सुविचार 4574
हज़ार टुकड़े होने पर भी दर्पण अपने प्रतिबिम्ब दिखाने की क्षमता को नहीं खोता है,
_ ऐसे ही किसी भी परिस्थिति में हमें अपने अंतर्निहित अच्छे स्वभाव को नहीं खोना चाहिए और न ही उसे प्रतिबिंबित करने की क्षमता को.!!
परन्तु अपना मानने वाले कोई नहीं…!!
की उसे पता चल चुका है की वे मुर्ख हैं.
जिक्र तेरा जरूर होता है…!
एक स्वतंत्र विचारक बनें और जो कुछ भी आप सुनते हैं उसे सत्य के रूप में स्वीकार न करें,_ आलोचनात्मक बनें और मूल्यांकन करें कि आप किस पर विश्वास करते हैं…
क्यूंकि पूरी दुनिया में कारपेट बिछाने से खुद के पैरों में चप्पल पहन लेना अधिक सरल है.
ये नियति का नियम है.
हर कोई अपनी तकदीर और अपनी हक़ीकत बनाने में लगा है.