When you educate a girl, you begin to change the face of a nation. – Oprah Winfrey
When the controller of nature wants to talk to us, he reincarnated in our house in the form of a girl child, but how are we able to know and understand the subtle thing.
जॉब सर उठाकर जीना और आत्मसम्मान पैदा करता है,
जॉब दुनिया की समझ कराती है, इंसानों की पहचान कराती है.
जॉब अच्छे बुरे की समझ पैदा करती है और दुनियादारी सिखाती है.
जॉब लड़की को खुद की इज़्ज़त करना सिखाती है, वो आर्थिक रूप से स्वतंत्र रहती है,
उसे वैचारिक रूप से मज़बूत करती है, बहुत कुछ हैं एक लड़की के लिए जॉब के मायने..
उसे सिर्फ पैसों से मत तोलिये, _ अगर आपके पास बहुत पैसा है _तब भी बेटी को जॉब करने दीजिये
_उसे मज़बूत बनने दीजिये..!!
_ कि लड़कों ने अपनी आजादी से, किताबें और नौकरी चुनी..
_ और लड़कियों ने अपनी आजादी के लिए, किताबें और नौकरी चुनी..!!
थक जाने पर प्यार से जो माथा सहलाए, उसे कहते हैं बिटिया
“कल दिला देंगे” कहने पर जो मान जाये, उसे कहते हैं बिटिया
हर रोज़ समय पर दवा की जो याद दिलाये, उसे कहते हैं बिटिया
घर को मन से फूल सा जो सजाये, उसे कहते हैं बिटिया
सहते हुए भी अपने दुख जो छुपा जाये, उसे कहते हैं बिटिया
दूर जाने पर जो बहुत रुलाये, उसे कहते हैं बिटिया
पति की होकर भी पिता को जो ना भूल पाये, उसे कहते हैं बिटिया
मीलों दूर होकर भी पास होने का जो एहसास दिलाये, उसे कहते हैं बिटिया
“अनमोल हीरा” जो इसीलिए कहलाये, उसे कहते हैं बिटिया.
“नाज़ुक” सा “दिल” रखती है “मासूम” सी होती है “बेटिया”.
“बात” बात पर रोती है “नादान” सी होती है “बेटिया”.
“रेहमत” से “भरपूर” “खुदा” की “Nemat” है “बेटिया”.
“घर” महक उठता है जब “मुस्कराती” हैं “बेटिया”.
“अजीब” सी “तकलीफ” होती है, जब “दूसरे” घर जाती है “बेटियां”.
“घर” लगता है सूना सूना “कितना” रुला के “जाती” है “बेटियां”
“ख़ुशी” की “झलक” “बाबुल” की “लाड़ली” होती है “बेटियां”
ये “हम” नहीं “कहते” यह तो “रब ” कहता है.
क़े जब मैं बहुत खुश होता हूँ तो “जनम” लेती है
“प्यारी सी बेटियां”
बसेरा होगा कल मेरा किसी और के आँगन में,
क्यों ये रीत “रब” ने बनाई होगी,
“कहते” है आज नहीं तो कल तू “पराई” होगी,
“देके” जनम “पाल-पोसकर” जिसने हमें बड़ा किया,
और “वक़्त” आया तो उन्ही हाथो ने हमें “विदा” किया,
“टूट” के बिखर जाती है हमारी “ज़िन्दगी ” वही,
पर फिर भी उस “बंधन” में प्यार मिले “ज़रूरी” तो नहीं,
क्यों “रिश्ता” हमारा इतना “अजीब” होता है,
क्या बस यही “बेटियो” का “नसीब” होता है ??
~~~~ ..बेटियाँ….पीहर आती है..
..अपनी जड़ों को सींचने के लिए..
..तलाशने आती हैं भाई की खुशियाँ..
..वे ढूँढने आती हैं अपना सलोना बचपन..
..वे रखने आतीं हैं….आँगन में स्नेह का दीपक..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..
..बेटियाँ….ताबीज बांधने आती हैं दरवाजे पर..
..कि नज़र से बचा रहे घर..
..वे नहाने आती हैं ममता की निर्झरनी में..
..देने आती हैं अपने भीतर से थोड़ा-थोड़ा सबको..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..
.बेटियाँ….जब भी लौटती हैं ससुराल..
..बहुत सारा वहीं छोड़ जाती हैं..
..तैरती रह जाती हैं….घर भर की नम आँखों में..
..उनकी प्यारी मुस्कान..
..जब भी आती हैं वे, लुटाने ही आती हैं अपना वैभव..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..
बिटिया तेरी बहुत याद आयेगी,
पल पल मुझको रुलायेगी।
घर का कोना कोना तुझे पुकारेगा,
कण कण में तेरा चेहरा मुस्करायेगा।
क्या तूने जादु कर रखा था,
जन जन को मोह रखा था।
तुझे टीका लगाते लगाते, मम्मी की भी,
आँखें डबडबाई थी,
मम्मी की रोके नहीं रुकती रुलाई थी।
तुम माँ बेटी हो या सखी सहेली,
मेंरी समझ में कभी ये बात ना आयी।
किचन का menu तेरा, घर का सबका
Dress code था तुम्हारा,
मम्मी कौन सा पार्लर जायेगी,
पापा कहाँ हेयर कलर करायेंगे,
कौन सी साड़ी, कौन सी बिंदी,
कौन सी क्रीम मम्मी लगायेगी,?
पापा की कैसी ड्रेस आयेगी,
कब कौन सा क्या पहनना है ?
सबमें मर्जी तुम्हारी थी,
मम्मी की सारी जिम्मेदारी,
तेरे ही हवाले थी।
कलेजा मेरा फटता है,
कैसे गुजरेंगे दिन तेरे बिन,
ये सोच कर भी दिल फटता है।
आज है मेहन्दी तुम्हारी,
कल फिर जाने की तैयारी,
परसों तुम्हारा गठबंधन, फिर कन्यादान होगा।
सृष्टि के नियम के मुताबिक,
अपने कलेजे के टुकड़े को फिर,
एक बाप, अपने कलेजे से दूर कर देगा।
अब तेरी यादों का ही सहारा होगा,
हर चीज में अक्स तुम्हारा होगा,
भाई तेरा समय से पहले बड़ा हो गया,
मुझसे गम छुपाता है, मेरे सामने बस,
झूठे ही मुस्कराता है,
मुझे मालूम है उस पर भी पहाड़ टूट रहा है,
ऊपर से हँस रहा अन्दर से वो रो रहा है,
तुझे आशीर्वाद है हमारा,
तेरा जीवन सदा हो उजियारा,
हमेशा हँसती हँसाती रहना,
जिस घर जाओ, मन्दिर कर देना,
बड़ों को आदर, छोटों को प्रेम देना ।।
|| पीके ||
बेटी है पराया धन,
ये तुझे भी पता था, माँ
दूर नहीं, तेरे पास हूँ माँ,
तेरे घर के कण कण में ,
मेरा निवास है माँ,
दूर होती तो कैसे में रोज़,
तुझसे बात कर पाती माँ,
तुम मेरे लिए आँसू ना बहाना,
मना लेना दिल को,
पापा को भी समझाना,
कैसे रो रहे थे लिपट कर,
हम बच्चों से भी
छोटा बच्चा बन कर,
टूट ना जाना, उनको हिम्मत बंधाना,
चिरिया थी तेरे घर की
चहक रही थी कोने कोने में,
मुझको तो उड़ना ही लिखा था,
रब ने मेरी किस्मत में, माँ .
किसने ये रीत बनाई,
प्रीत वही, पर बेटी परायी,
अब ना तुझसे झगड़ा करुँगी,
ना अब रूठी को मनाना, माँ,
स्कूल से लौटने में अब कभी,
देर ना होगी माँ,
कपड़ो के लिए अब ना रूठना ,
अब ना तेरा मनाना होगा माँ,
वो मेरी सारी कास्मेटिक,
जिसके लिए में नीत तुझसे,
लड़ती थी माँ,
अब तुम ही रख लेना,
किसी को न देना, माँ,
अब जब भी मेरी डिश बनाओगी,
तुम खा लेना, पापा और भाई को,
खिला देना माँ,
भाई को देखा माँ,
कैसे भैया बनकर मेरे,
मेरे माथे को चूम लिया,
लगा जैसे मुझको सुखी होने का,
आशीर्वाद दिया,
कितना बड़ा हो गया है,
फिर भी वो बच्चा है,
उसको मना लेना, कलेजे से लगा लेना,
तुमको गम कैसा, माँ,
एक घर से निकल कर,
और एक घर मिल गया,
यहाँ भी पापा का साया,
और माँ का आँचल मिल गया,
वहाँ घर की चिरिया थी,
यहाँ मै बुलबुल हूँ,
सबका आशीर्वाद है माँ,
बहुत ही प्यार करनेवाला,
हमसफ़र साथ है माँ …
..PK
शाम हो गई अभी तो घुमने चलो न पापा,
चलते चलते थक गई कंधे पे बिठा लो न पापा,
अंधेरे से डर लगता सीने से लगा लो न पापा,
मम्मी तो सो गई,
आप ही थपकी देकर सुलाओ न पापा,
स्कूल तो पूरी हो गई,
अब कॉलेज जाने दो न पापा,
पाल पोस कर बड़ा किया,
अब जुदा तो मत करो न पापा,
अब डोली में बिठा ही दिया तो,
आंसू तो मत बहाओ न पापा,
आप ने मेरी हर बात मानी,
एक बात और मान जाओ न पापा,
इस धरती पर बोझ नहीं मै,
दुनियाँ को समझाओ न पापा,
” मै बोझ नहीं हूँ “
वह फूल है, उसे कभी रुलाना नहीं
पिता का तो गुमान होती है बेटी
जिन्दा होने की पहचान होती है बेटी
उसकी आँखें कभी नम न होने देना
उसकी जिन्दगी से कभी खुशियां कम न होने देना
उंगली पकड़ कर कल जिसको चलाया था तुमने
फ़िर उसको ही डोली में बिठाया था तुमने
बहुत छोटा सा सफर होता है बेटी के साथ
बहुत कम वक्त के लिए वह होती हमारे पास
असीम दुलार पाने की हकदार है बेटी
समझो रब का आशीर्वाद है बेटी
मैं नहीं मानता इसे,
क्योंकि मेरी बेटी कोई चीज़ नहीं, जिसको दान में दे दूँ ;
मैं बांधता हूँ बेटी तुम्हें एक पवित्र बंधन में,
पति के साथ मिलकर निभाना तुम,
मैं तुम्हें अलविदा नहीं कह रहा,
आज से तुम्हारे दो घर, जब जी चाहे आना तुम,
जहाँ जा रही हो, खूब प्यार बरसाना तुम,
सब को अपना बनाना तुम, पर कभी भी
न मर मर के जीना, न जी जी के मरना तुम,
तुम अन्नपूर्णा, शक्ति, रति सब तुम,
ज़िंदगी को भरपूर जीना तुम,
न तुम बेचारी, न अबला,
खुद को असहाय कभी न समझना तुम,
मैं दान नहीं कर रहा तुम्हें,
मोहब्बत के एक और बंधन में बाँध रहा हूँ,
उसे बखूबी निभाना तुम ……………..
*एक नयी सोच एक नयी पहल*सभी बेटियां के लिए ;
🌿➖बोये जाते हैं बेटे..
🌿➖पर उग जाती हैं बेटियाँ..
🌿➖खाद पानी बेटों को..
🌿➖पर लहराती हैं बेटियां.
🌿➖स्कूल जाते हैं बेटे..
🌿➖पर पढ़ जाती हैं बेटियां..
🌿➖मेहनत करते हैं बेटे..
🌿➖पर अव्वल आती हैं बेटियां..
🌿➖रुलाते हैं जब खूब बेटे.
🌿➖तब हंसाती हैं बेटियां.
🌿➖नाम करें न करें बेटे..
🌿➖पर नाम कमाती हैं बेटियां..
🌿➖जब दर्द देते हैं बेटे…
🌿➖तब मरहम लगाती हैं बेटियां..
🌿छोड़ जाते हैं जब बेटे..
🌿तो काम आती हैं बेटियां..
🌿आशा रहती है बेटों से.
🌿 पर पूर्ण करती हैं बेटियां..
🌿हजारों फरमाइश से भरे हैं बेटे….
🌿पर समय की नज़ाकत को समझती बेटियां..
🌿बेटी को चांद जैसा मत बनाओ कि हर कोई घूर घूर कर देखे..
📍लेकिन📍 ———————– बेटी को सूरज जैसा बनाओ
ताकि घूरने से पहले सब की नजर झुक जाये..
पर जैसे ही पिता मरता है और बेटी आती है तो वो इतनी चीत्कार करके रोती है कि, सारे रिश्तेदार समझ जाते है कि बेटी आ गई है.