मस्त विचार 4481
सुई की फितरत सिर्फ चुभने की थी साहिब,
मिला साथ धागे का फितरत ही बदल गयी.
मिला साथ धागे का फितरत ही बदल गयी.
जिसकी कदर करो वो वक़्त नहीं देता और जिसको वक़्त दो वो कदर नहीं करता.
पर मुझे पता है ये खुशी ज्यादा नहीं टिकने वाली.
क्योंकि लगाव से उम्मीदों का जन्म होता है
और दूसरों की, उम्मीदें अंत में दुःख का कारण बनती हैं.
कभी आँखें, कभी साँसे, हकीकत बोलती हैं !
जौहरियों की जब जब भी कमी हो जाती है.
कुछ नीम के पेड़ भी होते हैं जो सुगन्धित तो नहीं करते पर काम बहुत आते हैं.