मस्त विचार 4574

मुमकिन नहीं हर ” वक़्त ” मेहरबां रहे जिंदगी,

कुछ ” लम्हे ” जीने का तजुर्बा भी सिखाते हैं..

सुविचार 4696

भाषा शरीर का ऐसा अदृश्य अंग है, जिसमें इंसान का सब कुछ दिखाई देता है.

सुविचार 4695

आपके अलावा कोई आपकी परिस्थिति के लिए जिम्मेदार नहीं है,

_ कोई आपको गुस्सा नहीं दिला सकता और कोई आपको खुश भी नहीं कर सकता.

मुझे भी ऐसा ही लगता था…कि हर परिस्थिति मेरे नियंत्रण में हो… लेकिन सच में…ऐसा होता नहीं है.!!

_ जैसा हो रहा है होने दो.. और आपको जो सही लग रहा है वो करो.!!
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