सुविचार 4610
हमारी संपत्ति के कई उत्तराधिकारी हो सकते हैं,
लेकिन हमारे कर्मों के सिर्फ़ हम ही उत्तराधिकारी हैं.
लेकिन हमारे कर्मों के सिर्फ़ हम ही उत्तराधिकारी हैं.
उसी को इस संसार में रहने का ढंग आ गया …
बल्कि वो उम्मीदें धोखा दे जाती है, जो दूसरों से रखते हैं.
जिसकी कदर करो वो वक़्त नहीं देता और जिसको वक़्त दो वो कदर नहीं करता.