मस्त विचार 4577
अज़ब हाल ज़िन्दगी का, समझ आता नहीं,
खुशी हँसाती नहीं, ग़म मुझे अब रुलाता नहीं..
खुशी हँसाती नहीं, ग़म मुझे अब रुलाता नहीं..
अगर उसमें “सुगंध” मिला दो तो वह “गंगाजल” बन जाऐगा ।।*
आख़िर में हम ख़ामोश हो गए..
और उठा लोगे तो एकदम हल्की हो जायेंगी.
हम उसे भी जीना सीखा देते हैं, जिसे मरने का शौक हो..
हमेशा के लिए सकारात्मक सोच की शक्ति रखें, सभी नकारात्मक और शत्रु विचारों को दूर भगाएं, _ आज खुश रहना चुनें.
कुछ ” लम्हे ” जीने का तजुर्बा भी सिखाते हैं..
अगर मैं उन्हें तोहफे में एक आईना दे दूँ..