सुविचार 4561
भावनाओं में बहकर किसी के सामने अपनी कमजोरियों को बता देना, सबसे बड़ी मूर्खता हैं !!
बुरा नहीं हूं मैं, बस अपनों की मेहरबानी है.
गुजरी हुई बहार की एक यादगार हूँ.
_ जब तक हम उलझन को सुलझाने का प्रयास नहीं करते.
इस दौर में जीने की सज़ा कम तो नहीं है.
तब ही से दूर बैठा हूं सब से…
लेकिन उम्मीद से ज्यादा मिली हुई चीज,,,,लोगों को चुभने लगती है..
हिम्मत ही नहीं होती अपना दर्द बांटने की.
” समय, व्यक्ति और संबंध “