सुविचार 4734
जीवन वीणा की तरह है, ढंग से बजाना आ जाए तो आनंद ही आनंद है.
कि कभी दख़ल न कर सकूँ तेरी रजा में..
तुम देर से मिले….. इतना नुकसान ही काफी है….
_ प्रत्येक सुबह का ध्यान हमें उस नए जीवन को इसी जीवन में लाने का अवसर प्रदान करता है.!!
मगर दूसरों को क्या करना चाहिए, उसकी सलाह सबके पास है.
जब आपका अपने विचारों पर नियंत्रण होता है, तो आपका अपने जीवन पर नियंत्रण होता है.
उसका अंतिम संस्कार अच्छाई ही करती है.