सुविचार 4549
जमीन और मुकदर की एक ही फ़ितरत है,
जो बोया है वो निकलना तय है.
जो बोया है वो निकलना तय है.
_ हमें एक “जीवन” दिया गया है, इसे “अच्छा” या “बुरा” बनाना हमारे ऊपर है.
पहाड़ से निकली नदी ने आज तक किसी से नहीं पूछा कि समंदर कितना दूर है.
दर्द का कोई अपना नही होता, आज उसका तो कल तेरा होगा.
लेकिन आगे चलकर पता चल जाएगा कि वह अच्छे के लिए हुआ था.