मस्त विचार 3976
_हम रूह की बातें करते हैं, तुम जिस्म पे अटके हो..
_हम रूह की बातें करते हैं, तुम जिस्म पे अटके हो..
_ जिस प्रकार आग में तप कर सोना निखर कर कुन्दन बन जाता है, उसी तरह व्यक्ति कष्टों की आग में तप कर सोने जैसे व्यक्तित्व का स्वामी बन जाता है.
_ तराश रही है खुद ज़िंदगी निखर जाने के लिए.!!
” चिंता ” आप क्या बनाने जा रहे हैं और आप वास्तव में क्या बना रहे हैं के बीच का अंतर है.
_ तकदीर बदल जायेगी अपने आप ही, यार, मुस्कराना सीख ले _वजह की तलाश ना कर..
_ अगर वो बड़ी है, तो वो अपने आप ही आप से बड़े-बड़े काम करवाते चली जाएगी..!!
_लेकिन फिर भी जीवन सिर्फ इन्ही अनुभवों से नहीं बनता.
_ और एक दुनिया है, जो पता नहीं मुझे क्या -क्या समझती है..
अगर आप चिंतित है तो आप भविष्य में रह रहे हैं,
यदि आप शांतचित है, तो ही आप वर्तमान में रह रहे हैं !!”