सुविचार 4265

शरीर सुंदर हो या ना हो पर शब्दों को सुंदर रखें,

क्योंकि लोग चेहरे भूल जाते हैं पर शब्दों को नहीं.

यह संसार की रीत है कि जो शोभन नहीं है, सुंदर नहीं है..

_ वह मानवमन को प्रीतिकर नहीं लगता.

बिना काम की बातें हर कोई समझ लेता है,

_ शब्दों की गहराई कुछ ही समझ पाते हैं..!!

ख़ुद तो कुछ करना नहीं.. औरों को भी रोकते हैं,,
_ सुन नहीं सकते जो एक भी शब्द ख़ुद के लिए,,
_ वो औरों को हर बात पर टोकते हैं..!
बहुत से शब्दों में थोड़ा मत कहो, बल्कि थोड़े से शब्दों में बहुत कुछ कहो.!!

सुविचार 4264

*नसीहत* वह सच्चाई है, जिसे हम कभी ग़ौर से नहीं सुनते…

और *तारीफ* वह धोखा है, जिसे हम ध्यान से सुनते हैं !

सुविचार 4262

दूसरों को सुनाने के लिए अपनी आवाज ऊंची मत करिए बल्कि अपना व्यक्तित्व इतना ऊंचा बनाएं कि आपको सुनने की लोग मिन्नतें करें.
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