मस्त विचार 4210
” सबको मैं ही समझूँ क्या, कोई मुझे भी तो समझो यार ”
बस हम गिनती उसी की करते हैं, जो हासिल ना हो सका..
और हम गिर कर संभलने का हुनर जानते हैं.
_ त्यों सुधिजन की बात में बात बात में बात.!
जो उन्हें खटखटाने की जुर्रत करते हैं..
_ बाकी दूर से ही सलाम है.
काबिल के तो दुश्मन भी कायल होते हैं !