ध्यान अनुभव – मैडिटेशन अनुभव – meditation experience

हल्का, प्रसन्न, स्थिर, या मौन, सरलता, प्रेम
आज संडे मॉर्निंग मैंने Group Meditation किया.

_ हालाँकि मैं रोज़ एक घंटा एकांत में Meditation करता हूँ, लेकिन आज का Group Meditation अनुभव बहुत ही विशेष और गहराई से स्पर्श करने वाला रहा.

_ Meditation के दौरान वातावरण की शांति, सभी साधकों की सामूहिक ऊर्जा और केंद्र की सात्विकता ने मेरे Meditation को सहज रूप से भीतर गहराई तक ले गया.

_ वहाँ का vibe बहुत ही अपनापन देने वाला था — जैसे कोई भी प्रयास किए बिना अंतर स्वतः ही शांत और स्थिर हो गया.

“अकेले में शांति थी, और सभी के संग में शांति का गहरा स्वर था”

_ मैं आभारी हूँ कि मुझे इस Group Meditation में सम्मिलित होने का अवसर मिला. ऐसे अनुभव आत्मा को पोषण देते हैं.

मैडिटेशन का अनुभव (मेरी ओर से)

_ आज सुबह का मैडिटेशन अनुभव कुछ अलग ही रहा.

_ भीतर एक अनकहा मौन था, और बाहर एक सहज ऊर्जा का स्पर्श.

_ ग्रुप मैडिटेशन में बैठकर ऐसा लगा.. जैसे मेरी अपनी हलचलें किसी गहरे सागर में उतरती जा रही हों.

_ पहली बार ऐसा नहीं था कि मैं मैडिटेशन में बैठा,

_ पर आज कुछ ऐसा था जो “सिर्फ मेरे भीतर नहीं, सबके बीच भी शांति” बन गया.

_ विचार आए — पर ठहरे नहीं.

_ साँसें चलती रहीं — पर जैसे किसी और गति से.

_ और अंत में जब आँखें खुलीं, तो मन वही नहीं था —

_ थोड़ा हल्का, थोड़ा निर्मल, थोड़ा और पास खुद के.

_ वहां का वातावरण इतना सहज और शांत था कि.. लगा जैसे मैडिटेशन सिर्फ क्रिया नहीं, एक आत्मीय संगति है.

—🌿> “आज का मैडिटेशन मौन नहीं था, एक करुणा थी — जो भीतर से बह चली”

ध्यान करते- करते ऎसा एक गहरा स्वाद आ जाता है, जिसमे निश्चय हो जाता है कि हमारे भीतर एक अपार स्त्रोत है : सुख का.

_ ‘ध्यान’ सबसे खूबसूरत चीज़ है, इसमें कमाल का आकर्षण है,

_ इसमें हम उस दुनिया में चले जाते हैं जहाँ कोई दुःख नहीं, और सुकून ही सुकून है ;

_ वहाँ कोई सवाल नहीं पूछता कोई जवाब नहीं माँगता बस, एक धीमा धुंधलका होता है, जिसमें इंसान खुद से भी आँखें मिला लेता है.!!

अनुभव – हृदय से हृदय तक की यात्रा..

_ आज के मैडिटेशन में जैसे ही आँखें बंद कीं, एक कोमल शांति ने मुझे घेर लिया.

_ मन की हलचलें धीरे-धीरे शांत होने लगीं, और भीतर एक मौन की सरिता बहने लगी.

_ वहां कोई शब्द नहीं थे — बस हृदय की धड़कनों के साथ एक अदृश्य संगीत गूंज रहा था.

_ ऐसा लगा मानो कोई मुझे भीतर से थामे हुए है — न कोई आग्रह, न कोई लक्ष्य — केवल प्रेम, स्वीकृति और उपस्थिति..

_ कुछ पल बाद यह अनुभव और गहरा हुआ… जैसे मैं स्वयं ही अपने हृदय की रोशनी में विलीन हो गया.

_ मेरा अस्तित्व जैसे एक बूँद से सागर में बदल गया — कोई सीमा नहीं, कोई नाम नहीं — केवल एक गहरा, निशब्द मिलन.

_ यही है — जहाँ ध्यान [Meditation], प्रयास नहीं — एक निमंत्रण बन जाता है, भीतर के सच्चे ‘मैं’ से मिलने का.!!

सुविचार 4582

ख़ुश रहने के लिए ज़रूरी है कि हमारी आंतरिक और बाह्य दशाओं में सामंजस्य हो.

सुविचार 4580

खुश रहो, इसलिए नहीं की सब कुछ अच्छा है बल्कि इसलिए कि आप हर चीज में अच्छाई देख सकते हैं.

अपनी ऊर्जा उन लोगों पर खर्च करो जो आपकी अच्छाई को समझें..

_ कमियां ढूंढने वालों को संतुष्ट करना नामुमकिन है.!!

सुविचार 4579

शब्दों की ताकत को कम नहीं समझना चाहिए, एक छोटा सा हां और एक छोटी सी ना,,,

पूरा जीवन बदलने की ताकत रखते हैं.

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