सुविचार 4649
*….क्योंकि -**हीरे से हीरा तो तराशा जा सकता है लेकिन कीचड़ से*
*कीचड़ साफ नहीं किया जा सकता*
*….क्योंकि -**हीरे से हीरा तो तराशा जा सकता है लेकिन कीचड़ से*
*कीचड़ साफ नहीं किया जा सकता*
जब आप अच्छा महसूस करने की अपनी क्षमता का एहसास करते हैं, आप अच्छा महसूस करने के लिए किसी से अलग होने के लिए नहीं कहेंगे.
मगर साथ चलना भी तो कम नहीं होता..
जरुरी होना_ बहुत खूबसूरत है..
और अदालत ने पेशी अमावस की रात को मुकर्रर कर दी.
जब हालात बदलते हैं, तो लोगों के बोल बदल जाते हैं.
ये उस कांच के समान होती हैं जो लोगों को चुभती बहुत है.
हालात कैसे भी हों, किसी के सामने झुकना नहीं..
कि कितना दर्द होता है_ _नजरअंदाज करने से..