मस्त विचार 4338
जी नहीं_ आप को कम बताया जा रहा है,
” अच्छा खासा खराब हूँ मैं “
” अच्छा खासा खराब हूँ मैं “
ये दुनिया सारी उम्र छीन लेगी..
जिस अंदाज में लोग जीने के लिए तरसते हैं..
_ समझो उसने अच्छे, “और” बुरे को पहचान लिया !
जब आप खुश होते हैं तो आप संगीत का आनंद लेते हैं, जब आप दुखी होते हैं तो आप गीत के बोल समझते हैं.
फिर वही लोग हमारे जीने कि वजह बन जाते हैं.