सुविचार 4400
सच्चे “अर्थों” में अगर हम “विचार” करें, तो पता चलता है “प्रतियोगिता” का नाम ”जीवन” नहीं, बल्कि “सहयोगिता” का नाम ”जीवन” है..
_ उसी तरह जीवन की एक स्थिति पर रुके मत रहिए, जो कल बीत गया वो कितना भी अच्छा या बुरा क्यों न था, उसे भूल कर आपको आगे बढ़ना ही होगा.
नदियों की तरह बहते रहो, चट्टानें अपने आप कट जाएंगी.!!
_ आराम से सुकून से इत्मीनान से सलीके से होशो हवास में नए साल में जाएं.!!