सुविचार 4648
अंतःकरण और कुछ नहीं बल्कि अंदर की आवाज़ है.
जरुरी होना_ बहुत खूबसूरत है..
और अदालत ने पेशी अमावस की रात को मुकर्रर कर दी.
जब हालात बदलते हैं, तो लोगों के बोल बदल जाते हैं.
ये उस कांच के समान होती हैं जो लोगों को चुभती बहुत है.
हालात कैसे भी हों, किसी के सामने झुकना नहीं..
कि कितना दर्द होता है_ _नजरअंदाज करने से..
फिर भी दुआ में उसने बरसात मांगी ”
बल्कि, आपको गलत साबित करने में अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं.