंदर व्यवस्था का लाभ लेकर, उसे वरदान बनाने की कला सीख जाएगा,

तब उसके रिश्ते और स्वास्थ्य अच्छे हो जाते हैं.

प्रकृति में सब कुछ हमारा होते हुए भी कुछ नहीं है हमारा..

_क्योंकि ना कुछ लेकर आए थे ना कुछ लेकर जाएंगे.

कुछ भी बुरा नहीं है जो प्रकृति के अनुसार हो.!!

Nothing is evil which is according to nature.

अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रकृति के सुन्दर दृश्य, चाँद- तारों, नदियां, पेड़- पौधे तथा पछियों के सानिध्य में रहें

और शुद्ध प्राणवायु को ग्रहण करें.

यह बहुत अदभुत बात है, _ लाओत्से यह कह रहा है कि इस जगत में तुम कुछ भी करो, यह जगत हर हालत में तुमसे प्रसन्न है.

हर हालत में, अनकंडीशनल, कोई शर्त नहीं है कि तुम ऐसा करो तो अस्तित्व प्रसन्न होगा, और तुम ऐसा नहीं करोगे तो अस्तित्व नाराज हो जाएगा.

अस्तित्व हर हालत में प्रसन्न है..

आपके कार्य का स्वरूप कैसा है ?

हमारे कार्यों की ‘ सहजता ‘ से पता चलता है कि हम सही दिशा में हैं या नहीं ;_

_ गलत दिशा में जाते ही कुदरत का धक्का लगता है ताकि हम सही दिशा की ओर मुड़ जाएँ..

विभिन्न कार्यों में स्वयं को आप इतना भी व्यस्त न कर लें

कि आपके आस- पास स्थित प्रकृति को देखने हेतु आपके पास दो छण भी न हों.

प्रकृति का सौन्दर्ये सरल है, पर फिर भी खूबसूरती उसकी सबसे अलग है,

इसलिए नहीं की जा सकती किसी चीज़ से इसकी तुलना..

पहाड़ की सुंदरता उन लोगों के लिए नहीं है जो इसे ऊपर से देखते हैं,

_ पहाड़ की सुंदरता केवल उन्हीं को पता चलती है जो उस पर चढ़े हैं.!!

प्रकृति की प्रत्येक वस्तु अनमोल और अमूल्य है,

मनुष्य उसे अपने स्वार्थ के लिए अनमोल का मोल लगा कर बेच देता है.

सुबह जल्दी उठ जाने मात्र से ही ज़िन्दगी के कई मसले सुलझ सकते हैं…

_ कोशिश ये रहे कि कुछ देर प्रकृति में बिताया जाए…!!!

“प्रकृति के सानिध्य में रहने से हमें जीवन के उपहारों का पता लगाने में मदद मिलती है.”

कुछ लोगों को हम नहीं चुनते.. बल्कि ये सृष्टि ही उन्हें चुनकर हमारे लिए भेजती है..

_इस तरह के साथ को ही Divine Power कहते हैं.!

प्रकृति को दिखावे की आवश्यकता नहीं,,, जो सुंदर है वो स्वयं प्रत्यछ है.
प्रकृति, समय और धीरज _ ये तीनों ही महान चिकित्सक हैं.
” प्रकृति हमें कभी धोखा नहीं देती, यह हम हैं जो खुद को धोखा देते हैं. “
जो प्रकृति का आनंन्द है इसे कोई नाम नही दिया जा सकता,

सिर्फ अनुभव किया जा सकता है.

प्रकृति अपरिमित ज्ञान का भंडार है, परंतु उससे लाभ उठाने के लिए अनुभव आवश्यक है.
प्रकृति के नियम के अनुसार प्रत्येक चीज़ वापस अपने स्त्रोत की ओर चली जाती है..
प्रकृति के नियमों को कोई नहीं बदल सकता.. एक ही मार्ग है _ खुद को बदलो..
हम जो खो देते हैं कुदरत उससे पहले ही बेहतरीन चुनकर हमारे लिए रखती है..
सुबह उठकर प्रकृति की ताजग़ी को महसूस करो…चहचहाती पक्षियों की आवाज़ सुनो..बसंत में बहती ठंढी हवाओं को समेट लो ..

नीले आसमान को देखो… पूरब की ओर से उगती सूर्य की लालिमा देखो… यह सब हमारे लिए ही हैं…

प्रकृति ने हमें जीने के लिए कितने खूबसूरती वरदान दिए हैं, इसे महसूस करो…

जो सकारात्मकता सुबह-सुबह प्रकृति में मिलती है…

_ वह आपको घर के आरामदायक क्षेत्र में और फोन के डब्बे में कभी नहीं मिल सकती….!!!!

सारा जगत स्वतंत्रता के लिए लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनों को प्यार करता है.

यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है.

कोई भी मनुष्य छण भर भी कर्म किये बिना नहीं रह सकता, सभी प्राणी प्रकृति के अधीन हैं और  प्रकृति अपने अनुसार हर प्राणी से कर्म करवाती है और उसके परिणाम भी देती है.
प्रकृति में जो कुछ भी होता है वह व्यक्ति के भीतर भी होता है, क्योंकि एक व्यक्ति पूरी प्रकृति के एक खंड का नाम मात्र है.

Everything that happens in nature happens inside the individual also, because an individual is only a name for a cross-section of the whole of nature.

हमें प्रकृति का आभारी होना चाहिए कि _उसने उन चीज़ों को खोजना आसान बना दिया है _जो आवश्यक हैं; _जबकि अन्य बातें _जिन्हें जानना कठिन है, _आवश्यक नहीं हैं.

We ought to be thankful to nature for having made those things which are necessary easy to be discovered; while other things that are difficult to be known are not necessary.

कभी – कभी जीवन में कुछ भी समझ में न आ रहा हो तो सब कुछ अस्तित्व एवम प्रकृति पर छोड़ देना चाहिए _

_ उन्हें बेहतर पता है कि हमें ज़िंदा कैसे रखना है ..!!

प्रकृति जब अपने बदले पर आती है तो बेहद क्रूर हो जाती है,

_ प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने वाले नहीं बख्शे जाएंगे.
प्रकृति किसी को भी बर्दाश्त नहीं करती है, यदि हम उसका दोहन करेंगे तो वो अपने अनुकूल वातावरण बना ही लेगी..!!
नदियों को कोई साफ न कर पाए तो कोई बात नहीं, बस गंदा न करें तो वो खुद से ही साफ हो जाएंगी.

… ऐसे ही जंगल को भी … ऐसे ही मन को भी…

_ गंदगी से जितना दूर रखें ..खुद को तो ..मन और पर्यावरण [ Environment ] दोनों शुद्ध रहेंगे.

मनुष्य के रूप में आप प्रकृति की सर्वश्रेस्ठ रचना हैं,

क्योंकि मनुष्य ही है जो अपनी खामियों को खूबियों में बदल सकता है.

आत्म बल से बड़ी कोई शक्ति नहीं है..

_लेकिन इस बल को जागृत करना केवल वही जानता है,
_जिसने प्रकृति के साथ जीवन जिया है और उसका सम्मान किया है.
_ सारा अस्तित्व आपके साथ चल रहा है,
_आप अकेले होते हुए भी पूरे अस्तित्व के हो.!!
“हमें किसी व्यक्ति के बुरे, गंदे और घृणित व्यवहार से चिढ़कर..

_ अच्छाई और प्रेम पर से विश्वास नहीं खोना चाहिए..
_ और न ही जल्दबाजी में अपना व्यवहार बिगाड़ना चाहिए..
_ प्रकृति पर यकीन क़ायम रखा जाए,
_ वो हमारा ख़्याल रखने में कोई कसर नहीं छोड़ती..!!”
” सुबह की ताकत “

दिन की सबसे खूबसूरत शक्ल सुबह होती है. सुबहों का मैं हमेशा से दीदार करता रहा हूँ. अब तक जहां- जहां रहा हूँ, वहां की सुबह बहुत अलग- अलग दर्शन देती रही है. कुछ ना कुछ नया हर जगह की सुबह से सीखने को मिलता है. हर सुबह को जीवन की नयी शुरुआत मान सकते हैं.

कल से क्या मतलब. सुबह आपको आज का एहसास कराएगी. अभी आज इसी समय में रहना सुबह होना है. कल के काल में घटी नकारात्मकता से उबारना सुबह होना है. हर दिन एक नये जीवन का एहसास करना. जैसे कि जो है वो आज से ही शुरू है, कल चाहे जैसा भी रहा हो, आज अच्छा ही होगा. इसका एहसास सुबह है.

ऊर्जा का अनंत एकदिशीय प्रवाह जो सिर्फ आपको ताकतवर बनायेगा. आप को कभी कितना भी कमजोर क्यों ना लगे, बस एक बार सुबह में डूब के देखिए. प्रकृति की तेज बहती हवा में परिश्रम का स्नान सुबह करके देखिये, अपने नये होने का एहसास होगा आपको.

प्रकृति के तीन कड़वे नियम जो सत्य है.

१. प्रकृति का पहला नियम : –

यदि खेत में बीज न डालें जाएं तो कुदरत उसे घास- फूस से भर देती है…!!

ठीक उसी तरह से दिमाग में सकारात्मक विचार न भरे जाएँ तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेता है…!!

२. प्रकृति का दूसरा नियम : –

जिसके पास जो होता है…!! वह वही बांटता है…!!

सुखी सुख बांटता है….दुःखी दुःख बांटता है….!!

ज्ञानी ज्ञान बांटता है…. भ्रमित भ्रम बांटता है….!!

भयभीत भय बांटता है…….!!

३. प्रकृति का तीसरा नियम : –

आपको जीवन से जो कुछ भी मिले, उसे पचाना सीखो, क्योंकि भोजन न पचने पर रोग बढ़ते हैं….!!

पैसा न पचने पर दिखावा बढ़ता है….!!

बात न पचने पर चुगली बढ़ती है….!!

प्रशंसा न पचने पर अहंकार बढ़ता है….!!

निंदा न पचने पर दुश्मनी बढ़ती है….!!

राज न पचने पर खतरा बढ़ता है….!!

दुःख न पचने पर निराशा बढ़ती है….!!

और सुख न पचने पर पाप बढ़ता है.

जीवन मे एक बार तो सबकुछ ट्राय करना चाहिए, क्या मालूम किसी अविस्मरणीय अनुभव से आप वंचित रह जाए..

बात पैसो की नहीं हैं बल्कि अनुभव की हैं जिसका कोई मूल्य नहीं
बहुत बार मेरे साथ ऐसा हुआ हैं जब मैंने कोई नई चीज ट्राय की ओर तब मैंने जाना कि अगर ये अनुभव छूट जाता तो मैं वो नहीं जान, महसूस कर पाता जो आज किया..
जीवन के आयाम हज़ारों-लाखों हैं ओर हर एक छोटी से छोटी चीज़ भी अपने अंदर अनगिनत रहस्यो को छुपाए हुए हैं.
इंसान के 1000 जन्म भी कम है इस अस्तित्व को जानने-समझने के लिए
हज़ारों वर्षो की लगातार खोजों के बाद भी आज इंसानी सभ्यता सिर्फ थोड़ा बहुत ही जान सकी हैं इस अस्तित्व के बारे में..
हमारे पुराने लोग हम से वास्तविकता में वैज्ञानिक रूप से बहुत आगे थे.
_थक हार कर हमें भी वापिस उनकी ही राह पर वापिस आना पड़ रहा है…
1. मिट्टी के बर्तनों से स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों तक और फिर से दोबारा मिट्टी के बर्तनों तक आ जाना..
2. अंगूठाछाप से दस्तखतों (Signatures) पर और फिर अंगूठाछाप (Thumb Scanning) पर आ जाना..
3. फटे हुए सादा कपड़ों से साफ सुथरे और प्रेस किए कपड़ों पर और फिर फैशन के नाम पर अपनी पैंटें फाड़ लेना..
4. सूती से टैरीलीन, टैरीकॉट और फिर वापस सूती पर आ जाना..
5. ज़्यादा मशक़्क़त वाली ज़िंदगी से घबरा कर पढ़ना लिखना और फिर IIM व MBA करके आर्गेनिक खेती पर पसीने बहाना..
6. क़ुदरती से प्रोसेस फ़ूड (Canned Food & packed juices) पर और फिर बीमारियों से बचने के लिए दोबारा क़ुदरती खानों पर आ जाना..
7. पुरानी और सादा चीज़ें इस्तेमाल ना करके ब्रांडेड (Branded) पर और फिर आखिरकार जी भर जाने पर पुरानी (Antiques) पर उतरना..
8. बच्चों को Infection से डराकर मिट्टी में खेलने से रोकना और फिर घर में बंद करके फिसड्डी बनाना और होंश आने पर दोबारा Immunity बढ़ाने के नाम पर मिट्टी से खिलाना..
9. गाँव, जंगल से डिस्को पब और चकाचौंध की और भागती हुई दुनिया की और से फिर मन की शाँति एवं स्वास्थ (Health) के लिये शहर से जँगल गाँव की ओर आना..
इससे ये निष्कर्ष (Conclusion) निकलता है कि Technology ने जो दिया _उससे बेहतर तो प्रकृति ने पहले से दे रखा था..!!
🟥 अस्तित्व बनाम इंसान 🟥

कौन-से नियम सच में आपके हैं ?
सोचिए, क्या आपने कभी सूरज को उगने से रोका है ? या बारिश को सिर्फ इसलिए रोका हो क्योंकि आपके पास छाता नहीं था ?
अस्तित्व के नियम वो हैं जो हमेशा से थे, और हमेशा रहेंगे।
• हवा हर किसी के लिए बहती है।
• गुरुत्वाकर्षण राजा-रंक सबको एक जैसा खींचता है।
• जीवन और मृत्यु का चक्र कभी नहीं रुकता।
अब सोचिए, इंसानों के बनाए नियम:
• “यह पहनना है,” “यह खाना है,” “यह सही और यह गलत है।”
ये नियम समाज ने बनाए ताकि व्यवस्था बनी रहे। लेकिन क्या ये नियम हर समय, हर जगह सही हैं ?
अंतर समझिए:
• अस्तित्व के नियम शाश्वत हैं।
• इंसानों के नियम बदलते रहते हैं।
जो नियम आपको आजादी दे, सहज बनाए और जीवन से जोड़ दे, वो अस्तित्व के हैं।
जो आपको जकड़े और बांधे, वो इंसानों के बनाए हैं।
तो आप किसके साथ चलना चाहेंगे ?
✨ अस्तित्व के साथ बहिए, जिंदगी आसान हो जाएगी। 🌿
शास्त्रों में धर्म का एक अर्थ “ नियम “ भी बोला गया
अस्तित्व के बनाये नियमों के साथ मैत्री स्थापित कर जीना ही धार्मिक इंसान का लक्षण है.
Sakha
जितना अधिक आप किसी चीज़ को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं, उतना ही अधिक वह आपको नियंत्रित करती है.
अपने आप को मुक्त करें और चीजों को अपना प्राकृतिक मार्ग अपनाने दें.
The more you try to control something, the more it controls you.
Free yourself and let things take their own natural course.
यह पूरी पृथ्वी पवित्र है, और हर चीज़ हमें कई तरीकों से छूने की कोशिश कर रही है – धूल के माध्यम से, पेड़ों के माध्यम से, पक्षियों, बारिश, जानवरों के माध्यम से – वे सभी हमें जीवन का संकेत दे रहे हैं…

जब हवा चलती है तो रेत उड़कर आंखों में घुस जाती है और आंखें बंद करने पर मजबूर कर देती है जिससे दिल में एक नृत्य सा पैदा हो जाता है. _जब बारिश हो रही होती है, तो बारिश की बूंदें शरीर को कंपा देती हैं और दिव्य प्रवाह का आह्वान करती हैं.

जब सुबह-सुबह पक्षी चहचहाने लगते हैं और फूल अपनी खुशबू बिखेरते हैं और ओस की बूंद जीवन की तरह चमकती है;

_जब नए दिन के स्वागत में क्षितिज पर इतने सारे रंग फैले होते हैं – ये सभी जीवन के प्रतीक हैं.

यदि आप इनके प्रति जागरूक हो जाएं तो आपको दुःख नहीं होगा, आप अत्यधिक आभारी, समझदार, पूर्ण महसूस करेंगे.

आप घर जैसा महसूस करेंगे, आपको शांति महसूस होगी.
प्रकृति आपकी अनुमति नहीं मांगती; इसे आपकी इच्छाओं की परवाह नहीं है, या आपको इसके कानून पसंद हैं या नहीं._आप इसे वैसे ही स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं जैसे यह है, और परिणामस्वरूप इसके सभी परिणामों को भी.

Nature doesn’t ask your permission; it doesn’t care about your wishes, or whether you like its laws or not.You’re obliged to accept it as it is, and consequently all its results as well.

– Fyodor Dostoevsky

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