मस्त विचार 3968
_ और उनसे काफ़ी उम्मीदें पालने लगता हूँ, जो की नहीं करनी चाहिए..
_ और उनसे काफ़ी उम्मीदें पालने लगता हूँ, जो की नहीं करनी चाहिए..
_पन्ने फाड़ने में ज्यादा मज़ा आता है.
प्रतिदिन प्रात: अपने हाथों की ओर देख कर विचार करें, “मेरे इन हाथों से सभी का भला हो,”
_यह भी सोचें की “क्या मैं इन हाथों से जो कुछ भी कर रहा हूँ वह उचित है,”
_यदि मन इंकार करे तो वह कार्य कभी न करें ; यही एक बात जीवन को सुखमय बना देगी..
_ जितना अपनों को अपना बनाए रखना है..
_लोग खो नहीं जाते बदल जाते हैं.!!
हम जिन चीजों की चिंता करते है, उसका 90% से अधिक कभी होता ही नहीं..
अगर कोई आपको पसंद नहीं करता है तो चिंता न करें. _अधिकांश लोग स्वयं को पसंद करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
_ जितनी बड़ी हम उसे सोच- सोच के बना देते हैं !
_ वो आसमां से ऊँचा है मगर, …..सर झुकाए चलता था !!