सुविचार – प्रेम – प्यार – मोह – 128

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ज्यों ज्यों प्रेम खोता गया, जीवन समृद्ध होता गया..!!- टैगोर
अपरिपक्व प्रेम जहाँ हमें बाँधे रखता है, _ वहीँ परिपक्व प्रेम मुक्त कर देता है.
‘प्रेम वह है’ जिसमें यह चाहत होती है कि जिससे हम प्रेम करते हैं,

_ वो हमेशा खुश रहे, कैसे भी हो ‘बस खुश रहे’

उन लोगों के करीब रहिए.. जो आपके लिए बहुत कुछ चाहते हैं, “यही प्रेम है.!!”
असल प्रेम आपको कुछ और दे या न दे,

_ लेकिन आपके जीवन को खिलने में मदद ज़रूर करता है.!!

लोग प्यार शब्द आसानी से कह तो देते हैं,

_ पर फिर उसे संभाल नहीं पाते..!!

प्रेम का दीपक ख़ुद के भीतर हमेशा जलाएं रखो,

_ इसे कभी भी दूसरों की वजह से बुझने मत दो..!!

“प्रेम बनाम मोह”

_बढ़ती उम्र के साथ मुझे प्रेम और मोह में एक बारीक सा अंतर समझ में आया है,
_ जब आप मोह को अपने से दूर कर देते हैं यानि किसी के मोह में नहीं होते, तब आप सबसे ज्यादा सुखी होते हैं.
_ लेकिन यह सिर्फ मज़बूरी में होता है.. क्योंकि मोह को आप जानबूझ कर अपने से दूर नहीं कर सकते, मोह में बड़ा आकर्षण होता है.
_ मोह वह है कि जब हम अपनी किसी पसंदीदा चीज को अपने पास रखना चाहते हैं और किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहते ..फिर चाहे दम घुट जाए,
_ जबकि प्रेम वह है कि जब हम अपनी पसंदीदा किसी चीज को मुक्त रखते हैं या जो जगह उसके लिए बेहतर है ..उस जगह जाने से नहीं रोकते,
_ ये जानते हुए भी की इस तरह हम उसे दोबारा नहीं देख पायेंगे.
_ दरअसल यही तो प्रेम है ..
_ जहां हमारी खुशी से ज्यादा उस व्यक्ति/पशु/पक्षी की खुशी महत्वपूर्व है..
_ जिससे हम प्रेम करते हैं.
“ प्रेम करने की और देने की चीज है.”

_ प्रेम देने के बजाय.. जब हम प्रेम मांगने लगते हैं, तो समस्या शुरू हो जाती है.
_ अपेक्षाएं बढ़ने लगती हैं..
_ प्रेम का आधार बदलते ही इसका स्वरूप बिगड़ने लगता है..!!
दिल हल्का हो जाता है, जब मन से ऐसे लोग उतर जाते हैं, जो हमारे प्यार के कभी लायक ही नहीं थे ;

” प्यार में हम उन लोगों को भी ग्लोरीफाय कर लेते हैं, जो हमारे समय और ऊर्जा के कभी काबिल ही नहीं थे.!!”
किसी और के लिए खुद को बदलना कोई बदलाव न होकर महज़ एक समझौता है.

_ जो आपसे प्रेम करता है.. वह आपको वैसे ही ख़ुशी से स्वीकार करेगा “जैसे आप हैं”
_ ये अलग बात है कि उसके प्रेम की वजह से आप खुद ही खुद को बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दें.!!
जब आप किसी से प्यार करते हैं, तो आप उनसे हर समय, बिल्कुल उसी तरह, पल-पल प्यार नहीं कर सकते, यह असंभव है ;

_और फिर भी हममें से अधिकांश लोग प्यार का दिखावा करने कि मांग करते हैं.!!
प्रेम का भी कोई मापक होना चाहिए, क्योंकि आवश्यकता से अधिक किसी से प्रेम करने से उसके लिए आपका प्रेम बोझ हो जाता है और आप मजाक के पात्र.!!
लोग एकतरफा प्यार में पागल हो रहे हैं.. अच्छी बात है,

_ पर प्यार के लिए गिड़गिड़ाना, चरणों में लेट जाना, साथ रहने के लिए हाथ जोड़ना,
_ प्यार में आत्मसमर्पण जरूर है चाहे एकतरफा ही क्यों न हो..
_ पर इसके लिए आत्मसम्मान को त्याग देना, ये किस तरह का प्यार है ?
_ जहां दूसरा व्यक्ति कोई सम्मान नहीं दे रहा…!!
आप प्रेम करने के लिए किसी को मजबूर नहीं कर सकते..

_ प्रेम एक पवित्र भाव है.. जो यदि किसी को आपके प्रति होगा तो वह स्वत: ही हो जाएगा..!!
_ आप तमाम स्टाइल मारके बढ़िया कपड़े पहन के अपने आप को धनी दिखा के किसी का मात्र कुछ समय के लिए अटेंशन ले सकतें हैं.. प्रेम नहीं.!!
जो परंपरागत रूप से एक-दूसरे से प्यार करते हैं, वे लड़ते रहते हैं;

_तो एक-दूसरे से कहें, “कृपया – कम प्यार, और नार्मल व्यवहार !!

आपके जीवन में जो लोग वास्तव में आपसे प्रेम करते हैं,

_ वे आपके बदलाव के लिए कभी परेशान नहीं होंगे, बल्कि वे आपको प्रेरित करेंगे.!!

कल्पनाएं त्याग कर वास्तविकता की ओर जाना ही..असल जीवन प्रेम है और राह भी..!!

_ मन पर भ्रम का ताला लग जाता है.. जो वास्तविकता से दूर ले जाता.!!
‘प्रेम संयोगवश नहीं होता’ _ यह एक ऐसा निर्णय है.. जो हम स्पष्टता, प्रमाण और परिचितता के आधार पर किसी व्यक्ति के प्रति लेते हैं.!!
यह सचमुच दुःखद है कि आजकल के लोग प्रेम को सही अर्थों में नहीं समझ पा रहे हैं.!!
जो इंसान न वास्तविक है और न ही सहज.. उससे कोई कैसे प्रेम कर सकता है ?
खूबसूरत होने से प्रेम नहीं होता,
_ जिस से भी प्रेम होता है वही खूबसूरत और सुंदर दिखने लगता है..!!
प्रेम का दुश्मन भी सारा संसार, प्रेम का भूखा भी सारा संसार ❓
_ प्रेम नहीं तो जीवन में कुछ भी नहीं ?
यदि प्रेम आप को बेहतर, सुन्दर और सरल नहीं कर रहा है तो..

_वो चाहे जो हो “प्रेम नहीं है”

प्रेम कभी ज़िन्दगी नहीं बर्बाद करता,

_प्रेम के नाम पर ढोंग से बने रिश्ते_ ज़िन्दगी बर्बाद करते हैं..!!

इतना कुछ है दुनिया में देखने- समझने को,

_पर लोग ज़रा से प्यार में डूब कर जीवन बिता देते हैं..!!

प्रेम एक एहसास से कहीं ज्यादा गहरा होता है.

_इसका अर्थ है कि हम उस व्यक्ति के साथ हमेशा सही और सम्मानपूर्वक व्यवहार करें.

सच्चे प्रेम का अर्थ है, जिससे आप प्रेम करें, उसे उसके ही रूप में अपनाना होता है.

_न कि उसे अपनी सोच के सांचे में ढालें..!!

किसी भी नाम के धागे खोल दिए मैंने..

_ बंधनों में प्रेम मुझे अच्छा नहीं लगता..

जिससे प्रेम होता है न और जो मन को भा जाता है वो हर हाल में खूबसूरत लगता है, प्रेम को अपने तक ही सीमित रखना चाहिए, प्रेम कोई कारोबार नहीं जिसका ढिंढोरा बाजार में पीटा जाए,

_ प्रेम तो शांत लहरों सा मन में उठता हुआ एक खूबसूरत सा सुकून है किसी के लिए…!
हम सब प्रेम-प्यार के भूखे होते हैं, हमें कहीं से भी थोड़ा सा प्यार और अटेंशन मिल जाता है तो.. हम बौखला जाते हैं,

_ उस थोड़े से प्यार के बदले में इतना ज्यादा प्यार, अटेंशन और रिस्पेक्ट दे देते हैं कि.. सामने वाले को हजम नहीं हो पाता है,
_ और हमारी बर्बादी का रास्ता यही से प्रारंभ हो जाता है.!!!
_ दुनिया का प्रेम तब तक ही है, जब तक आपका सितारा बुलंद है.!!
कभी कभी जिंदगी की राह में ऐसे लोग मिल जाते हैं, जिन्हें देखते ही लगता है ये तो अपने जैसा है, थोड़ा सा इसके साथ जी लेते हैं.

_ फिर हम उसे स्पेशल समझने लग जाते हैं.
_ धीरे धीरे वो जीवन मे ऐसे उतर जाता है कि.. उसकी हर बात अच्छी लगने लगती है.
_ उसे देखना, उसे सुनना अच्छा लगता है, मगर ज्यों ही हम उसे भाव देने लगते हैं.. वो महंगा होता जाता है.
_ एक समय ऐसा भी आता है कि.. हम अपने स्वाभिमान को दांव पर लगा कर उससे मनुहार करते हैं,, उसके सामने गिड़गिडाते हैं, रिक्वेस्ट करते हैं.
_ मगर उसके भाव बढ़ते ही जाते हैं.
_ फिर दिल पर पत्थर रखकर.. हमें उससे दूर होना पड़ता है.
_ उसे जिंदगी से निकालने के लिए उसकी कमियों पर गौर करना पड़ता है,
_ ज्यों जी चाहत का नशा उतरता है.. हमे ये अहसास होता है कि..
_ जिसके लिए इतना पागल थे.. वो तो हमारे लायक ही नहीं था.
_ फिर खुद से नफरत होने लगती है कि.. ऐसे इंसान को हमने दिल में जगह ही क्यों दी थी.!!
क्या आपने कभी सोचा है कि प्यार, जो शुरू में इतना खूबसूरत लगता है,

आखिर में इतना दुख क्यों देता है ?
_ शायद यह प्यार नहीं है.. जो दुख देता है – बल्कि वह सब कुछ है.. जो हम उससे जोड़ते हैं.
_ उम्मीदें, वादे, हमेशा के लिए जीने का सपना..
_ सच्चा प्यार सरल होता है, पल में जीवंत होता है – जैसे कोई खुशबू जो आप अपने साथ रखते हैं.
_ यह दूसरे व्यक्ति से यह माँग नहीं करता कि वह आपके साथ रहे, एक खास तरीके से व्यवहार करे, या आपको पूरा करे.
_ लेकिन हम प्यार से शुरू करते हैं और धीरे-धीरे निर्भरता, अपेक्षाओं में ढल जाते हैं..
_ और जब कल्पना का भविष्य टूटता है, तो यह विश्वासघात जैसा लगता है.
_ इसलिए ये समझें कि क्या सच है और क्या भ्रम.!!
प्रेम या सम्मान का भाव उन्हीं के प्रति रखिये जो आपके मन की भावनाओं को समझते हैं, अन्यथा खुद को दुःख के अतिरिक्त और कुछ नहीं मिलेगा..!!
आजकल प्यार तो सब करते हैं, – मगर कदर और इज्जत ?
_वो तो बड़े नसीब वालों को ही मिलती है.!!
“प्रेम एक रोज़ हमें ख़ुद सिखा देता है कि दुनिया का सबसे बड़ा सुख प्रेम नहीं है.!!”
फूल देना प्रेम नहीं, _फूलों की तरह रखना प्रेम है..!!
प्रेम कहीं नहीं है, सब तरफ सिर्फ आकर्षण है.!!
प्रेम अनजाने में उदासियों को दिया गया एक आमंत्रण मात्र ही तो है…!

_ जिसे सच्चा प्रेम कहते हैं, उससे बड़ा झूठ कोई नहीं.!!

किसी को बेइंतहा प्यार करने के धुन में खुद के वजूद को खोते जाना..

_ दुनिया की सबसे दर्दनाक घटना है.!!
दो अक्लमंद व्यक्तियों के मध्य प्रेम संभव नहीं है.

_ प्रेम हुआ तो समझो, दोनों में से एक मूर्ख है.!!
प्रेम आपको खुश तो कर सकता है, लेकिन जीवन जीने में मदद नहीं कर सकता.

_ आपको अपने प्रेम के साथ.. जीने के लिए भी कुछ करना होगा.!!
जहां भी मिले झूठा प्यार, वहीं से लेते जाओ, सच्चे का कोई भरोसा नहीं..!!
एक तरफ़ा प्रेम से दो तरफा दोस्ती बेहतर है !!
“प्रेम की बातें छोड़ें..” और एक दूसरे की परवाह करें.!!

_ आमतौर पर प्रेम सिर्फ बेमतलब की माथापच्ची ही हुआ करता है,
_ अब मेरी बातों से सहमत होना न होना दूसरी बात है..
_ मैं केवल यही चाहता हूं आप प्रेम की तरफ ध्यान, स्वयं अपने विचार किए हुए निष्कर्षो पर पहुंचे,
_ कथित विशेषज्ञों के बहकावे मे न आओ कि “प्रेम कोई खूबसूरत चीज है….!”
मैं प्रेम में चेहरों पर यक़ीन नहीं करता.

_ पहली नज़र में दिल लग जाना मेरे लिए कोई चमत्कार नहीं.
_ मैं प्रेम करता हूँ पहली बार बहस में, पहली बार जब कोई अपनी बात में डटकर खड़ा होता है.
_ पहली बार जब किसी के साथ ठहाका लगता है—वो हँसी जो वर्षों के दर्द के बाद आती है.
_ मैं प्रेम करता हूँ उस ख़ामोशी से, जो असहज नहीं लगती.
_ उस पहली बातचीत से, जिसमें आत्मा खुद को खोल देती है, जहाँ कोई मुखौटा नहीं होता.
_ प्रेम वहाँ होता है, जहाँ कोई साथ देता है मुश्किल वक़्त में, जहाँ दर्द बाँटा जाता है और ख़ुशियाँ दुगनी होती हैं.!!
प्यार करना यह नहीं है कि किसी और के जीवन का बोझ अपनी पीठ पर ढोना;

_ यह एक साथ चलना है, स्वतंत्र, हल्का..हो कर.!
_ प्यार ऐसा नहीं होना चाहिए.. जो ज़रूरत से ज्यादा दर्द दे;
_ प्यार, जब सच्चा होता है, तो निर्माण करता है, विनाश नहीं.!!
प्रेम को सिर्फ दिल से निभाना काफी नहीं होता,

_ किस्मत और हालात का साथ भी ज़रूरी होता है,
_ जब वक़्त साथ नहीं देता तो सबसे सच्चा रिश्ता भी टूट जाता है…!
कुछ लोग प्यार और स्नेह तभी दिखाते हैं, जब हम उन्हें आमने-सामने देखते हैं.

_ उस समय उनका प्यार का इज़हार हमें ऐसा महसूस कराता है.. जैसे कोई और हमसे उतना प्यार नहीं करता.. जितना वे करते हैं.
_ उन्हें तो यह भी नहीं पता कि हम पहले कितने लोगों का ऐसा तमाशा देख चुके हैं.!!
प्रेम में यथा संभव दूरी को बचाए रखिए और जब दूरी अवश्यंभावी हो जाए तो मिलने की गुंजाइश रखिए.
_ मिलन की आस दूरी के आंसू पोंछ लेती है.!!
प्रेम में अक्सर हम वो बातें भी सुनते हैं जो कही नहीं जातीं.

_ असली ख़ुशी का कारण यही होता है.!!

वो जो बहुत कुछ कर सकते थे,

_ प्रेम कर लेते हैं, और कुछ नहीं कर पाते !!

प्रेम में ठहराव दूरियों की वजह से नहीं होता..

_ झूठ की वजह से आ जाता है..!!

एक दूसरे की ज़रूरत महसूस होने को ही प्यार कहते हैं.

_ एक दूसरे की ज़रूरत महसूस न हो तो समझो, प्यार खत्म.!!

कुछ लोगों से हम प्रेम करते हैं ..कुछ लोग हमसे प्रेम करते हैं..

_ अब होना तो ये चाहिए कि हम उनका ख़्याल ज्यादा रखें ..जो हमसे प्रेम करते हैं.
_ मगर ऐसा कभी हो नहीं पाता…
_ हम हमेशा उनका ख़्याल ज्यादा रखते हैं या रखने की कोशिश करते हैं ..जिनसे हम प्रेम करते हैं..
_ बस यही छोटी सी बात भविष्य में दुःख का कारण बनती है.
प्रेम या सम्मान का भाव उन्हीं के प्रति रखिए, जो भावनाओं को समझते हैं,

_ अन्यथा खुद को दुःख के अलावा कुछ नहीं मिलेगा.!
जब तक कोई पुरुष या स्त्री खुद से प्रेम करना नहीं सीखता, तब तक यह सब ऐसे ही चलता रहेगा.

_ दुनियादारी भी ढंग से ना चल पा रहे हैं, क्योंकि हम अंदर से खोखले हैं.
जब आप किसी से प्रेम करने लगने लगना तो ..मत बताना उसे कि ..आपको उससे प्रेम है,

_ प्रेम कोई बताकर करने वाली चीज है ही नही ..या बता भी दिए तो ..इसका जिक्र बार बार मत करना,
_ क्योंकि एक ही अल्फाज़ की पुनरावृति से उसकी महत्ता खोने की सम्भावना है.
_ प्रेम में अपेक्षा मत करना कि मैं आज इतना प्रेम दे रहा, मुझे भी इतना या इससे अधिक मिलना चाहिए.
_ जिस दिन आप ये सोचने लग गए कि ..मुझे क्यों नही मिल पा रहा वैसा ही प्रेम ..जैसा मैं कर रहा,
_ प्रेम का अस्तित्व खत्म हो चुका होगा..!!
यदि कोई पुरुष सोचता है कि.. वह अपनी धन-दौलत के बल पर किसी स्त्री को बाँध कर रख सकता है.. तो वह ग़लत सोचता है.

_ यदि कोई स्त्री सोचती है कि.. वह अपने रूप-सौंदर्य के बल पर किसी पुरुष को बाँध कर रख सकती है.. तो वह ग़लत सोचती है.
_ न दौलत किसी को बाँध सकती है, न रूप-सौंदर्य.
_ बांध सकता है तो केवल आपसी care, सद्भाव और निःस्वार्थ अपनत्व का भाव.!!
_ परवाह करना ऐसा प्रेम है, जो रिश्तों को जिन्दा रखता है.
प्यार शब्द बहुत पुराना और अवास्तविक और अर्थहीन है,

_ नहीं पता कि लोग इसे करते क्यों हैं,
_ शायद इसलिए कि प्यार के पक्ष में इतनी सारी झूठी बातें कही गई हैं कि उन्हें बार-बार सुन कर लगता है कि..
_ ये सब बातें अनमोल हैं, सच्ची और गंभीर हैं.
_ हाँ, ठीक है !… , .इसमें कही सारे बातें नितांत मूर्खतापूर्ण है…!
प्रेम एक मामूली चीज़ है और इसके मामूली बने रहने में ही भलाई है.

_ जब-जब इसे विशिष्ट समझा जाएगा या विशिष्ट बताकर परोसा जाएगा, तब-तब इसमें सामान्यतः
: निर्मम पलायन, संवेदनहीन भटकाव, घोर आत्मनिष्ठता और क्रूर सुखजीविता स्वयं को सही ठहराने के लिए इसमें आश्रय खोज रहे होंगे.!!
प्रेम अक्सर किसी अभाव को दूर करने, किसी ख़ालीपन को भरने या किन्हीं भग्नाशाओं की क्षतिपूर्ति के प्रयास में उपजता है.

_ इंसान की ज़रूरतें वक़्त-वक़्त पर पूरी होती रहें, वह साधन-संपन्न बना रहे तो उसके लिए प्रेम कोई प्रबल भावना नहीं है.
_ प्रेम सामान्यतः हारे हुए का हथियार है.!!
प्रेम कभी समझदार नहीं होता..

_ यह हमेशा किसी खास किस्म के पागलपन से भरा होता है..
_ समझदार इंसान यह कर ही नहीं सकता..
_ यह हमेशा बचपने और पागलपन से भरा होता है…
_ जैसे आँखे मूँद कर विश्वास करना..
_ मिलने वाले का इंतजार करना..
_ या फिर अपना सुख छोड़.. किसी दूसरे के दुःख को अपनाने की इच्छा करना.
_ या किसी की सारे दुख सारी पीड़ा छीन लेना…
_ अपने हिस्से का सारा सुख खुशीयां उसके हिस्से देने के लिए ..ऊपर वाले तक को मजबूर करना..
_ उसके जीवन के बदले.. अपना जीवन दांव पर लगाने के लिए दबाव बनाना..
_ यह सिर्फ दिल कर सकता है.. दिमाग नहीं..
_ इसलिए ये सब कभी कोई समझदार इंसान नहीं कर सकता..!!
खुद को छोड़ कर किसी से प्रेम की अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए,

_ जब आप किसी से प्रेम की अपेक्षा रखते हो और सामने वाला आपसे प्रेम नहीं करता है तो आत्म सम्मान को क्षति पहुँचती है,
_ और इंसान सोचने लगता है कि क्या वो इतना भी काबिल नहीं कि कोई उससे प्रेम करे,
_ वो खुद को इस नजर से देखता है जैसे उसी का कोई कसूर हो
_ और जब कोई इंसान खुद को प्रेम न मिलने का कसूरबार खुद को ही समझ बैठता है तो उससे अधिक नीरस व्यक्ति कोई नहीं रह जाता संसार मे…!
भीतर जब प्रेम फूटता है तो आबो-हवा ख़ुशगवार हो जाती है.

_ मन हिलोरें लेने लगता है.
_ संसार में सबसे बड़ी घटना है, ‘प्रेम’
_ जब प्रेम होता है, संसार रमता दिखने लगता है.
_ प्रेम एक भाव है.
_हर व्यक्ति को इससे गुजरना होता है.
_ लेकिन बहुत कम होते हैं, जो प्रेम को जी पाते हैं..!!
हम जीवन की राह पर हैं..

_ मैंने सबसे ज्यादा खोया है औरों के हितों के लिए.
_ इसलिए सच्चे प्रियजन को पाने के लिए जीवन में कम से कम एक बार खतरे में पड़ना जरूरी है.
_ तभी आप खतरे में पड़े नकाबपोश लोगों को पहचान सकते हैं.
_ सच्चा प्यार करने वाला चाहे अपनी जान खतरे में डाल दे..
_ लेकिन आपका साथ कभी नहीं छोड़ता.!!
जो हमारे अपने होते हैं और जो हमसे प्रेम करते हैं, वो हमारी मजबूरियों और ज़रूरतों को समझते भी हैं..

_ और उस हिसाब से हमारी सहूलियत का ध्यान रखते हुए ख़ुद को एडजस्ट करके हमारी हरसंभव मदद करते हैं..!!
प्रेम में एक और चीज़ जो ज़रूरी है, वो ये कि अपने साथी को उसके ख़ुद के लिए पँख फैलाने देना और ख़ुद की परवाज़ को समझने देना ;
_ ये होगा तभी प्रेम में साथ होने पर लोग दूसरे को बेहतर होने में मदद कर पाते हैं.!!
इंसान प्रेम में खुद को समर्पित करता है, शायद यह सोचकर कि अब अकेलापन नहीं रहेगा..
_ लेकिन प्रेम जब टूटता है या बदलता है, तो जो अकेलापन वापस लौटता है, वो पहले से कहीं अधिक गहरा और अधिक चुभने वाला होता है…!
सचमुच, कितना आसान था, उसे प्रेम करना, जो हम से प्रेम करता था..

_ पर जिसे हम प्रेम न कर सके !!

आप अपनी ऊर्जा प्रेम के प्रसार पर लगाइये,

_ नफ़रत तो वैसे ही भरपूर है इस दुनिया में !!

हम किसी से प्रेम नहीं करते, खुद से प्रेम करते हैं तो..

_ उस प्रेम को देने की इच्छा होती है, लेने वाले सोचते हैं कि वह हमारे अधीन हो गया..!!

दिल की बातों में आ ही जाता है,, प्रेम नादान है समझ न पाता है !!
“सच्चे प्यार का मतलब है कि जो मेरा है वह तुम्हारा है”
“True love means what’s mine is yours.”
“हर तरह का प्यार प्यार है, लेकिन उनमें आत्म-प्रेम सर्वोच्च है”
“Every kind of love is love, but self-love is supreme among them.”
“आप जानते हैं कि आप किससे प्यार करते हैं लेकिन आप यह नहीं जान सकते कि कौन आपसे प्यार करता है.
“You know who you love but you can’t know who loves you.”
प्रेम और आकर्षण में फर्क है, दुनिया में ज्यादातर प्रेम केवल आकर्षण है..!!
“जो फूलदान से प्यार करता है, वह अंदर से भी प्यार करता है”
“One who loves the vase, loves also what is inside.”
“अगर पूर्णिमा तुमसे प्यार करती है, तो सितारों की चिंता क्यों करें ?”
“If the full moon loves you, why worry about the stars ?”
“प्यार में सच्चाई होनी चाहिए और सच्चाई में प्यार”
“Truth should be in love and love in truth.”
“प्रेमियों का झगड़ा प्रेम का नवीनीकरण है”
“The quarrel of lovers is the renewal of love.”
प्रेम में एक स्थिति यह भी आती है जब एक के कहे बिना दूसरा सुन लेता है.
There comes a situation in love when one listens without the other saying anything.
कोई प्यार जताए तो उसे पाने के योग्य बनिए, न कि उसका नाजायज फायदा उठाइए.
(पहले योग्य बनिए, फिर चाहत रखिए)
प्रेम शब्द का उच्चारण करते समय देखिएगा कि आप यह महज कर्मकांड की तरह जप रहे या इसे सचमुच जी रहे हैं..!!
किसी से कितना भी प्रेम करो, कितना भी सच्चा करो पर उसके नाम का टैटू मत बनवाना, शरीर के किसी हिस्से पर..

_ प्रेम खत्म हो सकता है, सच्चा प्रेम भी खत्म हो सकता है..
..पर नामुराद टैटू नहीं मिट सकता, मरने पर भी..
हमारे चारों ओर अनगिनत प्रेम- प्यार बिखरा हुआ है;
हम बेवजह ही नफरत में उलझे हुए हैं;
जो मिला है उसका दामन तो थामे रखो;
क्यों गैरों में उलझे हुए हैं…
प्यार और जिम्मेदारी में बहुत फर्क होता है,

_ हर जिम्मेदारी में प्यार नहीं होता, लेकिन सभी प्यार में बिना पूछे जिम्मेदारी आ जाती है.
_ प्यार लोगों को प्रियजनों के बारे में शिक्षित करता है.
_ वह शिक्षा जो उसने पहले नहीं सीखी है.
_ जो चीज़ उसे नापसंद थी ..वो अपने चाहने वाले के लिए लाइक करना सीख जाता है.
_ प्यार अपने प्रियजनों की खुशी के लिए खुद को तैयार करना है..
_ और जिम्मेदारी है परिवार के धर्म का पालन करना..!!
आम तौर पर हम मिलन को प्रेम समझ बैठते हैं.

_ जबकि सच क्या है ?
_ जहां पाने की शर्त है, वहां प्रेम नहीं..
_ प्रेम की पहली शर्त ही है परावर्तित कर देना, छोड़ देना..
_ सबसे बड़ा उदाहरण ‘राधा’ है..
_ “सारा संसार राधा को प्रेम की देवी मानता है”
_ राधा ने अपने प्रेम में सब छोड़ दिया..
_ प्रेमी को भी..
_ हम क्या गलती करते हैं ?
_प्रेम कहानी में मिलन तलाशते हैं.
_यही कारण है कि हम पूरी ज़िंदगी प्रेम की तलाश करते हैं, प्रेम को पा नहीं पाते.
_ और जिसे हम प्रेम कहते हैं, उसकी मियाद पांच मिनट होती है.
_ हम प्रेम के उपभोक्ता बन जाते हैं.
_हम समझते हैं कि जिससे हम प्यार करते हैं, वो हमारा गुलाम है.
_ हम प्रेम को जंजीरों में जकड़ लेना चाहते हैं.
_ समझ ही नहीं पाते कि ..छोड़ेंगे तभी तो प्रेम नज़र आएगा.
“जब कोई आपको खास और बेहतर महसूस कराने के लिए अपना सब कुछ दे रहा है, तो उसकी सराहना करें.

_ हर कोई आपके लिए ऐसा नहीं करेगा.
_ हर कोई आपको प्यार महसूस कराने के लिए अपनी सीमा और उससे आगे नहीं जाएगा.
_ प्रयास दुर्लभ हैं, इसलिए इसके खत्म होने से पहले इसकी सराहना करें,
_ क्योंकि कोई व्यक्ति चाहे आपकी कितनी भी परवाह क्यों न करे,
_ अगर उसके निरंतर प्रयासों की उचित तरीके से सराहना नहीं की जाती है,
_ तो यह उसे धीरे-धीरे आपसे दूर कर देगा.
_ इसलिए उन प्रयासों की सराहना करें और उन्हें महत्व दें,
_ इससे पहले कि आप बहुत सारे पछतावे और दुखों से घिर जाएं.”
यदि आप किसी के प्रति प्रेम महसूस नहीं करते हैं तो उसकी भावनाओं से न खेलें,

सच कहें और उसे जाने दें, अन्यथा आप उसे मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति बना देंगे.
if you don’t feel love for someone then don’t play with their emotions, say truly and let them go, otherwise you will make him or her mentally ill person.
हम अक्सर दूसरों के लिए जीने लगते हैं.

_ परिवार, दोस्त, सहकर्मी – हर किसी की ज़रूरतों को पूरा करने की कोशिश में हम खुद को कहीं पीछे छोड़ देते हैं.
_ हमारे दिन की शुरुआत किसी और की मांगों से होती है, और रात किसी की उम्मीदों को पूरा करते हुए बीत जाती है.
_ और धीरे-धीरे, बिना हमें महसूस कराए, हम भीतर से खाली होने लगते हैं.
_ खालीपन सिर्फ एक भाव नहीं होता, वो धीरे-धीरे हमारे चेहरे पर उतर आता है, हमारी मुस्कान में झलकने लगता है.
_ हम थकते नहीं हैं, बल्कि सूखने लगते हैं – उस नदी की तरह जो दूसरों को सींचते-सींचते खुद बंजर हो जाए.
— पर क्या आपने कभी सोचा है —
_ अगर एक दीपक खुद बुझ जाए, तो वह किसी और के जीवन में रोशनी कैसे करेगा ?
_ अगर हमारे अंदर ही स्नेह, ऊर्जा और प्रेम का स्रोत न बचे, तो हम दूसरों को क्या दे पाएंगे ?
_ खुद की देखभाल करना स्वार्थ नहीं है, यह आत्म-सम्मान है.
_ यह स्वीकार करना है कि मैं भी उतना ही महत्वपूर्ण हूँ जितना कोई और..
_ कि मेरी थकान भी मायने रखती है, मेरी भावनाएँ भी ध्यान चाहती हैं, और मेरी आत्मा को भी प्यार की ज़रूरत है.
_ हम अपने प्रियजनों के लिए सब कुछ करना चाहते हैं — उनकी मदद करना, उन्हें मुस्कुराता देखना..
_ लेकिन सच यही है कि जब तक हम खुद को नहीं संवारते, तब तक वो सच्ची ऊर्जा, वो गहराई, वो स्थिरता हम दूसरों को नहीं दे सकते.
_ जब हम भीतर से भरे होते हैं — आत्मविश्वास, स्नेह और संतुलन से — तभी हमारे रिश्ते भी फलते-फूलते हैं.
_ इसलिए ज़रूरी है कि हम रोज़ थोड़ी देर खुद के साथ बिताएं.
_ वो चुप्पी में बैठकर आत्मा से संवाद करना हो सकता है, कोई किताब पढ़ना, खुलकर हँसना, एक लंबी साँस लेना, या बस बिना अपराधबोध के खुद के लिए कुछ अच्छा करना.
_ अपने आप को थामना, खुद को समझना और खुद से प्रेम करना — यही आत्म-देखभाल है.
_ क्योंकि अंत में, जब हम खुद से जुड़े होते हैं, तब ही हम सच्चे अर्थों में दूसरों से भी जुड़ सकते हैं.
_ और यही जीवन की सबसे सुंदर बात है — जब हम भीतर से भरे होते हैं, तब ही हमारे हाथों से बहकर दूसरों तक प्रेम पहुँचता है.
– Rahul Jha

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