सुविचार – धन – पैसा – 005

Money cash money change coins money

सबसे फालतू चीज क्या है जिस पर लोग पैसे खर्च करते हैं ?

What is the most useless thing people spend money on ????
पैसे कमाने के बारे में तो आपको हर कोई बताता होगा, लेकिन शायद ही कोई आपको खर्च करने के तरीके बताता होगा.
सही फाइनेंशियल मैनेजमेंट में यह जरूरी है कि आप अपने खर्चों को भी मैनेज करें, हमें शांत चित से महीने की कमाई और खर्च का गणित अवश्य मिलाना चाहिए. खर्चे का सही मैनेजमेंट नही होने के कारण ही कमाई से अधिक खर्च कर जाते हैं. इसीलिए हम जो चीजें सस्ती हैं, उसका पीछा करने के लिए हमेशा महंगा भुगतान करते हैं.
_ शॉपिंग को अपनी हॉबी बनाने से बचें, लोन के द्वारा कुछ ना खरीदें, _ ये समझें कि कहां पर पैसे खर्च करने चाहिए और कहां नहीं..!!
सामाजिककरण महंगा नहीं होना चाहिए, जैसे शादी-विवाह, गृह प्रवेश आदि..!!
आगे की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए आज पैसे बचाना जरूरी है.
पैसे खर्च करना सीखने से आपको अपने पैसों का अधिक से अधिक इस्तेमाल आ जाता है ; _ इतना ही नहीं, इससे आपको भी खुशी मिलती है.
अनेक लोग वह धन व्यय करते हैं, जो उनके द्वारा कमाया हुआ नहीं होता. वे चीजें खरीदतें हैं, जिनकी उन्हें जरुरत नहीं होती.
ऐसे लोग _ उनको प्रभावित व दिखावा करना चाहते हैं, जिन्हें वे पसन्द भी नहीं करते.
हमारी ‘चाहत’ चुपके से ‘ज़रूरतों’ में बदल जाती है और ऐसी चीजें जो कभी विलासिता की चीज़ें हुआ करती थीं, ज़रूरतों में बदल जाती है.
यह मानसिकता एक समस्या खड़ी करती है, एक बड़ी समस्या..
इसलिए अपनी आय के आधार पर अपनी चाहत की सीमा निर्धारित करें..
आप अपने चुने हुए तरीके से अपने जीवन का भरपूर ‘आनंद ’लेते रह सकते हैं.
पैसा तो एक साधन मात्र है. आप जहां चाहें यह आपको ले जाएगा, लेकिन यह ड्राइवर के रूप में आपकी जगह नहीं लेगा. – AynRand
पैसा महत्वपूर्ण है लेकिन यह सब कुछ नहीं है… उन सभी चीजों के बारे में सोचें _जो आपके पास पहले से ही हैं _जिन्हें पैसे से नहीं खरीदा जा सकता.
यदि आपके पास पैसा नहीं है तो आप कुछ और नहीं सोचते हैं, _और यदि आपके पास है तो अन्य चीजों के बारे में सोचते हैं.!!
धन कमाना बहुत कठिन है, और यदि मिल जाए तो ..
“उसकी रक्षा करना और मुश्किल है.”
कुछ लोग निर्धनता प्रकट करके और खुद को निर्धन दिखा के खुश होते हैं.!!

_धनी होना चाहते हैं पर मेहनत किए बिना.!!
धन की महिमा उतनी ही ठीक है, जितने से जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति होती रहे ; _ उससे अधिक की इच्छा करना और उसके लिए कीमती जीवन को नष्ट करना व्यर्थ है !!

” जीवन यापन के लिए धन अर्जित करना उचित है, पर धन के लिए जीवन अर्पित कर देना पागलपन है “

” पर्याप्त पैसा होने की सबसे बड़ी बात यह है कि आप इसके बारे में सोचना बंद कर सकते हैं.” – Tara Westover

धन हमारी क्षमता को बढ़ाकर हमारे जीवन में एक भूमिका निभाता है ; _ लेकिन बहुत अधिक धन वास्तव में इससे वंचित करता है.
किसी व्यक्ति की महानता इस बात में नहीं है कि वह कितना धन अर्जित करता है, बल्कि उसकी ईमानदारी और अपने आसपास के लोगों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने की उसकी क्षमता में है.”

The greatness of a man is not in how much wealth he acquires, but in his integrity and his ability to affect those around him positively.”

धन हमें अपने पास होने से उतना प्रसन्न नहीं करता जितना अपने नुकसान से हमें पीड़ा देता है.

Riches do not exhilarate us so much with their possession as they torment us with their loss.

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके पास बहुत कुछ है या थोड़ा, धन प्रबंधन के पांच सरल नियम याद रखें:

1. नकद राजा है.

2. आपके पास जितना है उससे अधिक खर्च न करें.

3. जब आप अधिक कमाते हैं तो अपने खर्च में वृद्धि न करें.

4. आप पैसे बचाने में कभी गलत नहीं हो सकते.

5. अपना पैसा काम पर लगाएं.

It doesn’t matter If you’ve a lot or a little, remember five simple rules of money management: Cash is king. Don’t spend more than you have. Don’t increase your spending when you make more. You can never go wrong saving money. Put your money to work.

अपने जीवन और कार्य को प्रबंधित करें ताकि पैसा आपका वफादार सेवक बन जाए, न कि आपका अथक स्वामी..!!

Manage your life and work so that money becomes your faithful servant, not your relentless master.

अधिकतर झगडे पैसों को लेकर होते हैं. बेहतर होगा कि अपने खर्च, बचत, निवेश की योजना पहले से ही बना लें और फिजूल के खर्चों से बचें.
यदि आप किसी से पैसा उधार लेते हैं तो उसे समय पर अवश्य लौटाएं.

_ जो भी तारीख दो उस तारीख को चाहे किसी से भी पैसे लेकर देने पड़े लेकिन उस तारीख को कभी मत चूकना..!!
पैसे को सफलता से जोड़ना गलत हो सकता है, पर अफ़सोस यह है कि सफलता को आँकने के लिए पैसा ही सब से अच्छा थर्मामीटर है.
धनी और कंगाल के मध्य का अन्तर कितना नगण्य है. एक ही दिन की भूख या एक ही घण्टे की प्यास दोनों को समान बना देती है.
#धन आवश्यक है, _ आजीविका और अच्छा जीवन को जीने के लिए,

_ पर इस से अधिक धन को महत्व देना वाले व्यक्ति के जीवन से प्रेम विदा हो जाता है,
_ क्योंकि धन के लिए जितना कठोर होना होता है , प्रेम इतना कठोर नही हो पाता..!!
यदि आप कम धन में सुख का अनुभव करना नहीं जानते, _

_ तो अनंत धन राशि भी आप को सुखी नहीं बना सकती.

पैसा सिर्फ एक हद तक ख़ुशियाँ खरीद सकता है, स्टडीज बताती है कि _

_ करीब ४९ लाख प्रति वर्ष इनकम की बाद भी ख़ुशियों में बहुत कम ही इज़ाफ़ा होता है.

ईमानदारी से धन कमाना सर्वश्रेष्ठ नीति है तथा मेहनत से कमाए धन से जो संतोष और ख़ुशी मिलती है _ वह अनैतिक तरीको से कमाई में नहीं मिलती हैं.
धनार्जन के लिए प्रयतनशील रहना उत्तम है, _

_ किन्तु धन की धुन में ही धधकते हुए धराशायी हो जाना उचित नहीं है.

धन का मोह छोड़ने पर ही मालूम होता है कि उस से भी बड़ी चीज कुछ होती है.

अक्सर, जीवन में सबसे कीमती चीजें वे चीजें होती हैं _ जिन्हें पैसे से नहीं खरीदा जा सकता.
कम पूंजी के बढ़ने की गति बहुत धीमी होती है..

_ इसलिए उसे बचाए रखने के लिए अपने खर्च पर निर्मम नियंत्रण रखना जरूरी है.

जैसे धुन बदलने पर लोगों का नृत्य बदल जाता है,

_ वैसे ही धन के आगमन पर लोगों का पूरा दृश्य बदल जाता है ..

जिन्दगी में जीवन से बड़ा पैसे को मत समझ लेना _

_ वरना जिंदगी बड़ी ही बेकार सी लगने लगेगी.

आप ने पैसे कितने कमाए, इस बात की कोई अहमियत नहीं होगी,

_ “कैसे कमाए, इस बात की हमेशा अहमियत रहेगी.”

अमीरी के बाद, जो मान- सम्मान मिलता है, वह अमीर का सम्मान नहीं, _

_ अमीरी का सम्मान है.

अपने आसपास आपको जितने भी उपद्रव होते दिखेंगे,

_ उसकी जड़ में कहीं ना कहीं पैसें या सम्मान पाने का लालच ही नजर आएगा,

_ व्यक्ति को पैसा और सम्मान जितना मिले उतना कम लगता है, इसलिए आखिरी सांस तक व्यक्ति के जीवन में उपद्रव चलते रहते हैं.

अगर आप जितना पाते हो, उस से कम खर्च करना जानते हो, तो आपके पास पारस पत्थर है.
यदि आप अपनी मेहनत से कमाए गए पैसे की कद्र नहीं करेंगे तो..

..कोई भी आपके पैसे की कद्र नहीं करेगा..!!

पैसा आपको ख़ुशी के अतिरिक्त, सब कुछ दे सकता है. _

_ उस में आपको सुखों में भी दुःखी बनाने की शक्ति है.

किसी के धन- ऐश्वर्य से उसके सुखी होने की परिकल्पना न कीजिये, वह अपने हिस्से के जाल में घिरा है.

_ उसका ऐश्वर्य एक सुसज्जित प्रयोगशाला (lab) की तरह है, जहाँ उसे अपने हिस्से के सबक़ सीखने के लिए भेजा गया है.

“ ऐसा मत सोचो कि पैसा सब कुछ करता है _

_ वरना आप पैसे के लिए सब कुछ करने लग जाओगे ”

अपनी आर्थिक स्थिति को गंभीरता से लो,

_ पैसा कई चुनौतियों का बचाव है और इससे कई समस्याएं हल हो सकती हैँ.

पैसे की कीमत को मैंने इतना ही जाना है, _ अमीर चाहे जितना हो जाओ, दाल – रोटी ही खाना है..
पैसा एक कीमती वस्तु है; आपके पास है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप इसे बर्बाद कर दें.
पैसा खुशी नहीं देता पर आपके दुःखों को कम जरूर कर देता है.
धन, जीवन, स्त्री और भोजन के विषय में, सब प्राणी अतृप्त हो कर गए, जाते हैं और जाएंगे.
हराम की दौलत आराम दे सकती है, लेकिन सुकून नहीं !
पैसा हमारे व्यक्तित्व में तभी सही चमक पैदा कर सकता है, जब हमारे मानवीय गुण बने रहें. 
हमें प्रतिस्पर्धा में तो नहीं जीना, पर साथ ही आवश्यक धन का अभाव भी हमारे पास नहीं रहना चाहिए.
धन का सही इस्तेमाल समझदार ही करता है, और लोग उससे ईर्ष्या करते हैं कि वो संतुष्ट कैसे है.
पैसे के लिए काम करना और पैसों को काम पर लगाना ; इन दोनों में फर्क है.
छोटी धनराशि ऋणी बनाती है और बड़ी धनराशि शत्रु.
पैसा आपका सेवक है, यदि आप उसका उपयोग जानते हैं, तो आप उसके स्वामी हैं.
पैसा हमारा सेवक ही बना रहे, न कि यह हमारा स्वामी बन बैठे. 
ऐसा मत सोचो कि पैसा सब कुछ करता है वरना आप पैसे के लिए सब कुछ करने लग जाओगे.
धन के मद में मतवाला मनुष्य, गिरे बिना होश में नहीं आता !!
जीवन में खुश रहने में पैसे का बहुत बड़ा योगदान है, इसलिए पैसे का सम्मान करें, पर इस तरह से कि यह आप की चिन्ताएं दूर करे न कि चिन्ता का कारण बने.
धन हमारी आवश्यकताओं और इच्छाओं को पूरा करे, हमारी प्रतिभा को निखारे, हमारी छमता को बढ़ाए, तो इसके लिए बेहद जरुरी है कि हम पैसे का सम्मान करें. 
हमारी शिछा में कमी ये नहीं है कि पैसा खर्च करना नहीं सिखाया गया.

_ बल्कि कमी यह है कि पैसा बनाने के बाद उसका किस तरह इस्तेमाल किया जाए और उसे किस तरह संभाला जाए, इसे पैसे की समझ कहते हैं.

मेहनत से कमाए धन की फसलें जब बढ़ती हुई नजर आती है तो.. संतोष होता है.

_ मेहनत की कमाई, थोड़ी कम ही क्यों ना हो, वो जीवन में खुशी और शांति देती है,
_ लेकिन गलत तरीके से आई धन की फसलें लहराती तो हैं.. लेकिन कम समय तक..
_ और फिर उसमें उग आए खरपतवार के कांटे आपको चुभने लगते है..
_ और समय के साथ इसका दर्द और भी बदतर हो जाता है..!!
गलत काम से पैसे तो कमाए जा सकते हैं, लेकिन वो पैसे इच्छा पूरी नहीं कर पाते, क्योंकि इच्छा लगातार बढ़ती चली जाती है की इसके बाद ये ये शौक पूरे करना है.

और ईमानदारी की कमाई, थोड़ी कम ही क्यों ना हो, वो जीवन में खुशी और शांति देती है,

अपना लछ्य अमीर बनना जरूर रखो, लेकिन जल्दी अमीर बनने के चक्कर में गलत रास्ते पर मत जाओ, वरना आप मानसिक रोगी बन जाओगे.

निश्चल हृदय का कोई मोल नहीं, प्रेम तो ठीक है कर लेंगे __ पर जीवन भर साथ निभाने वाला कोई नहीं,

धन हो तो प्रेम, साथ, यार दोस्त, रिश्तेदार इस संसार का हर संबंध खरीद सकते हो _ हर बेगाना भी आपका अपना हो जाता है…!!!

पैसे का प्रभाव अपने चरम पर पहुंच गया है और हर जगह इसका बोलबाला है.

_ जिसके पास पैसा है.. वह बुद्धिमान और शक्तिशाली है, बाकी दुनिया उनकी नजर में मूर्ख है.
_ ये भी सच है कि पैसा कमाने का ये आसान सा दिखने वाला काम ..हर कोई क्यों नहीं कर पाता ?
_ दरअसल, ‘आसान’ दिखने वाला ये काम ..इतना आसान नहीं है.
पैसों की अन्धी लालसा में जब हम बेईमानी, चोरी और भ्रष्टाचार से पैसा कमाने लगते हैं, तो हम पैसे का घोर निरादर कर रहे होते हैं. 
जब हम पैसा धोखा, बेईमानी, शोषण, भ्रष्टाचार या अपराध के द्वारा हासिल करते हैं, तो इसका सीधा- सा अर्थ है कि हम पैसे की अस्मिता और उसकी गरिमा को अपमानित कर रहे हैं — ऎसा पैसा कभी भी सच्ची ख़ुशी नहीं देता. 
पैसा कमाने की होड़ ने हमें पागल कर दिया है, अमानवीय बना दिया है.

_ धन कमाना और उसे बढ़ाना- प्रशंसनीय है..
_ लेकिन इसके लिए छल-बल, प्रपंच, बेईमानी, घूसख़ोरी कतई ज़रूरी नहीं है.
_ ये कमाई के वे ‘शार्टकट’ हैं, जिसे केवल आलसी और लालची लोग अपनाते हैं।
_ मेहनत करने वाला अपनी बुद्धि-चातुर्य और परिश्रम से, ईमानदारी से धनोपार्जन करता है और सीना तान कर अपने व्यक्तित्व का विकास करता है.
_ रात को मीठी नींद सोता है, शारीरिक व्याधियों से दूर रहता है और अपनी आगामी पीढ़ियों को प्रकाशपुंज बनकर प्रकाशित करता है.
– द्वारिका प्रसाद अग्रवाल
“जिस तरह गंदगी में बना भोजन खाने में स्वादिष्ट होता है, लेकिन शरीर को नुकसान पहुंचाता है,

_ वैसे ही गलत तरीके से कमाया पैसा आपको क्षणिक सुख ज़रूर देता है, लेकिन वो इसी तरह बाहर भी निकलता है.
_ इसलिए पैसे कमाने में ईमान का ध्यान रखें, नहीं तो वो संताप के रूप में सामने आएगा.
“- “पैसा कितना कमाया, इससे अधिक महत्वपूर्ण है कि पैसा कैसे कमाया”
लोग धन जमा करने में समय गंवा देते हैं.

_ जिस समय को वो जी सकते थे, उसे जीने की तैयारी में खर्च कर देते हैं.
_ सोचते हैं कि एक दिन जी लेंगे.
_ जब कागज के ढेरों नोट वो जमा कर लेते हैं और सोचते हैं कि अब जी लेंगे तो समय नहीं बचता, जीने के लिए..
_ सबसे बड़ी करेंसी खत्म हो चुकी होती है.
_ बचता है, बस कागज का टुकड़ा..!!
दुनिया की सारी सुविधाएं पाने और पैसा कमाने की होड़ में हम इंसान मशीन बन गये हैं.
_ मिलना जुलना आपसी सुख दुख सब दूर हो चले हैं..!!
बेईमानों, धोखेबाजों और भ्रष्टाचारियों से धन अपने अपमान का बदला जरूर लेता है, जब ऎसे लोग मुसीबत में घिरते हैं, तो पैसा भी अपना मुँह मोड़ लेता है. 
कमाना एक बुद्धिमता हो सकती है, लेकिन उस से बड़ी बुद्धिमता इसमें है कि अपनी कमाई का सदुपयोग करना सीख जाए.
पैसा कमाने की होड़ ने हमें पागल कर दिया है, अमानवीय बना दिया है.

_ धन कमाना और उसे बढ़ाना- प्रशंसनीय है लेकिन इसके लिए छल-बल, प्रपंच, बेईमानी कतई ज़रूरी नहीं है.

_ ये कमाई के वे ‘शार्टकट’ हैं जिसे केवल आलसी और लालची लोग अपनाते हैं.

छोटे-छोटे लोभ, बङे लाभों से वंचित करते हैं, लेकिन लोग फिर भी समझते नहीं हैं, और शोर्ट कट रास्ता चुनते हैँ !!

मेहनत करने वाला अपनी बुद्धि-चातुर्य और परिश्रम से, ईमानदारी से धनोपार्जन करता है और सीना तान कर अपने व्यक्तित्व का विकास करता है.

_रात को मीठी नींद सोता है, शारीरिक व्याधियों से दूर रहता है और अपनी आगामी पीढ़ियों को प्रकाशपुंज बनकर प्रकाशित करता है.

मनुष्य धन के अभाव से उतना कष्ट नहीं पाता, जितना वह अपनी फ़ुजूलखर्ची के कारण पाता है.
जिस पैसे में अपने पसीने की महक न हो, वह पैसा सुख के सारे साधन तो दे सकता है, परन्तु मन की शान्ति नहीं.
यदि धन को आप पहचानते हैं तो वह आप का दास है, यदि नहीं पहचानते तो आप उस के दास हैं.
जिस व्यक्ति की यह राय हो की पैसा सब कुछ कर सकता है,

उस पर ये संदेह किया जा सकता है की वो पैसे के लिए कुछ भी कर सकता है.

पैसा इनसान के लिए जरुरी है लेकिन पैसा सब कुछ नहीं है, जिस के लिए आदमी सारे रिश्तों को आग लगाने के लिए तैयार हो जाए.

पैसों के लिए इतना अंधा भी नहीं होना चाहिए कि वह अपनों को ही नुकसान पहुंचा कर अपने स्वार्थ की पूर्ति करे.

जो इंसान अपनी आमदनी के अनुसार खर्च करता और बचत करता है, अपने आने वाले कल के लिए सोच कर चलता है, वह कभी परेशान नहीं होता.
पैसों को सही ढंग से बचत करना कंजूसी नहीं, _ बल्कि समझदारी कहलाता है…
कमाने में बहुत श्रम लगता है _उसे यूँ जाया जाते देख पीड़ा होती है.

_ पर समझदारी से खर्च करने और कंजूस होने में फर्क होता है..!!

पैसा कमाने के लिए इतना वक़्त खर्च ना करो कि _ पैसा खर्च करने के लिए ज़िन्दगी में वक़्त ही ना मिले !
जो खर्च कर सके, वही धन का वास्तविक मालिक है, _ बाकि तो सभी सम्पति के चौकीदार हैं.
खुद के लिए पैसा कमाना अच्छी बात है, और उससे किसी और का भी भला हो तो बहुत अच्छी बात है.
किसी भी तरह से पैसा प्राप्त करना न पैसे से प्यार है, न यह पैसे का सम्मान है. 
पैसा सब कुछ नहीं होता,_ बाकी पैसे से सब कुछ होता है..!!
पैसे होना सुखी होने की नहीं संपन्नता की निशानी है.
धनसंपदा आप को बिना उच्चतर मूल्यों के स्थायी सुख संतोष नहीं दे सकती.
पैसा, शोहरत या स्टेटस सिर्फ हमारी जरुरत है, ख़ुशी का मूलमन्त्र नहीं.
-पैसा कितना कमाओगे इसकी अहमियत नहीं है _बल्कि पैसे कैसे कमाए _यह महत्वपूर्ण होता है.
धन के भी पर होते हैं. कभी- कभी वे स्वयं उड़ते हैं और कभी- कभी अधिक धन लाने के लिए उन्हें उड़ाना पड़ता है.
“उन चीज़ों पर अत्यधिक पैसा खर्च करें जिन्हें आप पसंद करते हैं,

_ और उन चीज़ों पर निर्दयतापूर्वक कटौती करें जिन्हें आप पसंद नहीं करते हैं”

बेशक पैसे से हम कुछ भी ख़रीद सकते है पर पैसे से कई चीज़ें नही ख़रीद सकते

जैसे – माँ-बाप, मन की शांति, बुद्धि, समझ, प्रतिभा.

धन से हम जीवन की सारी सुख सुविधा तो हासिल कर सकते हैं,

पर जीवन में सुकून केवल अच्छे कर्मों से ही आता है.

सत्य से कमाया धन हर प्रकार से सुख देता है और

छल कपट से कमाया हुआ धन दुःख ही दुःख देता है.

आप कितना कमाते हैँ और आप के पास कितना धन है,

_ यह बातें किसी को भी सीधे – सीधे ना बताएं..

शराब से ज्यादा नशा धन का होता है, शराब का नशा तो दो- चार घंटे बाद ही उतर जाता है, लेकिन धन का नशा तो जिंदगी बरबाद करने के बाद ही उतरता है.
क्या चीज बनायी है “धन”,

लगभग सभी अपने “निधन” तक इकठ्ठा करने में लगे रहते हैं.

हर किसी को लगता है सफ़ल होने के बाद ज़िंदगी आसान होगी…पैसे होंगे और मन पसन्द सब कुछ होगा, _

_ देखो यार, _ ऐसा है यदि तुम्हारा मन शांत नहीं है और तुम परेशान हो…तब जीवन की कोई भी अवस्था रास नहीं आनी…!!!

लोग कहते हैं कि पैसा सिर्फ़ बेईमानी से, धोखाधड़ी से, गरीबों का शोषण करके ही कमाया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है !!

_यह कामचोर और आलसी लोगों की फैलाई हुई भ्रांति है.
_यदि आपमें श्रम करने की ताकत है, दिन-रात काम में जुटे रहने का जज़्बा है, सोच-विधार करने की शक्ति है तो ..आपके पास पैसे को आने से कोई नहीं रोक सकता.
_पैसे के साथ आपके चेहरे पर मेहनत की चमक भी आएगी, सफ़लता का आत्मविश्वास भी झलकेगा.
_मेहनत और लगन के रास्ते पर चलना तो शुरू कीजिए.
धन….

अपनी जरूरतों के लिए धन कमाना, भौतिक साधन एकत्र करना बहुत अच्छी बात है किन्तु धन दौलत जमा करने की भूख होना, लालसा होना, लालच होना उसके लिए अनैतिक कार्य करना, दुसरो का हक़ मारना उचित नहीं है !!! याद रखिये धन की तीन गतियाँ प्रसिद्ध है, पहला उपभोग, दूसरा दान तीसरा स्वतः नष्ट हो जाना !!!

पैसा अकेला एक साधन है; यह एक आदमी को इसका इस्तेमाल करने की अनुमति देता है. अमीर आदमी जहां चाहे जा सकता है, लेकिन शायद खुद को कहीं खुश नहीं करता ; _ वह एक पुस्तकालय खरीद सकता है या पूरी दुनिया की यात्रा कर सकता है, लेकिन शायद न तो पढ़ने का धैर्य है और न ही देखने की बुद्धि…. बटुआ भरा हो सकता है और दिल खाली.

_हो सकता है उसने संसार को पा लिया हो और स्वयं को खो दिया हो; और उसके चारों ओर उसकी सारी दौलत के साथ .. वह किसी भी जीर्ण-शीर्ण खाई की तरह खाली जीवन जी सकता है.

हमारे पैसे का असली मूल्य इसमें नहीं है कि हम अपने लिए क्या खरीद सकते हैं, बल्कि इस बात में निहित है कि हम दूसरों के जीवन में क्या बदलाव ला सकते हैं.

_ भौतिक संपत्ति की तुलना में हमारे पैसे खर्च करने के लिए हमेशा बेहतर चीजें होती हैं.

_ हमारा पैसा केवल उतना ही मूल्यवान है जितना हम इसे खर्च करने के लिए चुनते हैं ; _ जब हम भौतिक सामान चुनते हैं, जैसे बड़ी स्क्रीन वाला टीवी या नया वार्डरोब, तो यही वह मूल्य है जो हमने प्राप्त किया है—क्षणभंगुर मनोरंजन या हमेशा बदलते रहने वाला फैशन.

लेकिन आइए एक अलग दृष्टिकोण पर विचार करें ; __ क्या होगा अगर हम उस पैसे को परिवार की छुट्टी – जैसे साझा अनुभवों पर खर्च करना चुनते हैं ? हमारे धन का मूल्य तब भौतिक से परे होता है.

उसी तर्ज पर, क्या होगा अगर हम उन्हीं संसाधनों को समस्याओं को हल करने और दुनिया में परिवर्तन को प्रभावित करने के लिए निर्देशित करें ?

एक अनाथ बच्चे के लिए एक परिवार या एक गांव को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए ? अचानक, हमारे पैसे का मूल्य कई गुना अधिक हो जाता है !

अगर आप को पैसे बचाने हैं तो बैंक में एक आरडी अकाउंट जरूर खुलवाएं. ऐसा करने से आप हर महीने कुछ पैसे जरूर बचा सकेंगे और साथ ही, आप को बैंक से ब्याज भी मिलेगा.
यदि रूपया उधार लेने की नौबत आ जाय, तो वायदे के अनुसार उसका ब्याज देते रहिये और उसे उतार कर ही दम लीजिये.
धन उत्तम कर्मों से उत्पन्न होता है, प्रगल्भता [ साहस, योग्यता व दृढ़  निश्चय ] से बढ़ता है, चतुराई से फलताफूलता है और संयम से सुरछित होता है.
सिर्फ इसलिए कि आपके पास पैसा है, बहुत सी नई चीजें ख़रीदना बंद करें, जिनकी आपको जरुरत नहीं है.
क्या जीवन में भोजन ही प्रधान है ?

सामाजिक खर्च, दैनिक जीवन हेतु उपयोगी वस्तुएँ, सामाजिक लेन-देन,

आपके रोजाना आने-जाने का खर्च, रोज का ड्रेस-अप,

आगे चलकर कुछ आकस्मिकताओं का वित्तीय प्रबंधन….

इस विषय में क्या सोचा आपने ?

पैसे सिर्फ आपकी लाइफ़ स्टाइल बदलते हैं और आपकी जरूरतों को पूरा करते हैं.

अपनी खुशी के लिए पूरी तरह से पैसे पर आश्रित ना रहें.

धन न हो तो चिंता मोटी होती है और

धन ज़्यादा हो तो भी चिंता तंदुरुस्त होती है,

इसलिए धन के साथ ध्यान को जोड़ना जरुरी है.

जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो मज़े से भीगते रहे बारिश में ..

.. जिनके जेब में नोट थे वो छत तलाशते रहे ….

खरीद लो साहब पैसों से संसार के सारे ऐशो आराम,

बस हमें इतना बता देना __ सुकून क्या भाव ख़रीदा..

एक वक़्त होता है, जब हम कुछ बनना चाहते हैं..

_ किसी को देख के.. उसके रुतबे को या ओहदे को देख के.. टीचर, डॉक्टर, इंजीनियर या फिर पायलट, खैर !…
_ फिर बाद में मुझे पता चला कि पैसेवाला बनना ज्यादा जरूरी है…!!
पैसा जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज क्यों है ?

पैसा कितना महत्वपूर्ण है, यह आपकी जरूरतों और इच्छाओं पर निर्भर करता है।

सर ढकने के लिए छत, शरीर पर आरामदायक कपड़े, और भूख शांत करने वाला भोजन। इन 3 चीजों के लिए 10,000 भी काफी है ,_

और 10,00,000 भी कम है – जब तक इच्छाएं हैं, तब तक पैसे का जीवन में अतिमहत्वपूर्ण स्थान है.

” कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना “

अगर कोई व्यक्ति दिन रात मेहनत करता है तो लोग कहते हैं,

पैसों के लिए मरा जा रहा है और मेहनत ना करे तो निकम्मा है,

पैसा खर्च करो तो उसे फिजूलखर्ची व दिखावा कहा जाता है

और पैसा खर्च ना करे तो उसे कंजूस व मक्खीचूस कहा जाता है,

अगर आपके पास पैसा बहुत है तो कहेंगे कि दो नम्बर का होगा

और अगर पैसा कम है तो कहेंगे कि थोड़ी सूझबूझ होती तो यह हाल नहीं होता,

और जिंदगी भर मेहनत से जमा किये गये पैसों के बारे में कहा जाता है कि

पैसे का सुख नहीं भोगा, ” तो कमाया ही क्यों था ”

बहुत पैसा है माना, तुम सब कुछ खरीद लोगे,

बताओ जरा मुस्कुराहट की कीमत क्या दोगे,
क्या भाव लगाओगे तुम भावनाओं का,
रिश्तों को निभाने की कीमत क्या दोगे,
माना ख़रीद लोगे तुम जमीं बहुत,
क्या आसमाँ जरा सा भी ख़रीद पाओगे,
पानी भी खरीद सकते हो पैसो से मगर,
क्या प्यास की कीमत लगा पाओगे,
बहुत पैसा है माना मगर,
क्या खुशियाँ खरीद सकते हो,
क्या खरीद सकते हो तुम सुकूँ थोड़ा,
क्या वो बचपन खरीद सकते हो,
बहुत महँगा सा बेड भी खरीद लोगें यूँ तो तुम,
मगर क्या तुम नींद का भाव लगाओगे,
डॉक्टर भी रख लोगे महँगे से महँगा,
मगर स्वस्थ शरीर क्या पुनः पाओगे..
बहुत पैसा है माना मगर क्या खोये हुए दोस्त खरीद सकते हो,
क्या भाव लगाओगे उन यादों का, उन लम्हों का बताओ तो,
क्या वो चौराहें वाली मुलाक़ातें ख़रीद सकते हो ,
बहुत पैसा है माना मगर..
खरीद तो लोगे तुम घर भी बड़ा,
क्या परिवार जुटा पाओगे,
बिन परिवार क्या सिर्फ पैसों से,
घर को घर भी बना पाओगें,
बहुत पैसा है माना मगर, क्या दिन-रातें खरीद सकते हो,
क्या अंतिम क्षण में पैसों से कुछ साँसे खरीद सकते हो..
बहुत पैसा है माना मगर ???
असल में पैसे की इस भागा – दौड़ी में मनुष्य जीवन को जीना भूल गए है, जीवन को धीरे-धीरे पैसे के जैसे ही खर्च किये जा रहे है,
लोगो के पास भाइयों- बहनों तथा उन दोस्तों जिन्होंने हर परेशानी में साथ दिया है उनसे ही बात करने के लिए समय नही है..
अरे क्या करोगें इतना पैसा कमाकर,
एक बार रोज़ शाम को इस झूठी दुनिया से बाहर निकलो और भाइयों – बहनों और उन बिछड़े दोस्तों को कॉल कर बात करना शुरू करो,
देखो जीवन कितना सुन्दरमय उपहार है..
आज की दुनिया में, हम पैसे वाले लोगों की प्रशंसा करते हैं और उनका जश्न मनाते हैं.

पत्रिकाएँ उन्हें रैंक करती हैं, टेलीविज़न नेटवर्क और वेबसाइटें उनकी सफलता का जश्न मनाती हैं; – उनसे जुड़ने के तरीके के बारे में किताबें लिखी गई हैं.
पैसे वाले लोगों के साथ अक्सर हमारी डिनर पार्टियों में अलग तरह से व्यवहार किया जाता है ; _ मुझे ऐसा लगता है कि अधिकांश लोग उनसे जुड़ना चाहते हैं.
वास्तव में, यदि आपको एक कमरे में बैठे लोगों से पूछा जाए, “आपमें से कितने लोग अमीर बनना चाहेंगे ?” लगभग हर हाथ ऊपर उठेगा.
हमारे समाज में ढेर सारा पैसा होना एक उपलब्धि का प्रतीक है, _जिसे हासिल करने की चाहत ज्यादातर लोग रखते हैं.
यहां तक ​​कि छोटी उम्र से ही, _हममें से कई लोगों ने यह कल्पना की थी कि जब हम बड़े होंगे तो हमारे पास ढेर सारा पैसा होगा और यह कितना अद्भुत होगा.
_ और जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, यह कुछ ऐसा है जिसे हासिल करने के लिए हम कड़ी मेहनत करते हैं.
लेकिन आइए एक पल के लिए रुकें और एक नए ढंग से विचार करें: ->
क्या बहुत सारा पैसा होना सचमुच ऐसी चीज़ है, जिस पर हमें गर्व होना चाहिए ?
हम इसका इतना पीछा क्यों कर रहे हैं ? शायद यह गर्व करने की बात नहीं है…
निःसंदेह, यह बात कड़ी मेहनत कर के जो धन अर्जित करता है, उसको कमतर आंकने के लिए नहीं है.!!
_यह सिर्फ एक स्वीकृति है कि इसके अलावा और भी कुछ है, जिसका हमें पीछा करना चाहिए.
हमारे लिए भविष्य के लिए तैयारी करना बुद्धिमानी है, _ लेकिन कोई ऐसा बिंदु भी है _ जिसको आवश्यकता के मुकाबले _अधिक महत्व दिया जाना चाहिए.
मैं कम कमाई के लिए नहीं कह रहा हूं. _प्रत्येक व्यक्ति को उसकी मेहनत का पैसा मिलना चाहिए,
_मैं बस सोच रहा हूं कि हमने जो पैसा कमाया है, उस पर हमें कहां गर्व होना चाहिए.!!
बेशक अपनी जरूरतें अपने, अन्दर ही दफन कर दो,

मगर भूल कर यहाँ किसी से, पैसे न माँगो उधार।
सोचो माँग रहे हो जिससे पैसे, उसकी अपनी भी जरूरतें हैं,
पैसे माँग कर क्यूँ बढा रहे हो, किसी और का तुम भार॥
बेशक अपनी जरूरतें अपने, अन्दर ही दफन कर दो,
मगर भूल कर यहाँ किसी से, पैसे न माँगो उधार।
हर इन्सान कमाता है यहाँ, खुद को सूकून देने के लिए,
उस पर फिर आ जाते हो तुम, उससे उधार लेने के लिए,
फिर रिश्तो को बना देते हो तुम, पैसे माँग माँग कर,
कभी न चलने वाला यहाँ, इक उजङा हुआ कारोबार॥
सोचो माँग रहे हो जिससे पैसे, उसकी अपनी भी जरूरतें हैं,
पैसे माँग कर क्यूँ बढा रहे हो, किसी और का तुम भार॥
बेशक अपनी जरूरतें अपने, अन्दर ही दफन कर दो,
मगर भूल कर यहाँ किसी से, पैसे न माँगो उधार।
दिन रात मेहनत कर कर ईंसान, कुछ पैसे कमा कर लाता है,
इस शख्स से पैसे माँगते हुए, माँगने वाले का कुछ नहीं जाता है,
माँगने वाला तो पा लेता है खुशियाँ, उन पैसों से यहाँ,
और पैसे देने वाला पैसो की, फिर करता रहता है ईंतजार॥
सोचो माँग रहे हो जिससे पैसे, उसकी अपनी भी जरूरतें हैं,
पैसे माँग कर क्यूँ बढा रहे हो, किसी और का तुम भार॥
बेशक अपनी जरूरतें अपने, अन्दर ही दफन कर दो,
मगर भूल कर यहाँ किसी से, पैसे न माँगो उधार।
जरा सोचो उधार किसी ने यहाँ, कितनी जरूरतें मार कर दिया होगा,
फिर खुद की जरूरत पङने पर पैसे, आने का ईंतेजार किया होगा,
फिर उधार देने वाला शख्स पैसे, अपने पाने के लिए,
आता रहा आपकी चौखट पर, खाली लौटता रहा हर बार॥
सोचो माँग रहे हो जिससे पैसे, उसकी अपनी भी जरूरतें हैं,
पैसे माँग कर क्यूँ बढा रहे हो, किसी और का तुम भार॥
बेशक अपनी जरूरतें अपने, अन्दर ही दफन कर दो,
मगर भूल कर यहाँ किसी से, पैसे न माँगो उधार..
Lekhak MAHESH KUMAR CHALIA.

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected