सुविचार 4748
यही आदमी की फ़ितरत है, बस खिलौने बदल जाते हैं “
यही आदमी की फ़ितरत है, बस खिलौने बदल जाते हैं “
दरिया मे कूद जाओ, तो रास्ता देता है॥
…क्योंकि, जिंदगी नहीं रहती पर अच्छी यादें हमेशा जिन्दा रहती हैं.
लेकिन कमब्खत बदनामी बड़ा शोर करती है.
एक सीमा से ज्यादा खींचे जाने पर उसका टूटना तय है..
आप अपनी भावनाओं को तुरंत बदल सकते हैं .. कुछ आनंददायक सोचकर, या कोई गीत गाकर, या एक सुखद अनुभव को याद करके..
लेकिन सत्य को जीने वाले सत्य को जीते भी हैं, जानते भी हैं।
सत्य को जानो मत, जियो।
ज़िन्दगी में क्या पता कौन कब बदल जाए..
हमारी अज्ञानता ही हमारे दुःख का कारण है.