मुझे जिंदा रहने दिया जाए ! – 2020

जिस तरह आप किसी मामूली चीज़ को हासिल करने के लिए कोई कीमती चीज़ जाया नहीं करते,

उसी तरह दुनिया के पीछे अपनी अहमियत को ज़ाया न करो…

कभी-कभी आपके दिल को उस चीज़ को स्वीकार करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता होती है _जिसे आपका दिमाग पहले से जानता है..!!
उन चीजों पर ध्यान केन्द्रित न करें जिन्हें आप बदल नहीं सकते ; वह समय बेकार करने वाला काम है.

Don’t dwell on things you can’t change. Its a waste of time.

उस व्यक्ति के अतीत [ past ] को सामने न लाएँ, जो अपना भविष्य सुधारने का प्रयास कर रहा है.

Don’t bring up the past of a person who is trying to improve their future.

आखिरकार मरना ही तो है उस डर से जीना कैसे छोड़ दें ?

After all we have to die, how can we stop living with that fear ?

” यदि आप निराश है तो आप अतीत में रह रहे हैं,

अगर आप चिंतित है तो आप भविष्य में रह रहे हैं, _ यदि आप शांतचित है तो ही आप वर्तमान में रह रहे हैं !”

हताशा में कुछ न करें, __ धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करें, _ इसे आप में धीरे से बढ़ने दें..
हर वह चीज जो आप से किसी भी रूप में जुडती है वह आपको कुछ न कुछ सिख अवश्य देती है,

यह आपके ऊपर है कि आप किस चीज से क्या सीखते एवं समझते हैं.

ज़िन्दगी के 3 आसान नियम- 1. जो आप चाहते हो उसके पीछे नहीं भागोगे तो मंज़िल नहीं मिलेगी.

2. अगर आप कभी पूछोगे नहीं तो जवाब हमेशा “ना” ही रहेगा.

3. अगर आगे नहीं बढ़ोगे तो जहाँ थे, वहीँ रह जाओगे !!

हमारे जीवन में, एक समय ऐसा भी आता है _ जब हमे ये तय करना बहुत जरूरी हो जाता है कि…

अब पन्ने पलटना है या किताब बन्द करना है.

पेड़ की अपनी पीड़ा है _ पत्तो की अपनी

पेड़ से झड़ कर सूख गए पत्ते आवाज बहुत करते हैं _ उनकी पीड़ा अधिक है

_ क्योंकि वो जानते हैं पेड़ पर तो फिर से पत्ते आ जायेंगे

लेकिन सूखे पत्तों को कोई पेड़ नही अपनाता..

मुझमें और किस्मत में हर बार बस यही जंग रही,

मैं उसके फैसलों से तंग _ वो मेरे हौसले से दंग रही.

रास्ता कठिन होगा _ देखने से लगता है, _

गर करोगे हिम्मत _ तो मंज़िलें पुकारेंगी !!

थोड़ी फ़िकर … थोड़ी कदर _ कभी – कभी खेऱो – ख़बर,

इन दवाओं में होता है, बड़ा असर..

छोटी सी वार्तालाप भी एक बुद्धिमान व्यक्ति के साथ _

_ आप की कई सालों की पढ़ाई के बराबर होती है.

ख़ून जिसका भी हो रंग सबका एक ही है,_

_ कैसे पता लगाया जाये _ बेगाना कौन है और अपना कौन है…!!

जब आप जीना सीख जाते हैं, _तो आप जीने के लिए बहुत बूढ़े हो जाते हैं.

When you learn how to live, you are too old to live.

सोच कर करने वाला शोभता है, _ करने के पहले सोचने वाला बुद्धिमान है,

करने के समय सोचने वाला सतर्क है, _ करने के बाद सोचने वाला मूर्ख है.

*गप से बचना* – लोगों को गपशप के ज़रिए अपने पर हावी मत होने दीजिए,

जब तक आप उनसे छुटकारा पाएंगे, आप बहुत थक चुके होंगे

और दूसरों की चुगली-निंदा से आपके दिमाग में कहीं न कहीं ज़हर भर चुका होगा.

और जो मैंने पाया है वह यह कि बहोत बातचीत करना, बहोत गपशप करना, केवल एक बाधा है, _ लोगों को उनकी बातों के लिए याद रखना कितनी बेवकूफी लगती है, __

_ शब्दों को जानना और जो हम सुनते हैं वह अक्सर भ्रामक होता है, _ यह दूसरों को बेवकूफ बना रहा है और खुद को बेवकूफ बना रहा है.

निंदा के लायक शायद बहुत लोग हैं, पर निंदा करना अपना ही समय ख़राब करना है न ?

जितनी देर बुराई करी उतनी देर में कुछ सार्थक ही कर लिया होता,

कुछ सुंदर ही कर लिया होता, तो तुम्हारा दिन कितना अलग होता _ कभी सोचना !

कहते हैं कुछ पाने के लिए, बहुत कुछ खोना पड़ता है…

…मैंने तो बहुत कुछ पाया है ; इसलिए शायद मैंने बहुत कुछ नहीं ” सब कुछ खोया है “

माना की औरों के मुकाबले कुछ ज्यादा पाया नहीं मैंने,

पर ख़ुद गिरता – संभलता रहा, किसी को गिराया नहीं मैंने..

मायने ये नहीं कि आपके पीछे कितनी भीड़ है,

मायने तो ये है कि आप भीड़ से कितने अलग हैं…!!

जिस किसी वृछ को आकाश छुना हो,

उसकी जड़ों को पाताल छुना होता है..

कोई बेहतरीन की तलाश में है _ और कोई बेहतर पा कर भी

_ और बेहतर की तलाश में है !!

जो जहाँ है, जैसा है, अगर वहीँ सुखी नहीं है तो, तो फिर वो कहीं भी, सुखी नहीं हो सकता.

और जो जहाँ है, जैसा है, वहीँ सुखी है तो, वो कहीं भी सुखी हो सकता है.

-“प्रत्येक मनुष्य अपने दिन उसी काम में गुज़ारे जिसमें उसकी कुशलता सबसे अधिक हो.”

क्या कहूं क्या- क्या मुझे कुछ सहना पड़ा है,

रहना नहीं था साथ जिसके रहना पड़ा है..

शब्द गिरा देते हैं एहसासों की क़ीमत,

एहसासों को शब्दों में न ढाला करे कोई.

बुरे इंसान को अच्छी बातें बताने से _ आप उसकी नजर में बुरे बन जायेंगे,

इससे अच्छा है कि _ उससे बेकार बातें ही करें.

गलत सही मे बहुत मत उलझा कीजिये …

जो अच्छा लगे वही किया कीजिये…!

न शिकायत किसी से…..ना किसी से अनबन है,

बस अब जिंदगी में थोड़ा…… अकेले चलने का मन है !!

कभी कभी हमें पता नहीं होता कि दांव पर क्या लगा है,

हारने के बाद एहसास होता है कि बहुत कुछ हार गए.

कोई तो होगा इस जहां में _ जो मेरी सुने और अपनी सुनाए _

_ बीच में वो और किसी को ना लाए..

कोशिश आखिरी सांस तक करनी चाहिए, क्योंकि

मंजिल मिले या तजुर्बा दोनों ही नायाब हैं.

कुछ उलझनों के हल, वक़्त पे छोड़ देने चाहिए…!!

बेशक जवाब देर से मिलेंगे, लेकिन बेहतरीन होंगे…!!

ज़रूरी नहीं कि हमें हर बार दूसरा मौक़ा मिले ही मिले..

_ कुछ चीज़ें पहली बार में ही ख़त्म हो जाती हैं.!!

नहीं ज़रूरत है किसी के झूठे दिलासे की जनाब, _

_ कामयाबी पाने वाले खुद और खुदा पे विश्वास रखते हैं..

इतनी ठोकरे देने के लिए शुक्रिया ए-ज़िन्दगी, _

_ चलने का न सही सम्भलने का हुनर तो आ ही गया..

धूप बहुत काम आई कामयाबी के सफर में,

छाँव में अगर होते… तो सो गए होते.

अकेले ही तय करने होते हैं कुछ सफ़र,

ज़िन्दगी के हर सफ़र में हमसफ़र नहीं होते.

जितना ही लोगों के बारे में जानोगे,

उतना ही ” एकांत ” तुम्हे प्रिय लगने लगेगा.

जब आप किसी को तकलीफ़ से निकालने का प्रयास करते हैं

तो कुदरत आपकी तकलीफ़ें दूर कर देती है.

बदला मत लिया करो…

सब रब पर छोड़ दिया करो….. ज़नाब;

ये दुनिया जादू का अजब खिलौना है,

मिल जाए तो मिटटी है, खो जाए तो सोना है…

सादगी से महंगा कोई गहना नहीं शायद,

इसलिए हर किसी ने इसे पहना नहीं..

मुकद्दर को भी बड़े हल्के में लिया है लोगों ने यहां,

थकते पैर हैं लकीरें हाथों की दिखाई जाती है.

क्यों चाहते हो बनना मुक़द्दर का सिकंदर,

क्या तुमने सिकंदर का मुक़द्दर नहीं देखा..

निकले थे घर से मंज़िलो का शौक लेकर ।

ए जिन्दगी तूने तो हमे मुसाफ़िर बना दिया ।।

तहज़ीब, अदब और सलीका भी तो कुछ है..!

झुकता हुआ हर शख्स _ बेचारा नहीं होता..!!

यूं ही न अपने मिज़ाज को चिड़चिड़ा कीजिये, _

_ कोई बात छोटी करे तो दिल बड़ा कीजिये…

जिस राह पर मुश्किलों का बहाव होगा _

_ उसी राह पर चलकर _ आपकी ज़िंदगी में बदलाव होगा.

“यही जिंदगी है”

_ कभी खुशी से नींद नहीं आती, कभी गम में हम सो नही पाते,
_ कभी खुशी के मारे खाना खाया नहीं जाता, कभी दुःख से अनाज निगल नहीं पाते !!
“इसी का नाम जिंदगी है.”
कुछ ऐसे होते हैं (((( हां होते हैं )))

_ जिनके न होने से _ जीवन में कुछ कम हो जाता है..

एक खाली स्थान ………….. जिसे कोई नहीं भर सकता !!

दर्द को झेलने के तरीके दिए जाएं,

मैं अगर जिंदा हूँ तो _ मुझे जिंदा रहने दिया जाए,

मैं कौन हूँ, मैं क्यूँ हूँ की लड़ाई में _ मैं हर रोज खुद से लड़ता हूँ,

ऐ जिंदगी मुझे _ अब दो पल का सुकून दिया जाए..

मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि…

मुझे हर उस बात पर प्रतिक्रिया नहीं देना चाहिए जो मुझे चिंतित करती है..
मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि…
जिन्होंने मुझे चोट दी है मुझे उन्हें चोट भी नहीं देनी है..
मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि…
शायद सबसे बड़ी समझदारी का लक्षण भिड़ जाने के बजाय अलग हट जाने में है….
मैं धीरे-धीरे ये भी सीख रहा हूँ कि…
अपने साथ हुए प्रत्येक बुरे बर्ताव पर प्रतिक्रिया करने में आपकी जो ऊर्जा खर्च होती है वह आपको खाली कर देती है और आपको दूसरी अच्छी चीजों को देखने से रोक देती है…
मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि…
मैं हर आदमी से वैसा व्यवहार नहीं पा सकूंगा जिसकी मैं अपेक्षा करता हूँ….
मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि..
किसी का दिल जीतने के लिए बहुत कठोर प्रयास करना समय और ऊर्जा की बर्बादी है और यह आपको कुछ नहीं देता, केवल खालीपन से भर देता है…
मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि…
जवाब नहीं देने का अर्थ यह कदापि नहीं कि यह सब मुझे स्वीकार्य है, बल्कि यह कि मैं इससे ऊपर उठ जाना बेहतर समझता हूँ..
मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि..
कभी-कभी कुछ नहीं कहना सब कुछ बोल देता है…
मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि…
किसी परेशान करने वाली बात पर प्रतिक्रिया देकर आप अपनी भावनाओं पर नियंत्रण की शक्ति किसी दूसरे को दे बैठते हैं..
मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि…
मैं कोई प्रतिक्रिया दे दूँ तो भी कुछ बदलने वाला नहीं है.. इससे लोग अचानक मुझे प्यार और सम्मान नहीं देने लगेंगे.. यह उनकी सोच में कोई जादुई बदलाव नहीं ला पायेगा..
मैं सीख चूका हूँ कि
जिंदगी तब बेहतर हो जाती है जब आप इसे अपने आसपास की घटनाओं पर केंद्रित करने के बजाय उसपर केंद्रित कर देते हैं जो आपके अंतर्मन में घटित हो रहा है…
आप अपने आप पर और अपनी आंतरिक शांति के लिए काम करिए और आपको बोध होगा कि चिंतित करने वाली हर छोटी-छोटी बात पर प्रतिक्रिया ‘नहीं’ देना एक स्वस्थ और प्रसन्न जीवन का ‘प्रथम अवयव’ है..

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