सुविचार 4365
” कुदरत किसी को भी किसी के जैसा पैदा नहीं करती,
यहाँ हर चीज़ सिर्फ और सिर्फ अपनी-जैसी पैदा होती है, “
यहाँ हर चीज़ सिर्फ और सिर्फ अपनी-जैसी पैदा होती है, “
फिर मन से दोस्ती की और जीत गया..
जो बोलोगे वो ही सुनोगे.
_ और उसका एक ही परम मंत्र है, प्रयास प्राप्ति तक, और विधि है, परिपूर्ण प्रकिया,”