सुविचार 3569
यह सच है कि समझदारी आत्म- निरिछण से बढ़ती है, लेकिन इसके लिए समय किसके पास है ?
जो इसके लिए रूचि पैदा करेंगे, उनको समय भी मिल जायेगा.
जो इसके लिए रूचि पैदा करेंगे, उनको समय भी मिल जायेगा.
_नकारात्मक सोचनेवालों के साथ ज़्यादा बातचीत न करें.
आखिकार जीवन न तो पीड़ा है और न ही आनंद, _ यह वैसा बन जाता है जैसा आप उसे बनाते हैं !!
_ उसके शरीर से वैसी ही तरंगे भी निकलती हैं.